बड़ा कौन?

बड़ा कौन?

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आज भी शाम को जब घर पंहुची तो घर के बहार सुबह -शाम बैठने वाली सात -आठ बड़ी बुजुर्ग महिलाओं की चौपाल न देखकर हैरानी हुई साथ ही चिन्ता भी की सबकी सब ठीक तो हैं ना, आफिस आते जाते मैं भी उन बुजुर्ग महिलाओं को नमस्ते करती तीज त्योहार पर उनके चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेती। सर्दियो में तो सूर्य देव के निकलते ही उन लोगों की चौपाल लग जाती और सूर्य देव के छिपने पर ही खत्म होती,गर्मी में शाम से रात तक वो लोग बैठती और अब पिछले कुछ दिन‌ से वो सब नहीं बैठ रही थी।मन में सवाल उठा की आखिर हुआ क्या ?

पता करने के लिए सामने वाली संध्या को फोन किया उन बुज़ुर्ग महिलाओं की चौपाल में उसकी सास भी बैठती थी। न बैठने की जो वजह पता चली वो हैरान करने वाली थी।

संध्या ने बताया की

सभी बुजुर्ग महिलाएं आस पड़ोस में रहने वाली बहू बेटियों पर अपनी विशेष नज़र रखती थी। सभी के परिवार के जवान बच्चों के लिए गलत अपवाह फैलाना, सभी की बहुओं पर साजिश रचकर बेटो को भड़काना। इसी के चलते कितने घरों में झगड़े की वजह यह चौपाल ही बन चुकी थी। और इन्ही गलतफहमी की वजह से घर के झगड़ो से तंग आकर कुछ दिन पहले अरोड़ा अकंल की बहु बेटा अलग रहने चले गए।

 सभी परिवार पढे लिखे थे और आस पड़ोस में एक दुसरे के सुख दुख में शामिल होने वाले थे। सब चाहते थे उनके बड़े उन्हीं के साथ रहे उनका आशीर्वाद उन्हें और उनके बच्चों को मिलता रहे।परिवारो के बहु बेटो ने विचार विमर्श किया की इस से पहले की किसी के घर में इन बातों से कोई बड़ी घटना घटे इन बातों पर रोक लगानी होगी। सभी की राय बनी की सब अपने बड़ो के मान -सम्मान को ठेस पंहुचाए बिना कोई ऐसा रास्ता निकालेंगे जिस से इस समस्या का निकल जाए। उसी के चलते अब सुबह-शाम की चौपाल नहीं लग रही थी। अब शाम को सभी की अपने पोता पोती के पढ़ाई के समय उनके पास बैठने और उनको संभालने की जिम्मेदारी दी गयी थी।उन सभी चौपाल की सखियो का मोबाइल पर गुर्प बना दिया गया और उसमें बहुऐ भी शामिल हो गयी।

और फोन रखते हुए मैं सोच रही थी कि इनमे आखिर बड़ा कौन ?


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