दूध
दूध


वह रोज़ रोज़ की किटकिट से परेशान हो चुके थे.
“अरे उस दिन घर से दो लाश निकल जाती तो बेहतर था...एक के साथ एक फ्री...तेरी माँ बस छोड़ कर निकलना था...निकल गई...” – कहते हुए वह घर से बाहर निकलने वाले था...हमेशा के लिए.
“दादू...” – तोतले अंदाज़ में बोलते हुए उनकी डेढ़ साल की पोती ने अपनी दूध की बोतल उनके मुंह में डालने का प्रयास किया.वह इस दूध के कर्ज़ से बंधकर फिर से रुक गए.