घमंड का अंत
घमंड का अंत


भवानीपुर में नितिन नामक का एक होनहार लड़का रहता था। वह अभी 10वीं कक्षा में पढ़ रहा था। वह हर फील्ड में आगे था। सब गुरुजी उसकी बहुत तारीफ़ किया करते थे। माता-पिता, दोस्त, रिश्तेदार सब उसकी प्रशंसा किया करते थे। धीरे-धीरे नितिन खुद पर घमंड करने लगा। वह दूसरे सभी लड़कों को अपने सामने तुच्छ समझने लगा। जैसे-जैसे समय निकलता गया। उसका घमंड और बढ़ने लगा। वह समझता गुरुजी को भी कुछ नहीं आता है। गुरुजी से भी वह ज़्यादा होशियार है। वह उसके पापा से भी बहस करता, पापा आपने मुझे इस छोटे से गाँव में क्यों रख रखा है। उसकी हरकतों से धीरे-धीरे सारा गाँव परेशान होने लगा। एक बार नितिन अपनी साइकिल से स्कूल जा रहा था। उसी की स्कूल की कक्षा 6 की मोनिका भी पैदल स्कूल जा रही थी। नितिन अपनी घमंडी दुनिया में ही खोया हुआ था। उसने मोनिका को टक्कर लगा दी जिससे मोनिका के पैर में मोच आ गई। फिर भी उसने अपनी ग़लती नहीं मानी, उसे भला बुरा कहते हुए, बिना उसकी मदद किये हुए, वह वहां से चला गया। एक दिन नितिन अपने ननिहाल से अपने गाँव आ रहा था। उसे पहले से ही बुखार आ रही थी। गाँव आते-आते उसे अंधेरा हो गया। उसका घर बस स्टैंड से 2 किलोमीटर दूर था। ऊपर से बिजलियाँ कड़क रही थी और बहुत तेज बारिश हो रही थी। नितिन के पास फ़ोन भी नहीं था। घर पर उसने बोला भी नहीं था की, वह आ रहा है। ननिहाल में मामा को भी उसने कसम दे रखी थी की, घर पर न बताये की वह आ रहा है। वह अपने पापा-मम्मी को सरप्राइज़ देगा। 1 घण्टे तक नितिन ने बारिश रुकने का इंतज़ार किया। बारिश भी उसकी परीक्षा ले रही थी। बारिश तेज पर तेज होती जा रही थी। रात के 9 बज गये थे। नितिन ने हिम्मत करके घर पर जाने का निश्चय किया। वह कुछ दूर गया, बुखार की वजह से वह चक्कर खाकर बेहोश होकर गिर पड़ा। वह जहां गिरा, वहां मोनिका का घर था, जिसे नीतिन ने कुछ दिनों पहले अपनी साइकिल से टक्कर मारी थी। नितिन के गिरते ही धम्म की आवाज़ आई। मोनिका बाहर आई तो उसने देखा नितिन बेहोश होकर गिरा पड़ा है। मोनिका ने अपने पापा को आवाज़ लगाई। उसके पापा नितिन को अंदर लेकर आये। नितिन के सरसों के तेल से मालिश की। कुछ समय बाद उसे होश आया। मोनिका, उसके लिये हल्दी का गर्म दूध बना लाई। मोनिका के पापा ने घर पर पड़ी बुखार की टेबलेट फ्लोक्सिन नितिन को दी,नितिन ने टेबलेट लेकर हल्दी का गर्म दूध पिया। कुछ समय बाद उसकी बुखार उतर गई, वह अब अपने को ठीक महसूस कर रहा था। अब उसकी आँखों मे पछतावे के आँसू भी थे। वो रोते हुए मोनिका से सॉरी बोल रहा था। मोनिका के पापा से बोला अंकल प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो। मैं बहुत घमंडी हो गया था। मैंने मोनिका को साइकिल से टक्कर लगाई, और इसे गिरने के बाद उठाया भी नहीं था। इसी मोनिका ने मेरे गलत व्यवहार के बावजूद मेरी मदद की। मैं सदा इसका व आपका आभारी रहूँगा जिन्होंने मेरे घमंड का अंत कर दिया। मोनिका के पापा बोले, बेटा कोई बात नहीं सुबह का भूला शाम को वापिस घर आ जाये तो उसे भूला नहीं कहते है। वैसे भी आदमी सामाजिक प्राणी है, दुनिया में हर आदमी का अपना महत्व है। आदमी को कभी घमंड नहीं करना चाहिये। एक आदमी का दूसरे आदमी से कभी भी कोई काम पड़ सकता है। सुबह होते ही नितिन अपने घर पहुँचा। घर पर जाते ही उसने पापा को अपनी आपबीती बताई। रोते हुए वह पापा मुझे माफ़ कर दो। मैं बहुत घमंडी हो गया था। पापा बोले, कोई बात नहीं बेटा, मुझे वापिस मेरा बेटा नितिन मिल गया है। अब तेरे घमंड रूपी रावण का अंत हो चुका है।