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Kumar Vikrant

Tragedy

3  

Kumar Vikrant

Tragedy

गेमर

गेमर

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"रीता तुम्हें अदिति को पीछे से कस कर पकड़ना है, गले में फंदा डालकर पंखे से मैं लटका दूँगा उसे। इसके बाद शादी के इस नामुराद बंधन से आज़ादी मिल जाएगी मुझे।" विशाल ने अपने घर का मुख्य दरवाज़े का लॉक खोलते हुए कहा। "तुम्हारी बेटी का क्या होगा....?" रीता ने कुटिलता के साथ पूछा।

"जो उसकी माँ का होगा....." विशाल थोड़ा चिढ़ते हुए बोला और धीरे से मेन डोर खोल रीता के साथ घर में घुस गया।"अगर तुम्हारी पत्नी ने बेडरूम अंदर से लॉक कर रखा होगा तो?" रीता ने धीमे से पूछा।

"नहीं अंदर से लॉक नहीं करती है वो, रोज लेट आता हूँ तो सिर्फ लॉक करके सो जाती है वो, तुम रुमाल को क्लोरोफॉर्म से भिगा लो।" विशाल अपने बेडरूम का लॉक खोलते हुए बोला।

दरवाज़ा खोल कर वो दोनों बेड पर सोती माँ और आठ साल की बच्ची पर झपटे। विशाल ने क्लोरोफॉर्म से भीगा रुमाल अदिति के मुंह पर रख दिया और रीता ने बच्ची के मुंह पर क्लोरोफॉर्म से भीगा रुमाल रख दिया।

अदिति के शरीर को ढीला पड़ते देख विशाल ने वार्ड रोब से अदिति की एक साड़ी निकाली और उसके एक सिरे पर फंदा बना कर अदिति की गर्दन में डाल दिया और रीता को इशारा कर उसे अदिति को पीछे से पकड़ने को कहा। रीता ने फुर्ती के साथ अदिति को पीछे से पकड़ कर उसे बिस्तर पर खड़ा किया। लेकिन तब वो हुआ जिसकी उन दोनों को उम्मीद न थी। अदिति ने लापरवाह हुए विशाल को एक जोरदार लात मारी जिससे विशाल बिस्तर से नीचे जा गिरा। अदिति ने रीता को भी धक्का देकर बिस्तर से नीचे गिरा दिया और वो सिरहाने रखी लोडेड गन की और झपटी, इससे पहले वो संभलते अदिति ने फायर कर दिया। गोलियां उनके शरीरों से टकराते ही उनकी आँखों के आगे अँधेरा छा गया,जब विशाल की आँख खुली तो वो कर्नल दर्रे से दूर भयानक काली घाटी के नखलिस्तान में बने उसके फार्म हाउस की लॉबी में एक कुर्सी से बंधा हुआ था, उसके पास की कुर्सी पर रीता बंधी हुई थी जो अभी बेहोश थी।

"आ गया होश?" अदिति की शांत आवाज़ लॉबी में गूँज गई।

एक पत्नी के तौर पर अदिति जैसी स्वावलम्बी महिला आज तक समझ नहीं पाई थी कि उसके समर्पण में प्रेम में क्या कमी रह गई कि विशाल उसे धोखा देकर रीता जैसी स्वछन्द विचारों की महिला को अपना सर्वस्व मान बैठा। उसके देखते-देखते वो अपना टिंबर का कारोबार, जायदाद सब रीता पर लूटा बैठा। विल सिटी का ये घर कभी अदिति के पिता ने उसे उपहार स्वरूप दिया था और विशाल कब से इस बड़े घर को बेचकर किसी फ्लैट में शिफ्ट होने की ज़िद कर रहा था, ताकि बेचने से आई रकम से वो अपना ठप्प हुआ कारोबार शुरू कर सके। लेकिन पिता के दिए इस उपहार को बेचकर उनकी दिवंगत आत्मा को कष्ट नहीं पहुँचना चाहती थी। यह घर उनके मध्य विवाद का कारण बनता जा रहा था, एक दिन ये विवाद इतना बढ़ गया कि विशाल ने बेदर्दी से उसका गला दबाते हुए कहा था कि- "इस घर का इतना लालच न करो, अगर मर जाओगी तो भी तो ये घर मेरे ही नाम होगा और तब मैं इसे बेचकर अपना कारोबार फिर से खड़ा करूँगा, उसकी धमकी को अदिति ने गंभीरता से लेना उचित समझा क्योंकि अब विशाल के पास रीता के ऊपर खर्च करने को पैसा नहीं था और इस घर को पाने के लिए विशाल उस रीता के साथ मिलकर उसे और उसकी बेटी को मार सकता था। इसलिए वो रात को सतर्क थी और विशाल को रीता के साथ उनके बैडरूम में घुसते देख सतर्क हो गई थी और विशाल के थोड़ा सा लापरवाह होते ही उसने उन दोनों पर हमला करना ही उचित समझा था। अदिति के हाथ में अभी भी वही गन थी, उसका माथा सूना था, हाथों में एक भी चूड़ी न थी, मांग उजड़ी हुई थी।

