हार्ट अटैक
हार्ट अटैक
पड़ोस के घर में अफरातफरी का माहौल देख रमेश जी वास्तविकता जानने के लिए जा पहुंचे। पता चला कि शर्मा जी को हार्ट अटैक आया था और एंबुलेंस से उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा था। पड़ोसी धर्म निभाते हुए रमेश जी भी साथ चले गए।
डाक्टर ने चेकअप के बाद स्पष्ट कर दिया कि माइनर हार्ट अटैक था, लेकिन संकट टला नहीं है, आगे क्या करना ये संपूर्ण जांच के बाद ही पता चलेगा।
शर्माजी होश में आ चुके थे। रमेशजी को देखते ही बोले- "बर्बाद हो गया यार, तेरी बात नहीं मानी और आज यहां पहुंच गया।"
"क्यों क्या हुआ, कौन सी बात नहीं मानी तूने यार!"
"तूने पेपर नहीं पढ़ा आज का, अरे! वो कापरेटिव बैंक जिसमें तूने पैसा जमा करने के लिए मना किया था। उसपर ताला लग गया यार! धोखा हो गया मेरे साथ। सारी जमा-पूंजी डूब गई।"
"क्या?? मुझे नहीं पता। कब हुआ ये ?"
शर्माजी पछता रहे थे। बार-बार एक ही बात दोहरा रहे थे कि "तूने सच कहा था कि इनमें इन्वेस्ट मत कर। आजकल बहुत फ्राड हो रहा है। इसमें पैसा लगाना, आ बैल मुझे मार वाली कहावत चरितार्थ करना है। मैंने नहीं सुना।"
रमेशजी चुप थे। क्या कहते ! बस इतना ही बोले "तू अपनी तबियत देख। ये सब मत सोच। अब मैं जाता हूं, शाम को आऊंगा।"
लौटते हुए वे यही सोच रहे थे कि लालच और गलत लोगों के फेर में पड़ कर आदमी स्वयं का कितना नुक्सान कर लेता है जबकि आए दिन ऐसी घटनाएँ सामने आती है। पर जल्दी समय में ज्यादा लाभ के फेर में आ बैल मुझे मार को आमंत्रित करना तो मूर्खता है।
