एक कैदी का सपना!
एक कैदी का सपना!
वह पिछले दस सालों से एक ही सपना देख रहा था कि इस बार कोर्ट की तारीख पर उसको रिहाई मिल ही जाएगी। इस बार तो उसको पक्की उम्मीद है क्योंकि पिछली तारीख पर वकील ने जज साहब के आगे वह सारे कागजात पेश किए थे जो उसको बेगुनाह साबित करते थे। जज साहब ने भी उसको जिन निगाहों से देखा उसमें दया भाव ही दिखा था उसको।अक्सर वो सोचता कि काश! वो उस दिन अपना रिक्शा रोक कर उन फकीरों के पास ना बैठता जो हर वक्त नशे में झूमते रहते थे। वो तो बस कुछ देर सुस्ताने बैठ गया था कब उसकी आंख लग गयी उसको पता ही नहीं चला।
किसी के झकझोर कर उठाने पर उसकी नींद खुली तो आंखों के सामने इक पुलिस वाले को पाया जो उसको अपने साथ थाने ले गया। वो पूछता ही रहा कि उसने किया क्या है, मगर उसके जवाब में पुलिस उस से एक ही सवाल करती रही कि यह सामान तुम कहां से लाए,उसके बार बार पूछने पर उसको बताया गया कि उसकी जेब व उसके रिक्शा की सीट के नीचे से नशा करने वाली कोई सफेद पाउडर जैसे कुछ पैकेट बरामद हुए हैं जिनकी कीमत लाखों में है। रात भर की कड़ी पूछताछ के बाद अगली सुबह उसको कोर्ट में जज साहब के सामने उन्ही पैकेट के साथ पेश किया गया कुछ कानूनी कार्यवाही के बाद उसको जेल भेज दिया गया ।
तब से अब तक हर तारीख पर वो कोर्ट में पेश होता उसके वकील द्वारा कुछ बहस दूसरे वकील से होती और दस पन्द्रह मिनट के बाद अगली तारीख दे दी जाती,और वह कोर्ट रुम के बहार खड़े अपने परिवार को देखता मिलता और वापसी जेल की गाड़ी में बैठ जाता।उसके परिवार ने अपना सबकुछ बेचकर कर्जा उठाकर वकील की फीस का इन्तजाम किया हुआ था,बस इसी उम्मीद पर की एक दिन उसको यहां से रिहाई जरुर मिलेगी। दिन महीनों में और महीने सालों में बीत गए।
अब कुछ गवाहों और वहाँ के फकीरों से असली गुनहगार का पता चला था कि उस दिन कैसे इक नशे का व्यापार करने वाले नशेड़ी ने पुलिस के उसके पीछा करने पर वह नशे के पैकेट उसके रिक्शा में और सोते हुए में धीरे से उसकी जेब में रख दिए और पुलिस के वहां पहुंचने पर उसकी तरफ इशारा करके खुद वहाँ से भाग गया। पुलिस की खोजबीन और उसी के साथ के कुछ साथियों द्वारा यह सच्चाई सामने आयी थी। और अब उसके छूटने की उम्मीद बढ़ गयी थी।
आज की रात वो यही सपना देखकर सोया था कि कल उसकी रिहाई पक्का हो जाएगी।
आज उसका सपना सच तो हो गया था मगर उसको देखने वाला अब रिहा हो चुका था इस दुनिया की कोर्ट से ! रात सोते हुए उसकी ह्रदय गति रुकने से मौत हो गयी थी .......और छोड़ गयी थी,अपने पीछे इक सवाल कि कब आखिर कब हमारी कानूनी प्रक्रिया सुधरेगी और बेगुनाह दुनिया छोड़ने से पहले अपनी रिहाई का सपना साकार होते देखेंगे।