"तुमने मुझे मारना चाहा लेकिन मार न सके, मैं तुम्हें मार नहीं सकती थी इसलिए गन में रबड़ के कारतूस थे...." कहते हुए अदिति की आँखों में आँसू आ गए। "बकवास बंद कर......" विशाल अदिति को घूरते हुए बोला।

"तुमने इस औरत के लिए मुझसे छुटकारा माँगा, मैंने तुमको जाने दिया, तुमने प्रोपर्टी इस औरत के नाम कर दी, मैं चुप रही। लेकिन उस घर को खाली कराने के लिए मुझे और अपनी बेटी को भी मारने चले आये......" अदिति रोते हुए बोली।

"मेरी प्रॉपर्टी है, मेरा पैसा है जिसे दिल करेगा उसे दूँगा।" विशाल गुस्से से बोला।

"तो मैं और यशा तुम्हारे दुश्मन है जो हमें मारने आये थे।" अदिति ने रोते हुए पूछा।

"चुप हो जा और आज़ाद कर मुझे....." विशाल गुर्रा कर बोला।

"मिल जाएगी आज़ादी, मैं तो इस औरत के होश में आने का इंतजार कर रही थी।" रीता को होश में आता देख अदिति बोली और उनके सामने रखी मेज पर पानी से भरे तीन गिलास रख दिए।

"तुम दोनों जुएँ के बहुत बड़े-बड़े दाँव लगाते हो न, आओ एक दाँव, जिंदगी का दाँव मेरे साथ खेलो......" अदिति एक काँच की छोटी शीशी से चीनी जैसे क्रिस्टल मेज पर रखे तीन गिलासों में से दो में डालते हुए बोली।" कैसा दाँव, क्या बकवास कर रही है।" विशाल गुर्रा कर बोला।

"इन तीनों पानी के गिलासों में से दो गिलासों में मैंने वो जहर मिला दिया है जो इंसान को तीन मिनट से कम समय में मार देता है, अब ये तीन गिलास है और हम तीन।" कहते हुए अदिति ने एक जैसे दिखने वाले गिलासों को आपस में इस तरह मिला दिया कि किन दो गिलासों में जहरीला पानी था और किस एक में सादा पानी, ये पता लगना मुश्किल था।

"हम तीन, तो.....?" रीता उलझे से स्वर में बोली।

"हाँ, हम तीन, ये पानी हमें पीना है, दो को मरना है और किसी एक को जिंदा बचना है।" रीता गन का बुलेट चैंबर चेक करते हुए बोली।

"तू जबरदस्ती पिलाएगी ये पानी हमें?" विशाल ने गुस्से के साथ कहा।

"नहीं ये गन मदद करेगी, कल रात इसमें रबड़ वाले कारतूस थे लेकिन अब असली है, या तो तुम ये पानी पिओगे या गोली खाकर मरोगे।" कहते हुए अदिति ने एक फायर रीता के ऊपर किया, गोली उसके कान को छूकर निकल गई और उसके कान से खून निकल आया। "तू..." रीता ने दर्द से चीखते हुए अदिति को गाली दी।

"क्यों कर रही हो तुम ये सब?" विशाल ने खौफ से अदिति की और देखते हुए कहा।

"तुमने मुझे और मेरी बेटी को मारना चाहा, इसलिए मुझे अपनी जान बचाने का पूरा हक है। लेकिन इस लॉबी में हम तीन में से कोई दो तो गलत है, या तो तुम दोनों या मैं और तुम या ये औरत और मैं। इसलिए दो को तो मरना ही होगा, कोई एक ही जिंदा निकलेगा अब इस फार्म हॉउस से। तुम्हारे जैसे गेमर को दाँव लगाने का मौका दे रही हूँ मैं, तुम दोनों के साथ मैं भी अपनी जिंदगी दाँव पर लगा रही हूँ, इसलिए या तो इस गन की गोली से मरो या ये गेम खेल कर देखो, मर भी सकते हो और बच भी सकते हो।" कहते हुए अदिति के चेहरे पर एक वीभत्स मुस्कराहट आ गई।

