उस दिन
उस दिन
काश ! उस दिन अपने फैसले पर एक बार सोचा होता तुमने ।उस दिन तुम बोलते गए। बिना सोचे की जो बोल रहे हो उसका असर मुझपर या हमारे रिश्ते पर क्या पड़ेगा।
तुम शब्दों की मर्यादा भुल चुके थे तुम्हारे शब्द पिघले सीसे की तरह मेरे कानों में पड़ रहे थे।
ऐसा लग रहा था कि आज तुम्हें मुझे गलत साबित करना था और खुद को हर हाल में सही साबित करना था। आज तक मैंने अपने इस रिश्ते को बचाए रखने के लिए क्या कुछ नहीं सहा था। तुम्हारे झूठ, बेवफाई,तुम्हारा हर वक्त मुझे नज़र अन्दाज ,करना यहां तक की गैर औरतों से तुम्हारे रिश्ते भी, मगर उस दिन नहीं।
उस दिन जीत गए थे तुम और हार गया था रिश्ता हमारा।