Teena Suman

Crime Thriller

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Teena Suman

Crime Thriller

साया

साया

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ऑटो से नीचे कदम रखा और थोड़ा आगे बढ़ी !

 रह -रहकर एडिटर साहब के शब्दों के साये दिलो दिमाग में घूम रहे थे ,"शालू वह एरिया सही नहीं है,लोग तरह-तरह की बातें करते हैं उस एरिया के लिए,मजहबी दंगे होते हैं,50 तरह की बातें सुन रखी है मैंने उसके एरिया के लिए"!!

 पढ़ा तो मैंने खुद ने भी था अभी कुछ दिन पहले ही पेपर में ,हिंदू मुस्लिम दंगा ,हिंदू मारे गए,मुस्लिमों के घर पर पथराव किया गया ,सिखों को डराया धमकाया जा रहा है,, रह रहकर सारे शब्दों के साए मुझे परेशान कर रहे थे,

 मन ही मन घबरा रही थी।

 खुद पर गुस्सा आ रहा था कहा था सलीम ने-" साथ चलू"। पर मैं भी ठहरी झांसी की रानी -"नहीं मैं संभाल लूंगी", और अब मैं खड़ी थी उसी एरिया में अकेली!!

 हड़बड़ाहट मे मैं चली जा रही थी तभी -"अरे !बहन संभाल के "!दोनों आंखों को फाड़कर देखा 19-20 साल का नौजवान अपनी बाइक रोककर खड़ा है-" दीदी कहां ध्यान था आपका,अभी लग जाती भगवान का शुक्र है वक्त पर ब्रेक लग गया"। खुद पर गुस्सा बढ़ गया था, वाकई में मुझे नहीं आना चाहिए था यहां पर।।

 एक नई गली की तरफ मुड़ गई ,सारे कांड आज ही लिखे थे ,जैसे ही गली में कदम रखा एक कुत्ता पीछे पड़ गया !चिल्लाती हुई भागी वहां से ,तभी मैंने देखा सात-आठ आदमी मेरी तरफ भागे आ रहे हैं ,टोपी ,कुर्ता, पजामा पहने हुए ¡शब्दों के साए से वैसे ही मैं भयभीत थी और अब यह सब डर दुगना हो गया !!अचानक मैंने देखा वह सब उस कुत्ते की तरफ दौड़े चले जा रहे हैं।

 आश्चर्यचकित आंखों से में देखती रह गई ,तभी दो चार लोग और वहां इकट्ठे हो गए -"भाई जान क्या हुआ सब ठीक तो है "¡उन्हीं में से एक ने कहा -"अरे कुछ नहीं आकाश भाई सब ठीक है पागल कुत्ता था भगा दिया"!!मुझे वहीं छोड़ वह सब लोग आपस में मिल आगे बढ़ चुके थे ,पर बातें अभी तक मेरे कानों में पड़ रही थी -"चल आकाश महमूद के यहां चलते हैं आज सिवय्या बनी है"। "हां ठीक है पर उसके बाद सब विकास के यहां चलेंगे, आंटी कह रही थी गुझिया बनाए हैं हम सबके लिए "!

मैं समझ चुकी थी कुछ शब्दों के साए लोग अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं,, मैं पूरी तरह से तैयार थी कल की खबर लिखने के लिए,अब मेरी कलम भी तैयार थी शब्दों के साये पर हमला करने के लिए।


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