Vimla Jain

Tragedy Classics Inspirational

4.7  

Vimla Jain

Tragedy Classics Inspirational

गूंगी लड़की की बोलती डायरी

गूंगी लड़की की बोलती डायरी

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जब भी कोई इंसान कोई बच्चे के अंदर विकास में कुछ कमी रहती है तो लोग उसको बहुत मजाक बनाते हैं और उस इंसान को जिसमें वह कमी है उसको बहुत हेय दृष्टि से देखते हैं और मौका मिलने पर उसका अपमान करने से भी नहीं चूकते हैं और खास तौर से अगर परिवार में 5 बच्चों में से एक बच्चा कुछ कमियों का शिकार होता है तो दूसरे सब बच्चे उसके ऊपर हावी हो जाते हैं और उसको परेशान भी करते हैं और उसको कुछ नहीं मानते इसी संदर्भ में प्रस्तुत है एक काल्पनिक कथा जो हमारे आसपास की परिवेश में हुआ हुआ है। वह लड़की जितना उसका स्वभाव सुंदर था।

 उतनी ही वो देखने में और कामकाज में होशियार थी।

उसका नाम दिव्या देखने में बहुत स्मार्ट थी।

उसको देख कर के ऐसा लगता नहीं था कि वह बोल नहीं सकती। जब स्कूल में पढ़ने जाती तो उसकी सब काफी मजाक बनाते थे।

फिर उसके मां-बाप ने उसको गूंगे बहरों के स्कूल में डाल दिया। पढ़ाई में भी बहुत अच्छी थी। वह हमेशा एक डायरी लिखा करती थी।

 उस डायरी में वह हमेशा अपने साथ जो घटित हुआ है और अपने विचार जो अच्छा लगता था वह सब लिखती थी।

लोगों की व्यंग बाणों का निशाना बनते हुए बड़ी हो रहीथी। घर वालों में भी कोई उसको पसंद करता था। कोई उसे बहुत समझता था। और जब नाते रिश्तेदार आते तो तरह-तरह की बातें करते। जवाब तो कुछ नहीं दे पाती, मगर सब कुछ अपनी डायरी में लिखती थी।

हर काम में भी बहुत होशियार थी और जैसे जैसे बड़ी होती गई वैसे उसे और भी सुंदर होती गई। उसकी छोटी बहन भी थी, जो दिखने में तो उससे ज्यादा अच्छी नहीं थी। मगर उसको घमंड था कि मैं बोल सकती हूं। मैं दीदी से बहुत अच्छी हूं।

वह दिव्या से कभी सीधे मुंह बात भी नहीं करती थी। हमेशा उसकी बेइज्जती करती रहती थी। दिव्या को बहुत बुरा लगता था। मगर वह बोलकर कोई तो जवाब नहीं दे पाती, मगर जो भी हुआ है बुरा लगता आंसू पीकर के अपनी डायरी में सब लिख देती थी।

 मगर उसको अपनी बहन से बहुत प्यार था, तो उसकी बहन के लिए बहुत अच्छा अच्छा भी लिखती थी।

 एक बार की बात है वह काफी बीमार पड़ गई तो उसको हॉस्पिटल में दाखिल कराना पड़ा वहां उसकी मां ने उसकी बहुत सेवा करी ,उसको ठीक करने में। दिन-रात भगवान से दुआ मांगती रहती थी, हे भगवान मेरी बेटी की आवाज वापस आ जाए तो कितना अच्छा हो इतनी अच्छी लड़की हो इसकोकरीकोनसे पापों की सजा दे रहे हो। भगवान के सामने ऐसे बात करते-करते उसको डॉक्टर ने सुन लिया था। तब उसको पता लगा कि यह लड़की पहले बोलती थी तो उसने उसकी मां से बात करी।

 वहां पर भी वह थोड़ी भी ठीक होती तो अपनी डायरी लेकर के डायरी लिखने लगती थी।

 उसको जो डॉक्टर ट्रीट कर रहे थे ,वे डॉक्टर उससे काफी इंप्रेस हुए। और वह उस पर ज्यादा ध्यान देने लगे। उनको उसका ट्रीटमेंट करना अच्छा लगता था। जब उसकी मां उसको देखने के लिए आई तो वह सो रही थी ,तो डॉक्टर ने मौका देखकर कि उसकी मां से पूछा कि यह लड़की क्या शुरू से गूंगी थी। शुरू से नहीं बोल पा रही।

तो उसकी मां ने कहा नहीं 10 साल की हुई तब इसको बहुत तेज फीवर आया था और उस बीमारी में इसकी आवाज चली गई। 

उसके बाद में यह खाली इशारों से ही बात करती है।

डॉक्टर ने बोला मैं आपको कल बताऊंगा इसका इलाज हो सकता है। यह बोल पाएगी। उसने दूसरे दिन काफी रिसर्च किया करी दूसरे डॉक्टर से बात भी कर ली होगी और आकर बोला इसका इलाज संभव है। एक छोटा सा ऑपरेशन करना पड़ेगा। 

उसकी मां बोली अगर इसका इलाज हो जाए, उससे बढ़िया तो मेरे लिए कुछ भी नहीं है।

 मैं तो दिन रात इसके लिए यही दुआ मांगती हूं। थोड़े दिन बाद मे दिव्या का गले का ऑपरेशन होता है। और उसकी आवाज वापस आ जाती है। 1 दिन वो लेटी हुई होती है तो उसकी बहन उसके सिरहाने से इसकी डायरी खींच लेती है। 

और चुपचाप पढ़ने लगती है। जैसे-जैसे वे पढ़ती है, वैसे वैसे उसकी अपनी दीदी के प्रति प्रेम और बढ़ता जाता है। आंखों में बहुत आंसू आ जाते हैं कि मेरी दीदी मेरे लिए इतना अच्छा सोचती थी और मैंने उसके साथ में इतना बुरा व्यवहार करा। और उसकी सोच बदल जाती है। दीदी से रो-रो कर के बहुत माफी मांगती है।

और दिव्या उसको गले लगा लेती है। वह बोलती है ,मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता तूने मुझे क्या कहा ,पर तुझे तेरी गलती का एहसास हो गया यही काफी है।

उसको बोलते देख उसकी बहन तो खुशी से पागल हो जाती है।

डॉक्टर जिन्होंने दिव्या का इलाज करा होता है। वे तो पहले ही उसको बहुत पसंद करते थे। उसकी मां से दिव्या का हाथ मांग लेते हैं। उसकी मां भी बहुत खुश होती है। और दोनों की शादी कर देती है।


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