हरि शंकर गोयल

Comedy Romance

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हरि शंकर गोयल

Comedy Romance

एक अनोखी प्रेम कहानी : भाग 2

एक अनोखी प्रेम कहानी : भाग 2

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शिव मोतिया गांव में पैदल पैदल चलकर सपना का मकान ढूंढने के लिए "विला" लिखा हुआ मकान ढूंढने लगा । थोड़ी दूर चलने पर उसे एक मकान पर "साधना विला" लिखा हुआ दिखाई दिया । वह फटाफट वहां पहुंच गया । उसने चारों ओर घूमकर देखा तो उसे ऐसी कोई जगह नजर नहीं आई जहां से फोटो लिया जाये तो बैकग्राउंड में विला लिखा हुआ नजर आये । पास में एक किराने की दुकान थी । उसने दुकानदार से पूछा "भैया जी, यहां कितने "विला" होंगे" ? 

वह गिनती करने लगा । थोड़ी देर बाद बोला "पांच तो हैं । और याद करूंगा तो शायद छठा भी याद आ जाये" । 


एक छोटे से गांव में पांच पांच विला सुनकर शिव सोचने लगा कि गांव काफी समृद्ध लग रहा है । पर पांच विलाओं को ढूंढना उसे काफी कठिन काम लग रहा था । पांचों विला अलग अलग दिशाओं में थे । पहले किस विला को ढूंढें , यही समझ में नहीं आ रहा था । "सपना , कितना कठिन है तुझे ढूंढना" मन ही मन शिव सोच रहा था । वह "ड्रीम विला" के पास आ गया । यहां उसने वही काम किया जो उसने साधना विला के पास किया था । यह जगह फोटो वाली जगह से कुछ मैच हो रही थी । उसका "ड्रीम" ड्रीम विला के पास रहता है यह जानकर उसे मन ही मन हंसी आ गई । "सपना रानी , आखिर ढूंढ ही लिया तुम्हें । अब बचकर कहां जाओगी" ? शिव की धड़कनें बढ गई थीं । 


ड्रीम विला के सामने तो कई मकान थे , उनमें से सपना का मकान कौन सा है क्या पता ? सपना अपनी मम्मी के साथ रहती है मगर उसने उसकी मम्मी को तो देखा नहीं है आज तक , फिर उन्हें कैसे पहचानेंगे ? अब क्या करें ? शिव सोचने लगा । अचानक सामने वाले घर की नेम प्लेट पर उसकी नजर पड़ी । उस पर "राजबाला वैष्णव" लिखा था । शिव को याद आया कि सपना भी वैष्णव लिखती है । तो हो न हो यही मकान सपना का हो । उसकी बाछें खिल गईं । वह राजबाला वैष्णव के मकान पर जा पहुंचा । 


वह डोरबैल बजाने ही वाला था कि अचानक उसे याद आया कि अगर सपना की मां ने दरवाजा खोला तो वह क्या कहेगा" ? प्रश्न बड़ा मौजूं था जिसका जवाब शिव के पास नहीं था । बिना तैयारी के सामना करने में जोखिम बहुत ज्यादा थी । काम बनने के बजाय बिगड़ने की संभावना ज्यादा थी । उसने संयम से काम लेना उचित समझा और वापस अपने गेस्टहाउस चला गया । 


उसने थोड़ा सा प्लान तो पहले ही बना लिया था इसलिए वह भिखारी और योगी की पोशाक ले आया था । पहले भिखारी बनकर सपना का पता लगाया जाये फिर योगी बनकर कुछ चक्कर चलाया जाये । ऐसा सोचकर उसने भिखारी का वेश बना लिया । वह भीख मांगने सीधा "वैष्णव घर" आ गया । शिव ने डोरबैल बजाई और जोर से चिल्ला कर बोला 

"भगवान के नाम पे दे दे रे बाबा" । 

"कौन" ? उधर से आवाज आई 

"भिखारी है, बाबा । दो दिन से कुछ नहीं खाया है । भूखा है रे बाबा" शिव ने भिखारी का अभिनय करते हुए कहा । 

"ठीक है ठीक है । एक मिनट ठहरो" उधर से आवाज आई 


थोड़ी देर में दरवाजा खुला और उसमें से सपना निकल कर बाहर आई । सपना को सामने देखकर शिव की बाछें खिल गई और उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा । इतनी जल्दी अपनी मंजिल मिल जायेगी, यह नहीं सोचा था उसने । उसके दिल की धड़कन एकदम से बढ गई थी । जी तो किया कि सपना के अधरों पर अभी चुम्बनों की झड़ी लगा दे पर उसे अपनी "औकात" पता चल गई । वह भिखारी के वेश में था । 

"क्या चाहिए आपको" ? सपना ने एक उचटती सी निगाह उस पर डालते हुए कहा । 

"दो दिन से भूखा हूं, कुछ खाने को दे दो माई" अपनी आवाज में दीनता लाते हुए शिव बोला 

"माई किसको बोला रे ? सपना माई शब्द सुनकर बिफर पडी । 

शिव को "माई" शब्द बैक फायर सा लगा । डैमेज कंट्रोल करने के लिए बोला "भिखारी के लिए तो हर स्त्री 'माई' की तरह होती है । भिखारियों पर हर स्त्री ममता लुटाती है । उन्हें खाना खिलाती हैं इसलिए वे ऐसी महिलाओं को "माई" कहता है । अब तो खाना खिला दो माई" शिव ने सपना के चेहरे को गौर से देखा । शिव को अपनी तरफ ताकते देखकर सपना क्रोधित हो गई । एक भिखारी उसे खा जाने वाली नजरों से से देख रहा था । उसका क्रोधित होना स्वाभाविक था । 

"एक मिनट ठहरो । कुछ लेकर आती हूं" । वह पैर पटकती हुई घर के अंदर चली गई । थोड़ी देर में वह बिस्कुट का एक पैकेट लेकर आई और उसे देते हुए बोली "लो, ये बिस्कुट खा लेना । अब जाओ" । सपना वापस जाने के लिए मुड़ी । 

"क्या मुझे खाना मिल सकता है" ? शिव ने कातर स्वर में कहा । 

"नहीं, अभी नहीं बना है। अब जाओ" सपना के स्वर में आक्रोश था । 

"तो बना दो, मैं इंतजार कर लेता हूं " शिव वहीं बाहर बैठने लगा । 

"थोड़ा टाइम लगेगा, देख लो" सपना हथियार डालते हुए बोली 

"जी, देख लिया । मैं बाहर बैठकर इंतजार कर लूंगा" शिव मन ही मन अपनी पहली जीत पर मुस्कुरा रहा था । अब सपना के पास कोई विकल्प नहीं था । 



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