दुनिया की निराली रीत
दुनिया की निराली रीत
दुनिया तेरी रीत निराली। लोग कहते कुछ है करते कुछ है ।सबके लिए दोहरे मापदंड होते हैं। करते वही है जिसमें उनको फायदा होता है। और दिखाने के लिए अलग ही बोलते है। कहते हैं ना ना हाथी के दांत खाने के अलग दिखाने के अलग। जैसे दुनिया की रीत है। जो लड़की ससुराल में बहु बनके जाती है, उसको उसके पियर वाले अलग शिक्षा देते हैं। और जो घर में बहू बन के आती है उस लड़की से उनकी अलग आशाएं होती है। अलग मापदंड होते हैं।
तो यह अलग-अलग रीत ही हो गई ना।लड़की के शादी में हम ऐसा ढूंढ लेंगे जिसको हमको दहेज ना देना पड़े ।लड़के की शादी में जहां से भर भर के दहेज आए यह है दुनिया की निराली रीत । अपवाद सब जगह होते हैं।
मेरी कहानी
बहुत समय पहले की बात है। जब इंदिरा गांधी की सरकार गईऔर दूसरी सरकार आई तब कुछ नेता और कुछ उनके चमचे भी सरकार में आ गए। बड़े जोरों से भाषण देने लगे ,हम दहेज नहीं लेंगे। दहेज विरोधी अभियान चलाने लगे।कोई तरह दहेज ले तो उसको जेल में डाल देंगे। मांगने वाले को बेटी मत दो। ऐसा सब चल रहा थाः।
उस समय एक सज्जन जिनकी शादी नहीं हुई थी वे थोड़े दिनों के बाद में शादी की तलाश में लड़की देख रहे थे लड़की के पिता खुश हुए हमारी लड़की पसंद कर ली है ।और उनसे कहा आप तो दहेज के विरोधी हैं ना । दहेज तो नहीं लेंगे ना। सीधी सादी शादी कर देते हैं। पांच सात जनों को रिश्तेदारों को बुला कर, आप भी अपनी तरफ से आपके खास कुछ दस पंद्रह लोग ले आना, और सीधी-सादी रीती से अपन शादी कर लेते हैं ।
तो वह सज्जन एकदम भड़क गए बोले। दहेज विरोधी अभियान चलाना, दहेज के विरोध में भाषण करना, यह जनता के लिए है। जनता को मूर्ख बनाने के लिए है। मगर मैं ऐसा मूर्ख नहीं हूं, कि बिना दहेज के और बिना बिना शान शौकत के शादी करूं। मेरी शादी में तो आपको एक मकान, एक गाड़ी ,और 50 तोला सोना ,देना होगा तब मेरा जैसा नेता आपको मिलेगा दामाद के रूप में ।और यह बात अगर बाहर गई तो आप कहीं के भी नहीं रहेंगे ।आप जानते हैं मेरा कितना चलता है सरकार में ।मैं आपको बर्बाद कर दूंगा ।वे सज्जन भी कोई कच्चे पोचे नहीं थे। उन्होंने बोला आप को जो करना है कर लो। अब मेरी लड़की की शादी आप से नहीं होगी। मैं मांगने वाले को लड़की नहीं देता ।इस तरह एक नेता का चेहरा सबके सामने बेनकाब हो गया। सच कहते हैं, इंसान तेरे कितने चेहरे। दुनिया की रीत कितनी निराली है। किसी के लिए कुछ और किसी के लिए कुछ। कहना कुछ और करना कुछ।
इसी तरह मैंने देखा लोग मंदिरों में कितना चढ़ावा चढ़ाएंगे। रूपए, पैसे ,लड्डू फल बहुत कुछ पड़ा होगा और बेचारे बाहर छोटे बच्चे भी भूख से बिलबिला रहे होंगे। मगर जो है वह भगवान को चढ़ाने के लिए है। भगवान को जो वह खाते नहीं है, उसके लिए सब है मगर जो छोटे बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं ,उनको देने के लिए कुछ नहीं यही दुनिया की रीत है।
