STORYMIRROR

minni mishra

Inspirational

3  

minni mishra

Inspirational

एकता

एकता

3 mins
200

“सुबह से देख रही हूँ, तुम भूगोल की पुस्तक को लेकर बैठे हुए हो। पर, तुम्हें तो विज्ञान अधिक पसंद है ना ? फिर, अचानक से आज भूगोल में रूचि ?” बेटे को भूगोल की किताब पर नजर गड़ाए देख...माँ ने प्रश्नवाचक दृष्टि लिए उसे टोका "


 मैं भारत के मानचित्र में नदियों को देख रहा हूँ। नदियाँ, जो उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम बहती है, वही तो हमारे राज्यों की सीमा को निरूपित कर रही है। माँ, सिलेबस के अनुसार, इस बार की परीक्षा में अधिकांश प्रश्न मानचित्र से ही पूछे जायेंगे।" भूगोल की खुली किताब शंकर ने माँ के आगे बढ़ा दी


 " सही बात, देश व राज्य की भौगोलिक स्थिति को जानने के लिए वहाँ की नदियों की रुप-रेखा को अच्छी तरह से समझना जरूरी होता है। हमारे देश में ऐसा कोई राज्य नहीं है जिसमें नदियाँ न हो।

 मानचित्र को ध्यान से देखो, यह गंगा नदी है - जो उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल से होते हुए समुद्र में समाहित हो रही है यह है कावेरी नदी -- जो कर्णाटक, तामिलनाडू, केरल से होते हुए समुद्र में गिर रही है और ये रही ब्रह्मपुत्र नदी -जो तिब्बत की पठार से निकल कर अरुणाचल प्रदेश, आसाम, मेघालय से होते हुए समुद्र में समा रही है, अर्थात् सभी नदियाँ बहते-बहते अंत में समुद्र में ही मिल जाती है। बेटा, इस बार तू नवमी कक्षा का फाइनल परीक्षा दे रहा है। तुम्हें भी पता होगा, नदियों का पानी मीठा होता है और समुद्र का पानी खारा। अब तू ही बता, मीठे पानी को भला खारे पानी से कभी दोस्ती हो सकती है क्या ? यह प्रश्न मेरे मन को बार-बार विचलित करते रहता है ! इसका उत्तर, मुझे आज तक किसी पुस्तक में नहीं मिला !"

 " माँ... यही तो समझना है, इन नदियाँ का काम केवल बहना नहीं होता, यह हमें राष्ट्रीय एकता का संदेश भी देती है। चाहे हम किसी भी प्रांत के हों, हमारे रहन-सहन और बोली-चाली में कितनी भी भिन्नता हों, पर... हम सब एक ही राष्ट्र रुपी बगान के रंग -बिरंगे फूल हैं। माँ, मीठे पानी को खारा पानी से मिलने का मतलब यही हुआ कि मानो प्रकृति हम मानव को कश्मीर से कन्याकुमारी तक जुड़े रहने का सन्देश दे रही है और सच में यही तो विभिन्नता में एकता का होना है ।" 

बेटे के मुँह से अप्रत्याशित जवाब सुनकर माँ की आँखें डबडबा गईं। उसे अपना किताबी ज्ञान, बेटे की समझदारी के सामने... आज बौना दिख रहा था । 

उसका नन्हा, इकलौता... देखते-देखते कब शंकर से शंकराचार्य बन गया, माँ को इसकी भनक तक नहीं लगी ! शंकर को अपने अंक में भरते हुए वह बुदबुदाई, ‘रे ... सच में तू बहु....त बड़ा हो गया है ! गुरु गुड़, चेला चीनी।' 



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational