एक अमेरिकन और हिंदी धारावाहिक
एक अमेरिकन और हिंदी धारावाहिक
तो बात तब की है जब हम अमेरिका गए थे।
(सही पकड़े आप कि ये कथा हम बस शो ऑफ के लिए लिख रहें हैं की हम अमेरिका घूम चुके !)
अब जैसे हमारे यहाँ गाँवों में चौपाल पर, कस्बों में पान की दूकान पर और महानगरों में व्हाट्सएप्प पे ही लोग मिल कर चर्चा करते हैं उसी प्रकार अमेरिका में लोग चर्चा करते हैं, पब यानी की बार में। तो ऐसे ही एक बार में बैठे थे तो बगल में एक अमेरिकन आ गए। तो हमारे बीच जो चर्चा हुयी बस वही आज आप सबको बताने का मन है।
अमेरिकन : " ओह, आप इंडिया से हैं। आप से मिल कर अच्छा लग रहा है, वैसे यहाँ भी बहुत इंडियंस हैं पर वो सब तो अब हमारे जैसे ही हो गए हैं।"
हम : "जी हमें भी अच्छा लग रहा है आप से बात कर के।"
अमेरिकन : "हमें आप के सीरियल बहुत अच्छे लगते हैं।"
हम : "हाँ, हमें भी आप की फ़िल्में अच्छी लगती हैं।"
अमेरिकन : "आपने साड़ी क्यों नहीं पहनी, साड़ी के साथ माँग टीका, हiर और बड़े बड़े झुमके पहन के सीरियल की हीरोइन कितनी सुंदर लगती हैं।"
हम : "जी हमें भी सुपरमैन बहुत अच्छा लगता है पर आपने भी तो नहीं पहनी न उसकी तरह पैंट के उप्पर चड्डी।"
अमेरिकन : "पर सुपरमैन तो बस एक फैंटसी है।"
हम : " तो हिंदी सीरियल की नायिका भी तो वही हैं।"
अमेरिकन :" तो क्या आप साड़ी पहन कर रोज सुबह आरती गा कर, 15 तरह के पकवान बना कर, करोड़ों का बिज़नेस कर, रात को सास के पैर दबा कर, ससुर जी को दवा खिला कर, देवर को पढ़ा कर, ननद के कपड़े सिलकर, पति को दूध देकर, अपने पूर्व प्रेमी को फ़ोन पर समझाने बुझाने के बाद, नागिन का रूप धर के, विलन को डस कर नहीं सोती क्या ?"
माथा पीट लिया हमने। ये सीरियल सास-ससुर को तो पहले ही भ्रमित करने में लगे हुए थे अब इंग्लिश सब-टाइटल्स के साथ बेचारे विदेशी लोगों को भी भरमाने लगे।
सच में अमेरिकन के प्रश्न ने तो हमें "निःशब्द" कर डाला !