गप्पा केन्द्र

गप्पा केन्द्र

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चार मित्र सुबह को मिलते हैं । चारों ही पड़ोसी थे, सैर व योगा करने के पश्चात, जब वे थक जाते थे तो बेंच में बैठकर ,किसी एक विषय पर वार्तालाप करते थे ।

आज का विषय था! काँलोनी की एक लड़की ने, दूसरी जाति के लड़के से कोर्ट मैरिज कर ली थी। उसका परिवार सदमे में था, इस बात को माता-पिता ने दिल पर ले लिया था।

एक मित्र ने कहा " लड़की को शर्म आनी चाहिए। उसके मां-बाप ने कितनी तकलीफ़ सहकर ,उसे पढ़ाया-लिखाया, काबिल बनाया और जब परिवार को, उसकी सहायता की जरूरत थी तो वह, शादी करके परिवार से अलग हो गई। भई स्वार्थ की हद है। "

दूसरे मित्र ने कहा "देखिए लड़की का देाष नहीं है। आज की जनरेशन अपना स्वार्थ देखती है! उनको नहीं समझना कि उनके किसी काम से, परिवार पर क्या बितेगी, कौन पिंजरे में कैद रहना चाहता है, किसी को भी नियम व बंधन पसंद नहीं है।"

तीसरा मित्र बोला "एक बात पक्की मानकर चलिए कि प्रेम संबंध एक दिन में स्थापित नहीं होता, लड़की और लड़का क्या कर रहे हैं ,क्या नहीं कर रहे हैं। यह उसके परिवार को पता होता है, किन्तु उन्हें सही मार्गदर्शन न परिवार देना चाहता है और ना ही युवा वर्ग बुजुर्गों से परामर्श लेना चाहता है, नाहीं उनसे अपनी बात शेयर करना चाहता है! सही निर्णय न लेने के कारण ,युवा वर्ग में कुंठा ,निराशा,असफलता बढ़ती जा रही है!आत्महत्या की दर बढ़ने का,यह भी एक बड़ा कारण है।

चौथे मित्र ने सबकी बात सुनकर कहा "आप लोग किस लड़की की बात कर रहे हो !"उत्तर मिला "अरे वो अभी-अभी नये किराये से आये हैं ,उनकी लड़की जो एम.बी.ए.कर रही है,उनकी। उस लड़की ने तीन दिन पहले ही कोर्ट मैरिज कर ली है, जेा गली के कोने में रहते हैं।

मित्र ने कहा " मित्रों आपकी जानकारी सही नहीं है, किरायेदार की कोई लड़की नहीं है। उन्हें एक लड़का है और वह डाँक्टरी की पढ़ाई कर रहा है, वे भले लोग हैं, हमें पूरी बात पता करने के बाद ही,बोलना चाहिए । यह तो गप्पा मारने की हद हो गई ।"


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