Teena Suman

Abstract Others Children

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गुनगुनाती हुई कुछ यादें

गुनगुनाती हुई कुछ यादें

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"यह क्या टीना ?गिर जाओगी "।

और अपने लड़कपन में बेखबर मैं मां की साड़ी को लपेटे हुए दिन भर घर में घूमती रही ॥

मां के आंचल में कुछ अलग ही सुकून होता है ,ना गिरने का डर ना कोई फिक्र ॥

बचपन से मां को साड़ी में ही देखा है। उनकी सभी साड़ियों में एक अलग ही एहसास और खुशबू होती थी वही जो मां के समीप होने पर होती है।

बचपन पंख लगा कर उड़ गया जवानी की दहलीज पर हम सब खड़े हो गए॥

भाई की शादी में सभी ने अपने कपड़े सेलेक्ट कर लिए थे ।

रह गई थी सिर्फ मैं।

"तेरे भी बड़े नखरे हैं ,चुपचाप एक ड्रेस सेलेक्ट नहीं कर सकती "!

अपने लिए मां की इस बात पर गुस्सा आया और अपनी छोटी-छोटी आंखों को गुस्से में बड़ा करके मैंने मां की तरफ देखा ।

"क्या मां आप मेरे पीछे ही पड़ जाती है ,अब मुझे भाई की शादी के लिए कोई ड्रेस पसंद नहीं आई तो इसमें मेरी क्या गलती है ?मार्केट वालों की गलती है जो उन्होंने अच्छे कपड़े बनाना बंद कर दिया !आपकी बेटी बड़ी समझदार है कुछ अच्छा ही पसंद करेगी अपने लिए"॥

हफ्ते भर तक हर गली ,बाजार ,हर दुकान की दो -दो बार अर्जी देने के बाद ,आखिरकार मेरी नजरें मां की अलमारी में आकर ठहर गई॥

"माँ क्यों ना भाई की शादी में मैं साड़ी पहन लूं "॥

"अच्छा तो यह बात है साड़ियों का तेरा शौक उतरा नहीं है अभी ,बड़ी हो गई पर बचपना नहीं गया !चल ठीक है कल बाजार चलते हैं और तेरे लिए एक अच्छी सी साड़ी लाते हैं ।"

माँ ने प्यार से सर पर हाथ फेरते हुए कहा ।।

मगर मेरा मन कहीं और था -"मां जब साड़ी ही पहननी है तो बाजार से क्यो लाना ,आपके पास तो इतनी प्यारी प्यारी साड़ियां है उन्हीं में से एक ले लूं ।"

इतना सुनना था कि मां की आंखें नम हो गई और जिसका राज शायद माँ ही जानती थी॥

बरहाल मां की स्वीकृति मिल चुकी थी और मैं मां के खजाने में से अपने लिए एक मोती चुन रही थी।

इधर-उधर खोजने के बाद मेरी नजर फिरोजी कलर की इस प्यारी सी साड़ी पर गई ।

ज्यादा भारी नहीं थी सिंपल सादा ,मगर कलर बड़ा प्यारा था॥

"क्या टीना ?इतनी सारी भारी भरकम साड़ियों में तूने यह सिंपल साड़ी पसंद की है ।"

मां मुझे टोकते हुए बोली ।

"अरे मां आपकी बेटी अगर ऐसे भारी-भरकम साड़ी पहनकर चलेगी तो गिर नहीं जाएगी, मुझे शादी में इंजॉय भी करना है हर वक्त साड़ी को नहीं संभालना और आपकी तरह मैं आसानी से साड़ी को कैरी भी नहीं कर सकती ना॥"

मां को मेरी बात से तसल्ली नहीं हुई और शादी की इतनी भागदौड़ में भी वक्त निकालकर मां लग गई उस साड़ी को और भी सुंदर बनाने में ।

एक प्यारी सी लेस और कुछ सितारे और साथ में मां का प्यार साड़ी को और भी खूबसूरत बना गया।

अब बस भाई की शादी में दूल्हा बना भाई और दूल्हे की बहन यानी कि मैं।

वह भी अपनी मां की प्यारी सी साड़ी में ईठलाती हुई॥

हां एक बात और तैयार होने के बाद चुपके से मां ने काला टीका लगाना नहीं भूला।

यह माँ भी ना कुछ अलग ही होती है, और उनसे जुड़ी हर चीज कुछ खास होती है।


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