हाय रे दैया, कैसी औलाद है भैया
हाय रे दैया, कैसी औलाद है भैया
अंजली की बेटी मिष्ठी, जो उसकी और उसके पति निर्मल की आंखों का तारा थी। उन दोनों ने खूब नाज़ो से उसको पाला था। उसका हर सपना, इच्छा पूरी करने में दोनों पति पत्नी ने कोई कसर नहीं छोड़ी, इसलिए तो उन्होंने मिष्ठी को शहर के सबसे महंगे स्कूल में डाला था| जिसमे अधिकतर प्रशासनिक अधिकारी या फिर मंत्रियोँ के बच्चे पढ़ते थे। मिष्ठी एकदम से उस माहौल में ढल सी गयी। उसको अपनी कार दूसरे बच्चों की ऑडी और दूसरी महंगी गाड़ियों के आगे छोटी लगने लगी। अपने माँ बाप की सरकारी नौकरी अब उसे बहुत अखरती थी। बात बात पर वो अपने अमीर और बिगड़ैल दोस्तों का उदाहरण देती। अंजली और निर्मल को ये सब अच्छा नहीं लगता था। पर वो फिर भी मन मसोस कर उसकी हरकतें बर्दाश्त कर रहे थे।
अब मिष्ठी दसवीं में आ गयी थी। एक दिन बातों ही बातों में उसने अपने पापा से कहा, "पापा आप जब मुझे स्कूल से लेने या छोड़ने आते हो तो प्लीज अपनी गाड़ी को मेरे स्कूल से दूर रखा कीजिये, नहीं तो मेरे फ्रेंड्स के सामने मेरी इज़्ज़त का कचरा हो जाता है।" निर्मल एकटक मिष्ठी को सुन रहा था, पर खामोश था। ये सब सुनकर अंजली के सब्र का बांध टूट गया। उसने मिष्टी को घर से निकलने को कह दिया, पर निर्मल ने बात को संभाल लिया। ये सुन मिष्ठी हैरान थी, क्योंकि जो बात उसने कही थी उसका गहरा अर्थ उसको भी समझ नहीं आया था। निर्मल को अपनी परवरिश पर अब संदेह सा होने लगा, पर अंजली ने हिम्मत नहीं हारी। उसे मिष्ठी को माँ बाप से बात करने का तरीका और संस्कार अच्छे से जो समझाने थे।
अगले दिन अंजली ने मिष्ठी को साफ़ साफ़ कह दिया कि अगर उसको पॉकेट मनी चाहिए, तो उसे पूरे घर की साफ़ सफाई करनी होगी। हर दिन स्कूल जाने से पहले पौधों को पानी देना भी उसकी जिम्मेदारी है। हर रविवार को घर की गाड़ी और बाइक की साफ़ सफाई का जिम्मा भी उसको दिया गया। पहले तो मिष्ठी ने ना नुकुर की, पर जब बात बने नहीं दिखी तो चुपचाप से ये काम करने शुरू कर दिए। अंजली ने निर्मल को साफ़ हिदायत दे दी कि अब मिष्ठी खुद स्कूल से बस में आया करेगी और बस का रोज़ का किराया मैं दे दिया करूंगी। अब बस के धक्के खा खा कर मिष्ठी समझ गयी कि इस बस के सफर से तो अपनी AC वाली कार कई गुना गुना बेहतर थी।
मिष्ठी के व्यवहार में बहुत परिवर्तन आ गया था। अब उसे माँ बाप की नौकरी और गाड़ी से कोई प्रॉब्लम भी नहीं थी। कुछ समय बाद मिष्ठी ने उसी स्कूल से टॉप करके मेडिकल में एडमिशन ले लिया। कुछ समय बाद वो डॉक्टर मिष्ठी बन गयी थी। उसकी शादी एक अच्छे से डॉक्टर लड़के से हो गयी। आज अपनी ग्रहस्थी में रम चुकी मिष्ठी की बेटी तशवी 12 साल की है। अंजली और निर्मल आज मिष्ठी के घर आये हैं, तभी अचानक तशवी आकर बोली, "नानी मम्मी को समझाओ ना कि वो अब मेरे जन्मदिन में मेरे दोस्तों को घर ना बुलाकर किसी मॉल में दिया करें और हर बार खीर पूरी सब्जी ना बनाकर मॉल में पिज़्ज़ा बर्गर खिलाया करें"। ये सुन अंजलि के मुँह से निकला, "हाय रे दैया, कैसी ये औलाद है भैया"। ये सुन अंजली और निर्मल हंस पड़े। अंजली ने मिष्टी को समझाया कि जैसे तुम्हें सही रस्ते पर लाया था, अब बारी तुम्हारी है।
