Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win

Nutan Garg

Inspirational

3.7  

Nutan Garg

Inspirational

एक दिया भारत के नाम का

एक दिया भारत के नाम का

2 mins
414



एक अधेड़ उम्र की महिला तक़रीबन 90 के क़रीब। सुनाई, दिखाई भी ठीक से नहीं देता था। छड़ी के सहारे से रोज़ मंदिर तक आतीं, दीपक जलातीं, और घंटों तक वहीं बैठी रहतीं। मन ही मन कुछ बुदबुदातीं, जब दीपक बुझ जाता तब कहीं जाकर वह घर के लिए निकलतीं।

यह सब एक महीने से निरंतर मंदिर आ रही भावना देख रही थी! उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी कि यह महिला आख़िर ऐसा रोज़ करतीं क्यों हैं? आखिर इसके पीछे माँज़रा क्या है? उसका पूजा करने में भी मन नहीं लगता था।

एक दिन मंदिर के पुज़ारी जी से उसने पूछ ही लिया “ये माँजी रोज़ ऐसा क्यों करतीं हैं?”

पुजारी जी बोले “ये तो जिस दिन से हमें आज़ादी मिली है 15 अगस्त सन् 1947 से रोज़ इसी प्रकार आती हैं, दिया जलाती हैं और भारत की सलामती की प्रार्थना भी करती हैं।”

भावना उत्सुकतावश पूछती है! “पर ये ऐसा करती क्यों हैं?”

पुजारी जी कहते हैं, “इनके पति एक स्वतंत्रता सेनानी थे, भारत को आज़ादी दिलाने में उनकी बहुत बड़ी भूमिका रही, अपने देश की ख़ातिर लड़ते-लड़ते शहीद हो गए थे।”

इनका इसी में विश्वास है कि अगर सब भारतवासी रोज़ एक दिया प्रज्वलित करें और साथ में प्रार्थना भी करें तो भारत की तरफ़ कोई आँख उठाकर भी नहीं देख पाएगा। सुखदेव, भगतसिंह, राजगुरू और उनके पति जैसे अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।

“सही बात है जब हम अपने घर की सलामती के लिए रोज़ दिया जलाते हैं, तो जिस धरती पर हमने जन्म लिया है, उसकी सलामती की ख़ातिर, एक दिया जलाना तो प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य बनता है।” अब भावना की समझ में आ गया था। वह भी उनका साथ देने रोज़ मंदिर आने लगी।



Rate this content
Log in

More hindi story from Nutan Garg

Similar hindi story from Inspirational