गहना
गहना
"अरी निर्मला ,तेरी बहू तो एक जोड़ी कपड़ों में ही आ गयी। इसके बाप ने तो कन्यादान में भी एक भी गहना नहीं दिया। बड़े कंजूसों से रिश्ता जोड़ा है। ",काकी सास ने मुँह बिचकाते हुए कहा।
"अरे काकी जी ,बहू के गहने आपको दिखाई नहीं दे रहे हैं। शिक्षा और संस्कारों के गहने पहनाकर विदा किया है ;हमारे समधी जी ने। अपना सबसे क़ीमती गहना हमें बिना मोल ही दे दिया। ऐसे समधी सबको मिले। "
निर्मला की बातों ने काकी की जुबान पर ताला और नयी नवेली दुल्हन के अधरों पर मुस्कराहट खिला दी थी।