पापी पेट का सवाल
पापी पेट का सवाल
घंटी बजती है, पूजा दरवाज़ा खोलती है।
"अरे तुम आ गए।"
"जी मेमसाब" कहकर माली कृष्णा गमलों में काम करने लगता है।
पूजा भी उसको काम समझाने लगती है। तभी कृष्णा बहुत तेज खांसता है।
"तुम को तो बहुत तेज़ खांसी-जुकाम है, तुमने इसकी जांच कराई या नहीं। आजकल कोरोना वायरस फैला है।" कहकर पूजा एक मीटर की दूरी पर पहुंच गई।
"मेमसाब कोरोना के बारे में टी वी पर बहुत सुन रहे हैं।"
'फिर भी तुमने परीक्षण नहीं कराया?'
'मेमसाब वे हमको १४ दिनों के लिए अपने पास रख लेंगे, पीछे से हमारे बीवी-बच्चों का क्या होगा? पापी पेट की ख़ातिर काम पर तो आना ही है।"
'नहीं ऐसा नहीं है, सबको नहीं रखते, जिनको कोरोना है सिर्फ उन्हें ही।' कहकर पूजा उसे पूरी जानकारी देती है और हाथ धुलवाकर लौंग, तुलसी, अदरक की चाय पीने के लिए देती है और कुछ पैसे भी।
साथ में हिदायत भी दे देती है कि आज ही अपना परीक्षण करा लो। जब तक तुम बीमार हो तब तक काम पर नहीं आना क्योंकि यह बहुत जल्दी एक से दूसरे में प्रवेश कर जाता है।
"आप जैसे सब नहीं होते।" कृष्णा खांसते हुए चला जाता है।