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Bhanu Soni

Abstract

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Bhanu Soni

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ग्लोब पर मास्क

ग्लोब पर मास्क

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नीता अपने कमरे में काम में व्यस्त थी। समय जैसे भागे जा रहा था, उसे जल्दी सारे काम निपटा कर हाॅस्पिटल जाना था। नीता पेशे से डॉक्टर हैं, और अभी पूरे देश में

महामारी का जो दौर चल रहा है, उसके चलते उसकी जिम्मेदारिया बहुत हैं। पीछले 15 दिनों में आज ही तो घर आयी थी वो, अपनी बेटी को देखने पीछले 2 दिनों से बुखार जो था उसे, ओर अभी ज्यादा बड़ी भी तो नहीं थी, सिर्फ तीन साल की ही तो थी।

उसका एक मन तो यही सोच रहा था, कि उसे इस हाल में छोडकर कैसे जा पाएगी।

लेकिन कोरोना महामारी के चलते अपने फर्ज को भी नहीं भूल सकती थी वह....

मातृत्व और कर्तव्य के जाल में उलझी वह अपने काम में लगी थी.... तभी उसकी बेटी हाथ में कुछ लिए कमरे में आयी और बोली...

मम्मा इसे क्या कहते हैं ?

नीता ने देखा उसके हाथ में ग्लोब था।

नीता :यह कहाँ मिला तुम्हें??

बेटी :छोटु भैया के पास, अब बता दो ना क्या कहते हैं?

नीता :पहले अपना मास्क लगाओं

बेटी :मास्क लगाते हुए, अब बताओ....

नीता :ग्लोब

बेटी :गिलोब...... बो क्या होता हैं ?

नीता :हँसते हुए, इसमें हम पूरी दुनिया को देख सकते हैं।

बेटी :अच्छा तो ये पूली दुनियां हैं ?

नीता :हाँ

बेटी :मम्मा आप वापस जा रही हो ?

नीता :हाँ, (ग्लोब दिखाते हुए) इस पूरी दुनिया को सुरक्षित जो करना है।


यह कहते हुए नीता बाहर चली जाती है।

थोड़ी देर बाद उसकी बेटी उसके पास आती है, और बोलती हैं.....

मम्मा आपको जाने की जरुरत नहीं है, दुनियां सुरक्षित हो गयी।

नीता :दुनियां सुरक्षित हो गयी ?

बेटी :हाँ

नीता :फिर तुमने अपना मास्क कहाँ रख दिया

बेटी :मैने उसके पूरी दुनिया को सुरक्षित कल दिया, आपने ही बोला था, मास्क से हम सुरक्षित रहते हैं।

नीता उसकी बातों को बचपना मान अपने काम में लगी रहती हैं। बाहर का काम खत्म कर जब कमरे में वापस आती हैं, तो क्या देखती है, उसकी बेटी ने अपना मास्क

उस ग्लोब पर लगा रखा था, जो वह छोटु के कमरे से लायी थी।


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