Rupa Bhattacharya

Abstract

2.6  

Rupa Bhattacharya

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एक बड़ी भूल

एक बड़ी भूल

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"माँ, अच्छी तरह सुन लो ,मैंने लड़का चुन लिया है ! और उसी से शादी करूँगी ! आज समय बदल गया है, तुम्हारे पसंद किये हुए लड़के से मैं शादी नहीं कर सकती ।"

"सीमा तू पागल हो गई है ! सारे संस्कार भूल गई है, तुम एक विवाहित पुरुष से शादी करोगी ? "मैंने जो लड़का चुना है ,उसमें क्या खोट है ?उससे एक बार मिल तो ले ।"


"माँ मैं विजय से प्यार करती हूं ----।उसे एक साल से जानती हूँ , उसकी पसंद- नापसंद से

वाकिफ हूँ ,और सबसे बड़ी बात हमलोग एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। "

सीमा सारी बातें एक ही साँस में कहकर चुप हो

गई ।

"अरे मुर्ख नादान लकड़ी वह लड़का तुझसे पहले भी तो 'किसी 'से प्यार करता था । किसी और 'के ' कारण वह तूझे भी छोड़ सकता है ! "

'नहीं माँ, वह अपनी पत्नी से प्यार नहीं करता उसकी पत्नी उस पर थोपी गई थी, नौकरी के पहले ही घर वालों ने गांव की एक लड़की

से उसकी शादी करा दी थी। उसकी पत्नी अनपढ़ है ।"


"सीमा जब उसकी शादी हुई थी तो वह एक बालक तो था नहीं !और अगर वह अपनी पत्नी को पसंद नहीं करता तो एक बच्चे का बाप कैसे बन गया ? "

"माँ तुम क्या बेकार की बातें कर रही हो !"

"मैं उसे पसंद करती हूँ और उसी से विवाह करूँगी ।"

आँखों में आंसू लिए मालती कुछ कहना चाहती थी कि सीमा के पिता ने उसे चुप कराते हुए कहा

" चूप हो जाओ सीमा की माँ !"

"इसके सर पर प्यार का भूत सवार है,यह किसी की नहीं सुनेगी !"

सीमा अपने कमरे में चली गई और मोबाइल पर नंबर घुमाने लगी।


सुबह उठकर रोज की तरह आफिस जाने की तैयारी में व्यस्त हो गई ।नियमानुसार अलमारी खोल कर पर्स वगैरह ठीक करने लगी,अचानक एक फाइल अलमारी से बाहर निकल कर नीचे गिर पड़ीं ।फाइल उठाकर देखा तो पाया की उसके पापा की एक बारह वर्ष पुरानी फाइल है।

फाइल देखकर उसके आँखों के सामने बारह साल पुरानी घटना तैरने लगी ।


वह उस समय बारहवीं कक्षा में थी।पापा के साथनये क्वार्टर में शिफ्ट हुए थे।

मेरे नीचे " ललित नारायण मिश्र "का क्वार्टर था।

सहेलियों ने पहले ही कह दिया था कि वह एक दिलफेंक इंसान है ।बात आयी गई हो गई ।

ललित नारायण मेरे पिता के अंडर में कार्य करता था। देखने में स्मार्ट था,अपनी उम्र से कम नजर आता था।

एक बार "पूजा" में अपनी माँ के साथ मैं भी उसके घर गई थी ।

उसकी पत्नी मुझे बहुत अच्छी लगी ,सीधी -साधी,सलीकेदार, सुन्दर महिला थीं ।

माँ से पता चला वह अपनी पत्नी को पसंद नहीं करता था, क्यों कि वह गँवार थी,उसे अंग्रेजी नहीं आती थी ।

मुझे ललित नारायण पर बड़ा गुस्सा आया था ।उसकी पत्नी ने बताया कि ललित उसे गांव भेज देना चाहते है पर अपने बेटे के लिए वह यहाँ पड़ी थी ।

अचानक एक दिन सुनने में आया कि ललित नारायण ने कालोनी की एक लड़की के साथ भाग कर शादी कर लिया है ।

उसकी पत्नी बेटे के साथ गांव चली गई थी ।

पत्नी ने केस कर दिया था । आफिस से एक फाइल निरीक्षण के लिए मेरे पापा के पास आई थी । सहेलियों के कहने पर और कुछ खुद की उत्सुकता लिए ,मैं पापा की फाइल चेक कर रही थी, यह देखने के लिए कि ललित नारायण पर क्या कार्रवाई की जाएगी !

फाइल देखते हुए मुझे पापा ने देख लिया था और खूब डाँटा था।

एक महीने बाद यह खबर मिली कि सदमा

लगने से उसकी पत्नी की मृत्यु हो गई धी।

मुझे ललित नारायण पर बहुत गुस्सा आया था ।

यह वही फोटो काॅपी की हुई फाइल थी।

मेरी आँखें खुल चुकी थी ।मैं समझ गई पापा ने जान बुझकर यह फाइल यहाँ रखी थी।

मेरे कारण एक दूसरा" ललित " अपनी निर्दोष पत्नी को छोड़ने के लिए तैयार था । मैं एक बड़ी भूल करने जा रही थी ।

शाम को मैंने माँ से कहा "माँ तुम लड़के से कब मिला रही हो?माँ अवाक थी,पापा मुस्करा रहें थे ।

मैंने एक घर को टूटने से बचा लिया था ।



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