हिन्दुस्तान का भाग्य
हिन्दुस्तान का भाग्य
"वोट डाला?" उसने पूछा।
"नहीं।"
"चलो, फटाफट वोट डाल आओ।" उसने बांह पकड़ कर खींचा।
"आपके उम्मीदवार को वोट देने से कोई फायदा होगा?" मैंने बेसाख्ता पूछा।
"बिलकुल होगा। जो बोलोगे, फटाफट होगा।"
बोले को बोल तो दिया पर फौरी तौर पर कुछ याद नहीं आया। दिमाग पर जोर दिया तो याद आया, सुबह सार्वजनिक शौचालय में बड़ी लम्बी लाईन लगती है। कई दरवाजे टूटे हैं। महीनों से कोई साफ-सफाई भी नहीं हुई है।
"हमारे पाड़े(मोहल्ले) का शौचालय बहुत खराब हो गया है। सभी को बड़ी परेशानी हो रही है। आप उसको सही करा दें, बस।" उम्मीदवार नेता का ने आयत मोअत्बर कारकून समझकर मैंने अपनी समस्या बता दी। मैंने सुन रखा था कि लीडर से ज्यादा लीडर के चमचों की चलती है।
"बस… ! समझो तुम्हारा काम हो गया। आज वोटिंग का काम खत्म हो जाय। मैं सुबह ही नगरपालिका जाकर मुखादम(जमादार) को भेजता हूं।"
उसने फटाफट वोटर्स लिस्ट से नाम ढूंढकर स्लिप बनायी और हाथ में थमाते हुए बड़ी आत्मीयता से कंधे पर हाथ रखकर फुसफुसाया--
" तुम टेंशन फ्री हो जाओ। संडास सही कराना अब हमारा काम।"
मैं वोट डालकर लौट आया और मोहल्ले के लोगों को खुशखबरी सुना डाली। लोगों की नजरों में मेरी इज्जत बढ़ गयी कि अपने वोट के एवज में मैंने इतना बड़ा काम करा डाला। लेकिन कई दिनों तक शौचालय की हालत में कोई बदलाव नहीं आया। लोग मुझे सवालिया नजरों से देखने लगे। परेशान होकर एक दिन मैं उसके घर पहुंच गया। उसने मुझे आश्वासन देकर लौटा दिया। फिर कई बार उसके घर गया पर वह नहीं मिला। एक दिन अचानक सड़क पर जाते हुए दिखा तो मैंने लगभग दौड़ लगाकर रोका।
"भाई साहब, वो संडास……।"
वह बात पूरी होने से पहले ही भड़क उठा --
"बरखुरदार, इस देश में सिर्फ़ तुम्हारे संडास की ही समस्या नहीं है। और भी बहुत सारी समस्याएं हैं।" फिर उसने कंधे पर बड़े प्यार से हाथ रखा।
"भाई मेरे, देश के सारे लोग बंद कमरे के पीछे तो बैठ नहीं पाते! नाइनटी पर्सेंट मैदानों, रेल की पटरियों और गटरों पर आश्रित हैं। तुम भी वहीं टेंशन फ्री होकर अपनी जगह बना लो। उन नाइनटी में एक और जुड़ जायगा तो कोई आसमान तो फट नहीं जायगा!"
मैंने अपने कंधे से उसका हाथ हटा दिया।
" आप बिल्कुल सही कह रहे हो। हम लोग आप जैसे नेताओं पर आश्रित हैं इसीलिए रेल पटरियों और गटरों पर आश्रित हैं। गलती तुम्हारी नहीं है। मुझ जैसे उल्लू के पट्ठों की ही वजह से हिन्दुस्तान का भाग्य नहीं बदल रहा है।"
