राम और रहीम
राम और रहीम
राइमा और मैं !हम दोनों सहेलियों ने प्रोग्राम बनाया घूमने का ,वैसे भी पिछले दिनों जो कुछ हुआ मन व्यथित था,, और फिर न्यूज़ आई हमारी सेना ने आतंकवादियों को ढेर कर दिया !तो बस इसी खुशी में हम निकल पड़े ।
आधे रास्ते पहुंचे ही थे देखा सड़क पर एक तरफ जाम लगा हुआ है ।भीड़ को चीरते हुए हम पहुंचे तो देखा, दो बंदे आपस में झगड़ रहे थे ।
पहला बोला -"तूने मेरी गाड़ी को टक्कर मारी है सॉरी बोल "।
दूसरा भी अकड़ के बोला -"मैंने बोला ना गलती तेरी है तू सॉरी बोल "।
दोनों आपस में झगड़ रहे थे ,बोलचाल से पता चल रहा था एक राम और एक रहीम।।
छोटी मोटी तकरार,अब बड़ा रूप लेती जा रही थी ,वहां खड़े लोग भी दो गुटों में बांट चुके थे "राम और रहीम"। अभद्र भाषा और एक दूसरे पर तर्क वितर्क अपने चरम पर था ,हमने वहां ज्यादा देर खड़े रहना मुनासिब नहीं समझा और वहां से निकलने का सोचा।।
तभी हमने देखा !राम ,रहीम को परे धकेलते हुए चिल्लाते हुए भागा -"अरे संभल कर "!!कोई कुछ समझ पाता तभी एक कार तेज रफ्तार में वहां से निकल गई ,,और अगले ही पल हम सब ने देखा ,राम एक 8 साल के मासूम बच्चे को बाहों में भिचे हुए खड़ा है।।
राम बच्चे से "बेटा चोट तो नहीं लगी, ठीक है ना तू और यहां अकेले कैसे खड़ा हुआ है ,लगी तो नहीं तुझे"।।
राम की बातों से अपनापन और हमदर्दी साफ झलक रही थी ,,ध्यान से देखा एक साथ 8 साल का बच्चा ,कुर्ता पजामा पहने हुए सिर पर टोपी लगाए ,अभी भी डर से कांप रहा था ।।तभी रहीम भी वहां आ पहुंचा ,बच्चे को सीने से लगाया और दुलार करने लगा -
"बेटा ठीक है ना तू "।
राम अब रहीम से -"कैसे पिता हो तुम यार, देखना चाहिए था ना बच्चा अकेला सड़क पर खड़ा हुआ है ,अभी कुछ हो जाता तो"!!
रहीम के चेहरे पर घबराहट साफ दिख रही थी बोला- "माफ करना भाई मैं भूल गया था ,लड़ाई में इतना मसरूफ हो गया बच्चे की तरफ ध्यान ही नहीं दिया "।
राम कुछ समझते हुए बोला -"नहीं यार गलती मेरी भी थी मैंने भी तुम्हें कुछ ज्यादा ही बोल दिया ,चलो ठीक है कोई बात नहीं बच्चे का ध्यान रखो "।
राम ने आगे बढ़कर बच्चे को टॉफी दी बच्चे ने मुस्कुराते हुए चॉकलेट ले ली !!माहौल बदल चुका था और मंजर भी ,,जहाँ कुछ देर पहले तूफान वाली हालत थी, अब सब गुलजार था !!
अभी जो हालात है जिस तरह की हवा चल रही है ,,ऐसे में भारत मां के दो बेटों ने इंसानियत और भाईचारे को शहादत से बचा लिया था । यहदहशतगर्दो के मुंह पर एक करारा तमाचा है।।हम दोनों सहेलियां फिर निकल पड़े अपनी मंजिल की तरफ ,और अब कुछ मीठा भी खाना था ,क्योंकि एक और मौका मिल गया था खुशी का।।
