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VEENU AHUJA

Tragedy

4  

VEENU AHUJA

Tragedy

एक थी शेरनी

एक थी शेरनी

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एक थी शेरनी मनु' लंबी आम की काट कर रखी गयी फांकों सी बड़ी आँखे, चारों ओर पतले काले घेरे से आवृत्त ।

शेरनीसी सजगता के साथ हिरनी सी चपलता . पानी से भरी जीवंत आंखों के बीच शोले बरसाती बड़ी . बड़ी पुतलियां ' नथुनो से आता घूं घूं सा दिल दहलाने वाला नाद ' धौंकनी सी चलती साँसों की ताल ' चिकने . हल्के भूरे से रेश्मी लंबे छबराले से बाल ' मिंटू शेर को दिवाना बनाए हुए थे ' पर वह किसी को पास फटकने न देती थी उसे किसी परदेशी का इंतजार था . मिंटू को दृढ़ विश्वास बिल्ली की माँ कब तक खैर मनाएगी ' आखिर आना तो इसे मेरी गली ही पड़ेगा ... I

खेतो मे लंबे . लंबे गन्ने खड़े थे ' हाथियों के झुंड को हकारा गया तो जुनै शेर रास्ता भटक कर इस जंगल में आगया '

विधि का लिखा कौन टाल सकता है ' मातापिता की दुलारी . की ऑखें सीधे जुनै के आँखो से जुड़ी तो नीचे ऐसी झुकी कि ऊपर उठ न सकी ..

दहाड़ कब कोमल सुर में परिवर्तित होगयी उस तेजस्विनी को पता ही न चला . दो जोड़ी आँखों में रात भर एकही सपना चलता रहा ... नींद तो कबकी रूठ चली थी बेचैनी ने हाल ऐसा किया कि प्रातः चारबजे ही नहर को चल पड़ी ... जहाँ एक जोड़ी ऑखे पहले से ही किसी का इंतजार करते हुए प्यासी बैठी थी ....


मिंटू हाथ मलता रह गया .. उससे डेढ़ गुने शरीर और शरीर से डेढ़ गुनी लंबी पूंछ वाले से पंगा लेकर वह अपनी फज़ीहत नहीं करा सकता था .. उसके रेशमी लच्छेदार बाल मनु के बालो से मुकाबला करते थे . उससे मुकाबला तो दूर वह जुनै की आग बरसाती आंखों की तरफ एकदृष्टि भी नहीं कर सकता था ..

पूरा जंगल उसकी पदचाप की आहट से थर्र -थर्राता था ....

कुछ दिन बाद ' सारा जंगल विरह के गीत गा रहा था . उनके जंगल की मनु .. आज पिया के घर जो चली थी .

मिंटू रो पड़ा :

अच्छा सिला दिया मेरे प्यार का

प्यार ने ही लूट लिया घर यार का ..


बकरी को बांधने में क्या हुनर ' बात तो तब है जब शेरनी को पाला जाए ...

जुनै जबरदस्त शिकारी था ' घर आते ही उसने फरमान दिया : मनु मेरे माँ बाप की सेवा में कोई कमी न करना . मैं शिकार करूंगा . तुम्हें कष्ट न होगा ' ।

मनु ने पूरी शिद्दत से अपना धर्म निभाया . जल्दी ही वे दोसे पाँच हो गए .. उसने हमेशा शिकार का सबसे छोटा हिस्सा खाया . शेरको शिकार के लिए ताकत चाहिए थी ' माँ थी . बच्चों का पोषण कैसे भूलती ' सास ससुर पूज्यनीय सबसे पहले उन्हेंतृप्त करती . धीरेधीरे वह कमजोर रहनेलगी '

उसे ब्लडप्रेशर की समस्या होनेलगी . कभी कभी पता नहीं क्यों उसे तनाव होता ' ज़ेहन मेंबड़ी बहन की बात गूंजती : तुमशेरनी हो ' शिकार मत छोड़ना ..

एक समय ऐसा आया जब उसके सास ससुर परमधाम को गुजर कर गए ....

पर, चीजें नहीं बदली ' बच्चे बड़े हो गए थे ' उनकी जरूरते ज्यादा थी ' जरूरी थी . उसे थायरायड की बीमारी लग गयी . उसकी हड्डियो में दर्दरहने लगा था ... उसे चक्कर आते थे ...

एक दिन मजबूरी में उसने शिकार का बड़ा हिस्सा खा लिया . शेर दहाड़ा :

कमीनी ' घर में बैठी आराम करती है तुम्हें शर्म नहीं आयी .. न . जितना दिया जाए चुपचाप खा लिया करो ....

मनु ने कुछ ज़वाब नहीं दिया . मन में बुदबुदाती रही . मैं शेरनी हूँ .. शेरनी हूँ ' मुझे शिकार करना है और सालो बाद गुफा से बाहर निकल आयी :

उसे अपनी पुरानी ताकत याद आयी ऑखों मे कुछ सजगता जागी तो सामने एक हिरन अचम्भित हो देख रहा था .

इसकी इतनी हिम्मत : उसने तेज ऊँची छलांग लगादी .


धड़ाम !


हवा में ही हृदयगति रुकगयी थी ..

चारो ओर सुगबुगाहट थी क्या यह बकरी , थी या एक शेरनी थी?



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