"मुझे छोड़ दो मैं तुम दोनों के बीच नहीं पड़ूँगी..." "रीता घबराहट के साथ बोली।"तूने मेरी बेटी को मारने की कोशिश की तो इसे पानी तू ही पिलाएगी।" कहते हुए अदिति ने रीता का एक हाथ खोल दिया और गुर्रा कर बोली, "पिला पानी इसे।"

"गेम खेलना है तुझे तो खुद ही क्यों नहीं पीती पानी का एक गिलास।" विशाल अदिति को उकसाते हुए बोला।

अदिति ने दोनों की तरफ मुस्करा देखा और लापरवाही से एक गिलास उठा कर उसे मुहँ से लगाकर खाली कर दिया।

"अब तुम दोनों की बारी, उठा गिलास और पिला इसे..... नहीं तो मरने को तैयार हो जा।" अदिति ने भारी आवाज़ में बोलते हुए गन की बैरल रीता की और कर दी।

रीता ने तेजी से एक गिलास उठा कर विशाल के होंठ से लगा दिया।

"पानी पी जा, पानी थूकने की कोशिश की तो गोली तेरे सिर में मारूंगी।

धमकी ने असर दिखाया, विशाल ने पानी पी लिया और कुछ हिचक के साथ रीता ने भी बचे एक गिलास का पानी पी लिया और इंतजार शुरू हुआ, आधा मिनट, एक मिनट, दो मिनट और तीसरा मिनट आते-आते रीता और विशाल की आँखें पथरा गई, वो दोनों मर चुके थे।

अदिति की आँखों से आँसू छलक आये, उसके साथ जीने मरने की कसमें खाने वाला आज उसकी जान का दुश्मन बन उसके सामने मरा पड़ा था। यदि रात के समय वो उन दोनों की आहट से जाग न जाती तो ये दोनों राक्षस उसे और उसकी मासूम बेटी को मार डालते। उसके बाद उसने ग्लव्स पहने हाथों से उनके बंधन खोल दिए और अपना गिलास उठा कर अपने हैंड बैग में रख लिया, गिलास में एक पारदर्शी कंचा पड़ा था और इस गिलास में उसने जहर नहीं डाला था और गिलासों को आपस में मिलाते समय भी वो इस कंचे के कारण इस गिलास को आसानी से पहचान गई थी। उसे पता था विशाल उसे पहले पानी पीने को कहेगा और उसने उसकी बात मानते हुए कंचे वाले गिलास का पानी पीने में कोई देरी नहीं की। कैमिस्ट्री में डॉक्टरेट करने के बाद वो स्थानीय कॉलेज में पढ़ा रही थी। उसने विशाल की बेवफाई से दुखी होकर कॉलेज की लैब में वो तीव्र जहर बनाया था ताकि अपनी खुद की जान ले सके लेकिन यशा को देखकर वो रुक जाती थी। उसे क्या पता था उसका बनाया जहर उसके दगाबाज पति और उसकी माशूका को उनके सही अंजाम तक पहुँचाने में काम आएगा।

वो फार्म हाउस के बैक यार्ड में खड़ी अपनी कार में आ बैठी इसी कार की बैक सीट में वो उन दोनों को लेटा कर इस वीरान घाटी में लाई थी। उसने फार्म हाउस का बैक डोर खुला रहने दिया, क्योंकि उसके जाते ही घाटी के मांसभक्षी जानवर, जंगली कुत्ते, लकड़बग्घे, तेंदुए आदि फार्म हॉउस में आ घुसेंगे और उन दोनों की हड्डी, मास सब चट कर जायेंगे। कार की फ्रंट पैसेंजर सीट पर सीट बैल्ट से बंधी यशा अभी भी सो रही थी, अदिति ने उसके बालों को सहलाया और कार आगे बढ़ा दी, कार मंथर गति से विल सिटी की और चल पड़ी। अदिति की आँखें ये सोचकर नम थी कि वो क्या से क्या बन गई थी, कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर आज एक हत्यारी बन चुकी थी। विशाल जैसे स्वयं की पुत्री और पत्नी को मारने की इच्छा रखने वाले इंसान की यही परिणति होनी थी, सोचकर अदिति ने कार की स्पीड बढ़ा दी।




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