हिप्नोटाइज - 4

हिप्नोटाइज - 4

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" साकेत ! मुझे वो लड़का बहुत अजीब लगा। " - काॅलेज में दिव्या साकेत को बता रही थी - " वह नियति को स्वीकार करना ही नहीं चाहता। उसने यह भी कहा कि वह रहीम के पिताजी की दया पर भी अधिक समय तक नहीं रहना चाहता।...तुम्हीं बताओ साकेत, ऐसे लड़को को क्या करना चाहिए ? "

" दिव्या! उसे किसी ऐसी जगह चले जाना चाहिये, जहाँ उसे कोई न जानता हो। " 

" सही कहा। पर अपने जन्म स्थान को छोड़कर जाना बहुत मुश्किल होता है। " 

" दिव्या! आज छूआछूत की समस्या काफी हद तक कम हो चुकी है, फिर भी...."

" जाने दो साकेत! बाई दी वे , तुम तो आजकल बहुत कम काॅलेज आते हो। कोई परेशानी तो नहीं...."

" नहीं। बस यूँ ही। " 

" दिव्या! " - रवि ने आकर कहा - " तुम्हारी मदद चाहिये । " 

" कैसी मदद ? " - दिव्या ने पूछा।

" एक लड़का है, बिल्कुल आवारा और बिगड़ा हुआ। "

" तो ? "

" उसे सुधारना है , एक अच्छा इंसान बनाना है। "

" क्या ? " - दिव्या बहुत ज्यादा चकित हुई - " पूरी बात बताओ। " 

रवि ने बताया - " एक बहुत बड़े व्यवसायी हैं - ' पंकज जड़ेजा। ' इनका एक बेटा है - ' अमर। ' 

अमर वैसे बहुत अच्छा लड़का है। बेवजह किसी को परेशान नहीं करता , किसी से लड़ाई - झगड़ा नहीं करता। "" अच्छा! " - दिव्या बोली - " फिर समस्या क्या है ? "

" समस्या है, उसने अचानक से नशा करना शुरू कर दिया है। आवारा लड़़को की तरह देर रात तक बाहर घूमना, कैसीनो में जाकर सट्टेबाजी करना - ये सब उसने अचानक शुरू कर दिया है। "" अचानक ? " दिव्या और साकेत दोनों एक साथ चौंके।

" हाँ अचानक। एक साल पहले तक अमर सिगरेट को छूता तक न था, कैसीनो का नाम भी उसने कभी सुना नहीं था और अचानक से उसने ये सब शुरू कर दिया। "

" बेवजह ? " - साकेत ने पूछा।

" हाँ साकेत! बेवजह। "

" हो ही नहीं सकता। " - दिव्या बोली - " इस दुनिया में बेवजह कुछ नहीं होता। हर चीज़ के पीछे कोई न कोई वजह जरूर होती है। " " हो सकता है! " - रवि ने कहा - " अगर कोई वजह है तो तुम उसका पता लगाकर अमर की बुरी आदतें छुड़वा दो। "

" असंभव है रवि ! असंभव है।" - दिव्या ने कहा।


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