Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Nisha Singh

Comedy

4.5  

Nisha Singh

Comedy

गोल गोल दुनिया भाग-2

गोल गोल दुनिया भाग-2

3 mins
322


रास्ते भर मैं उन्हें कोसता रहा। दूसरे दिन स्कूल पहुँचा तो सबसे पहले जाकर उनसे मिला। 

“क्या भाई साब आपने तो सबके सामने मेरा तमाशा ही बना डाला।” काफ़ी सख़्त लहज़े में मैंने उनसे पूछा।

मुझे गुस्से में देख कर पहले तो वे कुछ सकपका से गये फिर बात सम्भालते हुए बोले-

“अरे भाई बड़े गुस्से में हो ऐसा क्या हो गया ?”

“आप पूछते हो कि क्या हो गया... आपने सबको बता दिया कि...”

इससे ज्यादा कुछ कहने की मुझे ज़रूरत नहीं पड़ी। वे आप ही सब समझ गये।

“अरे भाई तुम गलत समझ रहे हो। मैंने सबको नहीं बताया। वो तो मैं जब प्रिंसिपल साब को बता रहा था तब वहाँ एक दो लोग और भी थे तो उन्होंने सुन लिया। और फिर तुम फ़िक्र मत करो हम सब एक परिवार हैं। अच्छा है कि और लोगों को पता है ज़रूरत पड़ी तो काम ही आयेंगे।” हंसते हुए उन्होंने कहा।

ख़ेर उनकी बातों के माया जाल में मैं अच्छी तरह फंस गया। पर ये माया जाल भी ध्वस्त होने में अधिक समय नहीं लगा।

एक दिन की बात है। स्कूल की छुट्टी होने वाली थी। मैं अपनी क्लास खत्म करके बाहर निकला ही था कि मैंने चिल्लाने और मारने पीटने की आवाज़ें सुनीं। पास जा कर देखा तो पता चला कि गुस्से में लाल पीले हुए हमारे शर्मा सर 12वीं क्लास के एक लड़के को लगातार पीटे जा रहे और कहते जा रहे-

“अरे मंजनू के नाती... रोमियो की औलाद, बताऊँ तुझे मैं अच्छी तरह... आशिकी करेगा... दूध के दांत टूटे नहीं और चले मोहब्बत करने। तुम न्यारे जवान हुए हो, और तो कोई जवान हुआ नहीं यहाँ।”

इससे पहले कि उस लड़के की पिटने की क्षमता समाप्त होती मैंने उन्हें रोक लिया।

“अरे सर ये क्या कर रहे हैं आप?” कहते कहते मैंने उनका हाथ पकड़ा और लड़के को जाने का इशारा कर दिया।

“अरे आपको नहीं पता कि इसने क्या किया है?” कहते हुए उन्होंने सारी बात बता दी कि उसने ऐसा क्या किया कि ये अहिंसा के पुजारी उस पर हाथ उठाने के लिये मजबूर हो गये।

“अरे सर जाने भी दीजिये ये तो उम्र ही ऐसी होती है।” कह कर मैंने उन्हें समझा दिया और इस बात का आश्वासन ले लिया कि वे इस बात की चर्चा किसी से भी नहीं करेंगे। कल स्कूल मे किसी ने पूछा तो कह देंगे कि लड़का शैतानी कर रहा था इसलिये पीटा।

दूसरे दिन स्कूल पहुँचा तो गुप्ता मैडम फिर मिल गईं। और ‘अरे सर...’ कहते हुए उन्होंने कल की पूरी घटना कन्फ़र्म करने के लिए मुझे सुना डाली कि कल शर्मा सर ने किस प्रकार एक लड़के को मोहब्बत के इज़हार के जुर्म में कूटा। उनके बताने के अंदाज़ से ही मैं समझ गया कि ज़रूर इन्होंने देखा है, तभी इस तरह की बातें कर रही हैं। पर मुझे उनकी ये बात अच्छी नहीं लगी। उन्हें समझाने के लिये मैंने कहा-

“देखिये मैडम बच्चों की बातें हैं जाने दीजिए। मुझे कहा कोई बात नहीं मैं तो वहीं था किसी और से मत कहना।”

“मैं तो नहीं कहूँगी पर आप शर्मा सर को कैसे रोकेंगे।वो नहीं मानने वाले।”

“अरे नहीं मैडम मैंने उनको मना कर दिया है वे किसी से नहीं कहेंगे।”

मेरी बात सुन कर वे हंसती हुई बोलीं ”कैसी बातें कर रहे हैं आप... मुझे तो उन्होंने ही बताया है।”


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