एक आंसू
एक आंसू
वह पापा का आख़िरी ख़त था, जिसमें उन्होंने अपनी जिंदगी की उस कहानी के सबसे अहम पल को उसमें संजोया था। मेरे पापा ज्यादा शिक्षित नहीं है । लेकिन उनकी जिंदगी की हर घड़ी ने उन्हें और उन्हें देखने वाले को बहुत कुछ सिखाया है ।मैं अपने पापा से कभी ये नहीं कह पाया कि - पापा मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं। और इसी आकांक्षा से ना वो मुझे कह पाए ।मैं समझता हूं कि ये जरूरी नहीं है कि हर बात को शब्दों में बयां किया जाए।
मैंने एक बार एक जिद्द पकड़ ली कि मैं लव मैरिज करूंगा।मेरे लिए छोटी सी थी लेकिन पापा के मान सम्मान का सवाल था ।
( हमारे राजस्थान में इसे समाज का एक बुरा हिस्सा माना जाता है क्योंकि ये वो भूमि है जहां बड़ों की आज्ञा के आगे शायद मौत ही चलती थी।)
उन्होंने मुझे इतना डांटा की शायद कोई कह ही देगा कि ये पापा थोड़ी हैं और कहा कि - " सुबह होते ही घर से निकल जाना।"मैं बुरी तरह अपसेट हो गया ।
मुझे लगा शायद पापा सीरियस हैं। सुबह उठा तो देखा कि मेरे फोन के नीचे एक खत पड़ा था।( वो इसीलिए कि मैं उठते ही बस फोन चेक करता हूं।)
जिसमें लिखा था - " बेटा मेरे माता पिता की स्थिती ने मुझे विद्यालय तो नहीं भेजा लेकिन मेरी जिंदगी ने मुझे ये जरूर सिखाया है कि शिक्षा क्या है।
तू कुछ भी कर मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है , लेकिन कभी मान सम्मान पर आंच मत आने देना ।ये दुनिया है इसका कोई आकार नहीं कोई प्रकार नहीं है।
फिर पता चला कि पापा सीरियस ही थे।
सॉरी पापा।