प्रीति शर्मा

Abstract

4.5  

प्रीति शर्मा

Abstract

"एक खत 2021 के नाम "

"एक खत 2021 के नाम "

4 mins
344


हे प्रिय साल 2021,

मैं तुम्हारा बेसब्री से इंतजार कर रही हूं।बस कुछ ही दिन तुम्हारे आने में बाकी हैं।तुमअपने बारह महीनों के रथ पर सवार होकर आ जाओ और अपने बारह महीनों में सारे संसार को मनचाहे सुखों से पूर्ण कर दो।

हे प्रिय2021! तुम्हारा स्वागत है।

मैं ही नहीं सारी दुनिया तुम्हारे इन्तजार में है।ऐसा पहली बार हुआ जब सभी आने वाले साल को समय से पहले ही बुलाने के लिए बेकरार हैं।लगता है सभी ने तुमसे बहुत सी आशायें लगा रखी हैं।इतना बेसब्री से इन्तज़ार तो महबूब अपनी महबूबा का भी नहीं करते। सबको ऐसा लगरहा है कि इन्तहा हो गयी इन्तज़ार की....

आई ना कुछ खबर मेरे यार की... ..

लेकिन एक बात कहनी है कि अपने भाई 2020के जैसे नहीं आना जिसके आने का सभी ठीक से जश्न भी नहीं मना पाये थे कि अपने साथ साथ कोरोना भी ले आया और सारी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया और आज सभी उससे त्रस्त हैं और सबकी हालत पस्त है।वैसे मैं क्षमा चाहुंगी कि मैं ऐसा बोल रही हूं पर सभी को दुःखी देख दुखी हूं। 

वरना तो व्यक्तिगत रूप से तो मेरे लिए 2020भी बहुत अच्छा गुजरा।मेरे जीवन में बहुत कुछ सकारात्मक रहा।बच्चों ने बोर्ड परीक्षाएं पास कीं और बड़ी कक्षाओं में एडमिशन हुआ,मेरा एसी पी लगा,पच्चीसवीं मैरिज एनीवर्सरी मनाई और कुछ साहित्यिक मंचों पर आनलाइन प्रतियोगिताओं में भाग ले पाई और कुछ अलग भी लिखने का प्रयास किया साथ ही कुछ नयी विधा छन्द भी सीखे तो सिर्फ तुम्हारे भाई 2020की बजह से।स्टोरीमिरर पर लिखना शुरू किया। मेरी रचना "अमर जवान" प्रथम स्थान पर आई और मुझे आन्तरिक खुशी मिली।इसके बाद विभिन्न मंचों पर अनेक सम्मान पत्र प्राप्त हुये। 

पर हम मानवों को आदत है ना... अपनी गलतियों का ठीकरा किसी और के सर फोड़ने की।जैसी करनी वैसी भरनी।ये प्रकृति विरूद्ध हमारे ही कर्मों का परिणाम था कि हमें कोरोना जैसी बीमारी से जूझना पड़ रहा है।शुरुआत तो आपदा की 2019 में ही हो गयी लापरवाहीवश हमने भी 2020तक आते-जाते इसे ग्रहण कर लिया और फिर इसे तुम्हारे भाई2020के सिर थोप दिया। 

हे 2021! मैं चाहती हूं कि तुम ऐसे आओ कि सभी के जीवन में खुशियां बिखर जायें।अपने साथ इतनी खुशियां लाओ कि वे लोग साल 2020 को भूल जाएं एक दुखद सपने की तरह जिन्होंने बहुत कुछ खोया है इस बीते साल में।

जिस प्रकार रात के बाद दिन निकलता है,अन्धकार के अन्त से प्रकाश निकलता है,उसी तरह अमावस की काली रात के बाद पूर्णिमा के चांद की तरह आओ और सभी की जिंदगी में सूर्य ग्रहण की तरह व्याप्त कोरोना से मुक्त कर सबके जीवन को खुशियों की चांदनी से भर दो,सभी के हृदय को शीतलता प्रदान करो।सभी के मन में आशा उम्मीदों का सूर्य उगा दो,रुमानियत से भर दो।

हे 2021! कुछ इस तरह वीरता का प्रवाह लेकर आओ कि देश के दुश्मनों आतंकियो, नक्सलियों, खालिस्तानियों, देशविरोधियों सोच रखने वाले संगठनों का खात्मा हो। सेना और जनता इतनी मजबूत हो कि कोई भी हमारे देश की तरफ आंख उठाकर देख भी ना सके।हमले की बात तो दूर देश के अंदर और देश की सीमाओं पर इतनी मजबूत दीवार हो कि कोई इसके अंदर या बाहर से खोखला न कर सके।देश को खोखला करने वाले सभी गद्दारों का सफाया हो जाये।

हे 2021! शुद्धता पवित्रता की ऐसी विचारधारा लेकर आओ कि देश में व्याप्त सभी सामाजिक,आर्थिक राजनीतिक बुराइयां जलकर खाक हो जाएं।भ्रष्टाचारी, रिश्वतखोरी,राग-द्वेष आदि सभी के दिलों-दिमाग से निकल जाए।देश में सौहार्द,भाईचारा अमन,चैन-शांति का बसर हो और दैवीय आपदा और विज्ञान के दुष्प्रभावों का देशवासियों को सामना ना करना पड़े।देश की मुख्य समस्याओं का समाधान हो जाय और कोई भी लाचार बेबस भूखा नंगा देश में ना रहे।

हे 2021! आओ तो इस तरह आओ कि कोई भी तुम्हें देखकर आशंकाओं और दुश्चिताओं के अथाह सागर में ना डूब जाये बल्कि सभी निश्चिंतता की सांस लें और पुनः अपने सपनों के जीवन में प्रवेश कर जायें।

हे 2021! तुम खुशियों का बादल बन सब पर बरस जाओ।सभी अपने आनेवाले जीवन में खुशियां से नहा जायें।भय और डर के वातावरण को अपने प्रचण्ड प्रवाह से बहा दो।लोगों के दिलों में आशा उम्मीदों की फसल लहलहा दो। सभी का जीवन जीवनरस से परिपूर्ण कर दो।

हे 2021! आओ तुम्हारा स्वागत है!


प्रीति शर्मा"पूर्णिमा"

01/01/2020



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract