अनमोल!!

अनमोल!!

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वक्त बीतते पता ही नहीं चलता,एक साल कैसे बीत गया पता ही नहीं चला ।आज जब सोनी अपनी गोद में प्यारी सी अनमोल को लेकर उसके पहले जन्मदिन का न्यौता देने आयी तो एक साल पहले का सारा वाक्य आंखों के आगे घुमने लगा।मेरे घर काम करने वाली बाई के पति की मौत दो महीने पहले ही हुई थी और तब वो मां बनने वाली थी, ठीक दो महीने बाद उसने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया। बेटी के जन्म पर वो खूश नहीं थी पहले ही उसके सात बेटियाँ थी और इस बार बेटा होने की उसको बड़े उम्मीद थी। ना जाने कितने पीर मजारों पर जा जाकर मन्नतो के धागे बांधे थे उसने और इस बार भी बेटी ही हुई पति के जाने के बाद पहले ही सात बेटियों का बोझ उसपर और अब यह आठवीं ,रो रोकर उसका बुरा हाल था । दुख और गुस्से में वो उस नवजात को भी न जाने क्या क्या भला बुरा कहे जा रही थी, वो तो उसको सरकारी अस्पताल में ही छोड़ कर भाग जाना चाहती थी।

अगर ठीक उस समय मैंने उसको एक सुझाव न दिया होता तो। मेरे पड़ोस में रहने वाले सोनी की शादी को पन्द्रह साल हो चुके थे और सात आठ बार उसे मां बनने का सौभाग्य मिलते- मिलते रह गया। हर बार उम्मीद जागती मगर कभी पांचवें महीने तो कभी चार महीने में ही उसकी उम्मीद टूट जाती ।और इस बार तो पूरे सात महीने दस दिन पर उसने एक सुन्दर से बेटे को जन्म भी दिया था। मगर बच्चा बहुत कमज़ोर था, तीन दिन नर्सरी में रहने के बाद भी उसको बचाया न जा सका।सोनी का दुःख बहुत बड़ा था ।दुसरी तरफ मेरी बाई का दुःख।

एक मां बनने से दुखी !

दुसरी मां ना बनने से !

जब सोनी को पता चला तो वो अपने पति के साथ मेरे पास आयी और बोली दीदी अगर आपकी बाई को ऐतराज न हो तो हम कानूनी रुप से उस बच्ची को गोद लेना चाहते हैं।जब बाई से इस बारे में कहा तो वो तो ऐसे तैयार हो गयी जैसे ,उसकी मुह मांगी मुराद मिल गयी हो।वो तो बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के ही बच्ची देने को तैयार थी,पर सोनी और उसके पति ने सभी तरह की कानूनी कार्यवाही की और इतनी बड़ी खुशी मिलने पर उन्होंने बाई को अपनी तरफ से अच्छी खासी रकम भी यह कहकर दी की यह रकम देकर हम आपकी बेटी को खरीद नहीं रहे, वो तो हमारे लिए अनमोल है। यह रकम‌ तो उन बेटियों के लिए जिनका लालन पालन अब उसको अकेले ही करना था। कुछ दिन बाद मेरी बाई यह कहकर अपने गांव चली गयी‌ की अब अकेले यहां नहीं रहेगी। आज सोनी अपनी उसी अनमोल बेटी का पहला जन्मदिन बड़ी धुमधाम से मना रहे थे।

मैं सोच रही थी एक के लिए जिसका कोई मोल नहीं था।

दूसरे के लिए वो अनमोल थी।


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