STORYMIRROR

Vimla Jain

Tragedy Inspirational

2  

Vimla Jain

Tragedy Inspirational

गलतफहमी से बिगड़े रिश्ते

गलतफहमी से बिगड़े रिश्ते

3 mins
56

बस इतनी सी बात थी। सही है, हम जरा जरा सी बातों पर एक दूसरे के मन में क्या है, यह जाने बिना ही एक दूसरे से दूर हो जाते हैं। और जब हमको वह बात पता लगती है ।तब तक बहुत देर हो जाती है। और वापस संबंधों में गांठ पड़ी हुई जुड़ नहीं पाती है। सच में संबंधों में पारदर्शिता लाने के लिए एक दूसरे की बात को समझना ना पसंद ना समझ आए तो पूछना, कि वह क्या कहने ,यह क्यों किस कारण से कह रहा है। वह बहुत जरूरी है। अपनी तरफ से ही मन से अनुमान लगा लेना कभी-कभी बहुत ही नुकसान भरा, और संबंधों को तोड़ने तक पहुंच जाता है ।

इसी तरह की एक कहानी मैं आज आपको बता रही हूं।

एक ननद की पाती अपनी भाभी के नाम। जो कभी उसकी अच्छी दोस्त हुआ करती थी। मगर एक गलतफहमी के कारण दोस्त झगड़ालू ननद भाभी बन गई।

प्यारी भाभी

आशा है तुम अच्छी होंगी । भाभी मैंने सोचा नहीं था की एक बात से तुम इतनी ज्यादा परेशान और दुखी हो जाओगी कि अपना व्यवहार ही बदल दोगी घर वालों के साथ। तुमने यह जानने की कोशिश नहीं करी कि, मैंने मेरे भाई को तुमसे शादी करने को क्यों मना किया। तुमने यह सोच लिया कि मैंने मना करा मतलब मैं तुमको पसंद नहीं करती ।नहीं भाभी बात वह नहीं थी।

बात थी अपनी अपने परिवार के आर्थिक स्तर के असमानता की। कहां तुम ऐशो आराम में जीने वाली रोज नई नई गाड़ियां बदलने वाली धनाढ्य परिवार की लड़की।

और कहां हमारा अपर मिडिल क्लास परिवार जहां साइकिल और स्कूटर बदलने में भी सोचा जाता था।

फिर हर घर में शादी से पहले स्वीकृति के लिए परिवार जन से पूछा ही जाता है। तो वही मेरा प्यारा दोस्त मेरे भैया ने मेरे से पूछा, तो मैंने तुम्हारी भलाई और परिवार की भलाई के लिए यह बात बोली थी कि लड़की अपने घर के लिए अनुकूल नहीं रहेगी ।

मगर शायद तुम्हारे जोग संजोग हमारे घर में थे तो तुम से भैया की शादी हो गई ।

तो मेरी प्यारी भाभी मगर जिस दिन से भैया मैं तुमसे मजाक मजाक में यह बोला कि मैंने शादी के लिए मना किया था ।

तो तुमने बिना मुझसे पूछे ही अपने मन में मेरे प्रति और परिवार वालों के प्रति एक गांठ बांध ली। और तुम्हारा वह रवैया ही बदल दिया जो पहले था। 

अरे तुम मुझसे एक बार पूछ तो लेती। मैंने तुमको कितनी बार बताने की कोशिश करी मगर तुम मेरी बात सुनने को भी तैयार नहीं थी।

बात इतनी सी थी मगर तुमने उसको इतने दिल से लगाकर इतना बड़ा कर लिया कि, आज तक भी तुम्हारे से पहले जैसा दिल नहीं जुड़ पाया।

 भाई साहब भी आप को समझाते समझाते भगवान को प्यारे हो गए। मगर आप इस बात को नहीं समझा कि मैंने क्यों मना करा। मुझे इस बात का बहुत दुख है, कि इतनी सी बात आप नहीं समझ पाए जो आपके हक में थी।

 अच्छा भाभी आपको बुरा लगा उसके लिए सॉरी। आप अच्छे रहना आपकी दोस्त जो कभी थी,

अब आप की ननद।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy