Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win

अजय '' बनारसी ''

Inspirational

3  

अजय '' बनारसी ''

Inspirational

गिलहरी

गिलहरी

4 mins
275


इन दिनों लॉक डाउन पुरे देश में चल रहा है I हम सभी अपने घरों में बैठकर देश में होनेवाली हर गतिविधि को टीवी और सोशल मीडिया के द्वारा देख और सुन रहें हैं I लॉक डाउन शुरू होते ही देश के प्रसिद्ध चैनल दूरदर्शन ने जो की देश के हर कोने तक है; जनता की मांग पर लगभग तीन दशक पीछे के कार्यक्रमों के प्रसारण का निर्णय लिया और सरकार ने इसके लिये जनता की मांग को स्वीकार भी किया I

तीन दशक पूर्व धूम मचा रहे धारावाहिकों में रामायण,महाभारत,बुनियाद,शक्तिमान,देख भाई देख इत्यादि का प्रसारण हो रहा हैं I जनता इससे बहुत खुश हैं क्योंकि अपने ड्राइंग रूम, झोपडी ,कमरे में वह आज की पीढ़ी के साथ यह सब कार्यक्रम देख रही है और जहां आजकल की भागदौड़ और प्रतिस्पर्धा में लोगों के पास अपने परिवार के साथ समय बिताने का मौका नहीं मिलता था I यदि समय मिलता भी था तो किसी वाटर पार्क ,रिसोर्ट में जाकर अपना समय व्यतीत करते थे I लेकिन आज ऐसा समय है कि सभी एक साथ हैं और माता पिता खुश हैं I उन्हें अपने बचपन और पुराने दिनों के कार्य्रकम से जोड़ रहे हैं I उन्हें इसके बारे में बता भी रहे हैं I

तीन दशक पहले के धारावाहिक का अपना एक अलग अंदाज़ था I उन्ही धारावाहिकों में रामायण एक मील का पत्थर साबित हुई है I मुझे याद है लोग एक दुसरे के घरों में इसे देखने जाया करते थे I सड़के सुनी हो जाती थी I उसके बाद टीवी देश के शहरो से होते हुये गाँव गाँव तक पंहुच गई I गाँव में बिजली की अनियमितता होने पर वहां लोग बैटरी या जनरेटर का उपयोग करते थे और इस कार्यक्रम को देखते थे I उसके बाद नये टीवी चैनल आये और उसका स्वरुप आप सभी के समक्ष है I

आजकल में ही रामायण में एक प्रसंग आया रामसेतु का ; रावण की लंका पर चढ़ाई करने के लिए नल नील दो बंदरो की सहायता से पूल का निर्माण किया गया I जिन्हें यह वरदान था कि उनके हाथ से पत्थर भी समुद्र में तैरेगा I इसी कार्य में सभी वानर सेना पहाड़ों से पत्थर इकट्ठा कर नल और नील को दे रहे थे, जिससे पुल का निर्माण हो रहा था I इसी प्रसंग से गिलहरी की याद ताज़ा हो गई I जब राम सेतु का निर्माण हो रहा था तब एक गिलहरी अपने शरीर को समुद्र में गीला करके वहाँ स्थित बालू में लोटकर पूल के पत्थरों में बालू अपने शरीर को झटककर पंहुचा रही थी I एक प्रकार से पूल के निर्माण में अपना योगदान दे रही थी I

इतनी बड़ी वानरसेना, हनुमान, सुग्रीव, नल नील के होते हुये गिलहरी का यह प्रयास ऊंट के मुंह में जीरे के सामान था, लेकिन इसका एक बड़ा सन्देश यह भी है,कि किसी भी लड़ाई में छोटा सा योगदान भी बहुत बड़ा हो जाता है I जैसा की गिलहरी के इस अद्वतीय प्रयास से हम समझ सकते हैं I आज देश में कोरोना नामक वैश्विक महामारी का प्रकोप हैं और हम सभी सामाजिक दूरी को बनाये हुये तालाबंदी को सफल बनाने का सार्थक प्रयास कर रहे हैं I लेकिन मीडिया और सोशल मीडिया या आसपास से ज्ञात हो रहा है कुछ लोग इस आपदा में ज़रूरतमंदों को निस्वार्थ सहायता दे रहें है अपितु उनके पास जो भी है तन, मन या थोडा बहुत धन वो इस सामाजिक कार्य में सवा अरब की आबादी वाले इस देश पर आये कुछ लोग जो गिनती में मुट्ठी भर ही हैं, इस संकट में अपना कार्य ठीक उसी गिलहरी की भांति कार्य कर रहे हैं जैसे पुल के निर्माण में गिलहरी ने किया था वैसे वानरी सेना की भांति प्रसाशन भी अपनी पूरी ताकत लगा रही हैं I देश के सभी राज्य के सरकारी-गैर सरकारी तंत्र पुरे हिम्मत से जुटे हुये हैं जैसे राम की सेना जुटी थी I लेकिन इन गिलहरियों के बिना यह काम अधुरा है और आने वाले समय में इन महत्त्वपूर्ण लोगों को भी वैसे ही याद किया जाएगा जैसे रामसेतु से गिलहरी को याद किया जाता हैं I


Rate this content
Log in

More hindi story from अजय '' बनारसी ''

Similar hindi story from Inspirational