एक बेटी का आखिरी खत
एक बेटी का आखिरी खत
प्यारे बाबा,
जब तक आपको मेरा खत मिलेगा, मैं आप सबको छोड़ कर जा चुकी होंगी। मुझे आप लोगों से कोई शिकायत नहीं है, शिकायत है तो बस अपनेआप से। जब से होश संभाला है, माँ को दादी से बेटी पैदा करने का ताना सुनते देखती आई हूं और ये ताने धीरे-धीरे मानसिक प्रताड़ना में बदल गए जब माँ ने गौरी और छुटकी को जन्म दिया। रात के अंधेरे में मैंने माँ को सुबकते हुए देखा है, अब समझ आता है माँ क्यों आपके सामने गिड़गिड़ाती थी।
याद है मुझे दादी झटक देती थी जब कभी उनसे काजू बादाम देने की जिद्द करती और कहती लड़की जात तो सख़्त जान होती है ठीक सम्भाल लेती है अपने आप को। तू तो बड़ी है, तेरा छोटा भाई आएगा उसके लिए मैंने ये सब इक्कठा कर रखा है। दादी मुझे हर बात में बोलती घर की बड़ी बेटी है, तेरी तो शादी में भी लाखों खर्च करने पड़ेंगे तेरे बाबा को।
माँ मुझे फुसला कर मेरे हिस्से की मिठाइयां गौरी और छुटकी को खिला देती थी और कहती बहनें छोटी हैं तुझ से। मैं तुझे रात में उन दोनों के सो जाने के बाद बड़ा टुकड़ा दूंगी। ना वो दोनों कभी माँ के बिना सोई और ना ही मुझे कभी बड़ा टुकड़ा मिला। बहुत प्यार था मुझे अपनी दोनों बहनों से और इसलिए मैं हमेशा उनको दादी के व्यंग बाणों से बचाने की कोशिश करती रहती। मैंने ये कहकर पढ़ाई छोड़ दी कि मेरा पढ़ने में मन नहीं लगता ताकि वो दोनों पढ़ सकें। मुझे पता था घर की तंगी का, इसलिए माँ के साथ मैं भी सिलाई में हाथ बंटाने लगी थी।
मैं सोलह बरस की होने वाली थी पर दादी की अभी भी एक पोते की आस के कारण आपके और माँ के बीच के उस शीत युद्ध को मैं भी समझने लगी थी। घर के उस उदासीन माहौल में दम घुटने लगा था मेरा। माँ फिर एक बार फिर पेट से थी, इस तंगी की हालत में भी आपने बेटे की आस में हमारी प्यारी छुटकी को अपने दोस्त को गोद देने का फैसला कर लिया था ताकि आर्थिक तंगी और महँगाई के दौर में आपका कुछ बोझ हल्का हो जाए। माँ की चुप्पी ने भी जैसे मौन स्वीकृति दे दी थी। हालांकि मैं इसके लिए हरगिज़ तैयार ना थी, लेकिन मेरी किसी ने एक ना सुनी।
मेरी शादी के लिए जो थोड़ा बहुत आपने दादी से छुपा कर जमाया था उसे गौरी और छुटकी की पढ़ाई में लगा देना। मैं भगवान से चाहूँगी कि इस बार माँ एक बेटे को जन्म देकर अपने ऊपर हो रहे मानसिक और शारीरिक शोषण से मुक्ति पा सके। मेरे जाने से शायद आपकी आर्थिक स्थिति कुछ संभल जाए और छुटकी को आपको किसी और को गोद न देना पड़े।
आपकी बड़ी बेटी
राधिका।