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Shailaja Bhattad

Tragedy

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Shailaja Bhattad

Tragedy

एक अध्यापिका ऐसी भी

एक अध्यापिका ऐसी भी

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 आज 15 अगस्त के दिन मोंटेसरी विद्यालय में रंगारंग कार्यक्रम होने थे। सभी बच्चे घर से ही सजधज कर, तैयार होकर आए थे, लेकिन जो मैंने देखा वह मुझे अंदर तक हिला गया। एक अध्यापिका कॉटनबड से एक बच्ची के होठों की लिपस्टिक को निकालकर दूसरी बच्ची जो कि, घर से लिपिस्टिक लगाकर नहीं आई थी, के होठों पर लगा रही थी और पहली बच्ची यही सोचकर खुश हो रही थी कि, उसकी अध्यापिका उसका मेकअप ठीक कर रही है। मैं पीछे खड़ी यह तमाशा देख रही थी। उस बच्ची के होठों पर पूरी लिपस्टिक लगा देने के बाद अध्यापिका पलटी तो उसने मुझे उसकी तरफ देखते हुए उसके पीछे खड़ा पाया। मुझसे आंखें बचाती हुई वह वहां से निकल तो गई, लेकिन यह घटना मेरे दिलो-दिमाग पर काफी गहरा असर कर गई।

बाद में पूछताछ करने पर पता चला कि, वह अध्यापिका पढ़ाने के साथ-साथ अलग बिजनेस भी करती है और उस बच्ची की माता उस अध्यापिका की सबसे बड़ी ग्राहक है ।

चूंकि जो भी हुआ वह ठीक नहीं था और चुप रहने का अर्थ था उस अध्यापिका के दुस्साहस को और बढ़ावा देना, अतः मैंने उस मोंटसरी स्कूल की प्राध्यापिका को सूचित करना जरूरी समझा साथ ही उस बच्ची के माता-पिता को भी इस हकीकत के बारे में बताया। कुछ दिनों बाद पता चला कि प्राध्यापिका ने उन अध्यापिका को चेतावनी देने के साथ ही एक नियम निकाला कि कोई भी अध्यापिका इस तरह का साइड बिजनेस विद्यालय में नहीं कर सकती है और किसी भी माता-पिता को इस तरह से अध्यापिका से कोई भी सामान खरीदने की अनुमति नहीं है।नियम का पालन न करने पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।परन्तु मैं अभी-भी पूर्णतः संतुष्ट नहीं थी।


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