Swati Grover

Abstract Romance Fantasy

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Swati Grover

Abstract Romance Fantasy

हैप्पी वैलेंटाइन डे

हैप्पी वैलेंटाइन डे

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सुमित को लगा पिछली बारिश ने प्यार के नए फूल खिला दिए हैं। मगर ईशा अभी भी उन फूलों को दोस्ती की निग़ाह से ही देख रही है। सुमित की एम.बी.ए. पूरी होते ही उसकी अच्छी कंपनी में नौकरी लग गई । वह अच्छा कमा रहा है । कंपनी उसे बाहर भी भेजना चाहती है, पर उसने ही मना कर रखा है। कहने को बहाना परिवार का है। मगर मजबूरी प्यार की है। ईशा भी किसी पब्लिशिंग हाउस में इंटर्न लग गई है और ऋषभ से ब्रेकअप के बाद अपना मन काम में लगाने की कोशिश कर रही है।

अक्सर सुमित ईशा से मिलता और अपना दिल खोलकर उसके सामने रख देता परन्तु ईशा उसके दिल का कोई टुकड़ा उठाने को तैयार नहीं है। साथ घूमना, शॉपिंग करना और मूवी देखना, ये सब वो अपने दोस्त सुमित के साथ कर रही है। एक दिन दोनों शिप्रा मॉल में लंच कर रहे है। तभी ईशा ने कहा, "कल ऋषभ का फ़ोन आया था, अपने किये की माफ़ी माँग रहा था।" सुमित ने वहीं खाना रोक दिया। क्या कह रहा था , ऋषभ? सुमित को गुस्सा आ गया। बताया तो उसे अफ़सोस है, अपने किये पर। ईशा खाना खाते हुए बोली। तुमने फिर क्या सोचा, वापिस उसी के पास जाने का इरादा है ? सुमित ने ईशा की आँखों में देखते हुए अपना ज़वाब जानने की कोशिश की। अब उस पर भरोसा करना मुश्किल है, वो स्कूल वाला ऋषभ नहीं रहा। अब उसे भी खेल खेलने आ गए है, खैर मुझे अपना मूड ख़राब नहीं करना। ईशा ने बिल मंगाते हुए कहा। अरे ! ईशा मैं दे रहा हूँ न। सुमित ने जेब से कार्ड निकालते हुए कहा। नहीं, तुमने पिछली बार बिल दिया था। अब रहने दो, मुझे अच्छा नहीं लगता। ईशा सुमित को देखते हुए बोली। जब नौकरी पक्की हो जाये, तब दे देना। मैं मना नहीं करूँगा। सुमित ने कार्ड दिया और दोनों मॉल से बाहर निकल आए।

दिन बीतते जा रहे है। एक दिन सुमित अपनी बहन के साथ कनॉट प्लेस में शॉपिंग कर रहा है। उसने ईशा और ऋषभ को कैफ़े कॉफी डे में साथ देखा तो देखता रह गया। उसका मन किया कि अंदर जाकर ऋषभ का मुँह तोड़ दें। मगर वो क्या कर सकता था ? कुछ नहीं ? लगता है वापिसी हो गयी, पहले प्यार की। सुमित मन ही मन कुढ़ता हुआ बोला। कुछ दिनों बाद जब उसने ईशा को फ़ोन कर मिलने के लिए बुलाया तो वह आई, मगर उसे किसी हैंडसम से लड़के की गाड़ी से उतरते देखा तो खुद से कहने लगा कि क्या वो सचमुच इतना पागल है कि इस लड़की के प्यार में दीवाना बनता जा रहा है पर यह तो कुछ और ही सोचकर बैठी हुई है। "हैल्लो सुमित, कैसे हो ? अंदर चले, मैं पहले भी ऋषभ के साथ यहाँ आई हुई हूँ। ईशा आज बहुत ख़ुश है। दोनों अंदर आ गए। क्या! बात है ? बहुत ख़ुश नज़र आ रही हो। क्या कुछ खोया हुआ मिल गया ? सुमित पहले ही ऋषभ का नाम सुनकर चिढ़ चुका है। मेरे बॉस ने कहा है कि मेरी नौकरी पक्की हो सकती है. मैं अच्छा काम कर रही हूँ। ईशा ने चहकते हुए कहा। अभी गाड़ी में किसके साथ थी? आई मीन मुझे कह देती, मैं पिक कर लेता। वो मेरी मम्मी की दोस्त का बेटा आरव था। वो इसी तरफ जा रहा था। इसलिए यहाँ तक छोड़ दिया। अब कुछ आर्डर करें ?

