एक वाक्य
एक वाक्य
रिक्शे के पीछे लिखे एक वाक्य को पढ़, मन की सारी चिढ़ उड़न छूँ हो गयी । सुबह पांच बजे फ़ोन आया, जल्दी आइये एक बच्चा आया है ।साँस लेने में दिक्कत है। ड्यूटी डॉक्टर को फ़ोन पर कुछ निर्देश दे कर, ऊंघते हुये जल्दी से मुंह धोया, और स्कूटर निकाल चल पड़ा । शार्ट कट ले, जब पुल के नीचे पंहुचा , देखा रोड खुदी पड़ी है । निकलने का कोई चारा न देख वापिस पुल वाला लम्बा रस्ता पकड़ा । एक तो सीरियस बच्चा , ऊपर से देर पर देर । भुनभुनाता हुआ स्पीड बढ़ाने की कोशिश कर रहा, तभी देखा । पुल पर जाम लगा हुआ है । मेरे आगे रिक्शा खड़ा हुआ है. लाल स्याही से लिखा हुआ है "पेड़ है आम का, चन्दन से कम नहीं । कानपुर मेरा लंदन से कम नहीं " चेहरे पर मुस्कान आ गई ।रेंगते रेंगते पंद्रह मिनट का रास्ता पौने घंटे में पार किया ।तब तक बच्चा काफी हद तक ठीक हो गया । "बहुत देर लगा दी सर", ड्यूटी डॉक्टर बोला । तीन बार भांप दी, तो कुछ आराम मिला है ।"
"जाम में फंस गया मैंने बताया ।" केस शीट पर ईलाज और जांच लिख वापिस आया । उस एक वाक्य ने मेरा ब्लड प्रेशर बढ़ने से बचा लिया । शायद प्रतिदिन हमारे मुंह से निकला कोई वाक्य किसी का दिन बना दे ।तारीफ़ के दो शब्द, उत्साहवर्धन के दो शब्द । या प्यार भरा, सांत्वना देता एक वाक्य ।