ईशा ऑफिस की बातों के साथ-साथ घर की बातें भी बता रही है। सचमुच बहुत दिनों बाद उसे इतना खुश देखा है। तुम्हें पता है, आरव की मम्मी ने तो मम्मी से मेरा रिश्ता ही माँग लिया। मम्मी ने आंटी को कहा, तुम तो बड़ी खड़ूस सास बनूँगी। कहकर ईशा हँसने लगी। तुम क्या चाहती हो ? कितनों से प्यार का वादा किया है तुमने? कभी ऋषभ, फ़िर आरव और कितने है ? "सुमित से अब रहा नहीं गया, उसके मन का गुबार फूट पड़ा। यह क्या कह रहे हों? दिमाग तो ठीक है न तुम्हारा? यह ऋषभ कहाँ से आ गया ? ईशा को गुस्सा आ गया। मैंने तुम्हें कुछ दिन पहले सी.पी. में उसके साथ देखा था। सुमित की आवाज़ ऊँची हो गई। हाँ! देखा होगा, आख़िरी बार मिलने के लिए बुलाया था, वो और उसका परिवार हमेशा के लिए मुंबई जा रहे हैं। तुम मेरे इतने अच्छे दोस्त हो और तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है। ईशा ने उदास होकर कहा। मैं तुम्हारा दोस्त बनते-बनते थक चुका हूँ, मुझे अब मेरे प्यार का ज़वाब प्यार से ही चाहिए। सुमित ने ईशा का हाथ पकड़ते हुए कहा। ईशा ने झटके से अपना हाथ छुड़ाया और वहाँ से बिना कुछ कहे चली गई।

कई महीनों तक दोनों में बात नहीं हुई। फरवरी का महीना है। सुमित ने इस वैलेंटाइन डे के लिए बहुत कुछ सोच रखा था। पर ईशा ने राब्ता ही खत्म कर दिया। सुमित माफ़ी माँगना चाहता है, कुछ कहना चाहता है। मगर ईशा ने पहले व्हाट्स अप पर नंबर ब्लॉक किया और फ़िर फ़ोन उठाना बंद कर दिया। उसकी दोस्त ने बताया, ईशा और आरव अब साथ-साथ है। सारे प्यार भरे दिन निकल गए और वैलेंटाइन डे भी आ गया और उस दिन सुमित ऑफिस की तरफ़ से दो साल के लिए शिकागों जाने के लिए एयरपोर्ट पर पहुँच गया। साथ में ऑफिस की कलीग दीप्ति है, जो शिकागो में सुमित के साथ एक नया रिश्ता कायम करना चाहती है। दीप्ति तुम अंदर जाओ, मैं ज़रा माँ को फ़ोन कर लो। सुमित ने अपने मोबाइल को देखते हुए कहा। एयरपोर्ट में अंदर जाने से पहले सुमित ने कई बार मुड़कर देखा पर जिसके बारे में उसका दिल सोच रहा है, वह नहीं आने वाली। अब मैं उसे भूलकर जिंदगी में आगे बढूँगा। सुमित ने मानो फैसला लिया। वह एयरपोर्ट के अंदर जाने लगा तभी "हैप्पी वैलेंटाइन डे" सुना तो पीछे मुड़कर देखा। ईशा हाथ में गुलाब लिए खड़ी है। "ईशा तुम ! गुडबाय बोलने आई हो?" सुमित अब भी हैरान है। 

नहीं, मैं तो आई लव यू कहने आई हूँ। आई लव यूँ सुमित। तुमसे दूर रहकर लगा कि तुम्हारे साथ ही रहना है। तुम्हारी आदत हो चुकी है। गुलाब देते हुए ईशा ने कहा। सुमित ने यह सुनते ही ईशा को गले लगा लिया और अचानक बारिश शुरू हो गई। मेरे साथ शिकागो चलोगी? यह पूछते हुए उसने ईशा के होंठ चूम लिए। चलोगी, पर पहले मेरी मम्मी से बात तो कर लो। ईशा ने भी जवाब में उसके होंठ चूम लिए। तुमने इस बारिश को आज बेहद खूबसूरत बना दिया। सुमित ने ईशा की आँखों में देखते हुए कहा। दोनों एक दूसरे के गले लगे बारिश में भीगते जा रहे हैं।


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