dolly shwet

Drama Inspirational

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दृष्टिकोण

दृष्टिकोण

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सीमा अपने पति सास ससुर और दो बच्चों के साथ रहती थी। सीमा नौकरीपेशा थी और उसकी सास घर संभालती थी। चूंकि सीमा को घरेलू कार्यों के लिए समय नहीं मिल पाता था अतः घर के सभी सदस्यों की पसंद नापसंद का ख्याल रखने के साथ-साथ सीमा और राजेश का टिफिन तैयार करना, बच्चों की ट्यूशन इत्यादि कार्य भी सीमा की सास ही करती थी।


सीमा की सास अपने बेटे बहू के कार्य के प्रति समर्पण से बहुत खुश और गौरान्वित थी।

जीवन व परिवार की खुशहाली इसी तरह हंसी खुशी चल रही थी।

सीमा जब ऑफिस से लौटती तो शाम को दो 1 घंटे रेस्ट करके फिर जो सास तैयारी कर देती उस पर हेल्प करा दिया करती थी नहीं तो अगर कोई प्रोजेक्ट या मीटिंग की तैयारी करनी होती तब सास को ही लगे रहना पड़ता था।


सीमा की सास के रिश्तेदार उसकी सास को कहते कि वह बहुत कार्य करती हैं। नौकरी वाली बहू होने पर घर के काम थोड़ी छोड़ दिए जाते हैं।

पर सीमा के साथ हमेशा मुस्कुरा देती।

सीमा भी जब ऐसी बातें सुनती थी तो उसके मन में यही होता था कि अगर मैं सब काम छोड़ कर घर के कामों में लग जाऊंगी तो मेरा भविष्य कैसे बनेगा।रही मम्मी जी की बात तो उनका शरीर चलता है अगर वह घर का काम कर लेते हैं तो कौन सी बड़ी बात है।


एक दिन अचानक सीमा की सास की तबीयत कुछ ख़राब हो गई अत: सीमा को अपने और राजेश के टिफिन के साथ-साथ बच्चों के टिफिन और पूरे परिवार का नाश्ता बनाना पड़ा। ऑफिस जाते जाते भी कुछ देर हो गई और सुबह सुबह राजेश से भी अच्छी कहासुनी हो गई।

सीमा का ऑफिस में भी मन नहीं लग रहा था उसका मूड भी कुछ चिड़चिड़ा सा था। सीमा के साथ की सहेली निशा ने सीमा को लंच के लिए पूछा तो वह बोली आज इच्छा नहीं है।


निशा -क्या बात है सीमा आज मूड ठीक नहीं लग रहा। तब सीमा ने बताया कि आज सास सुबह न उठी न बच्चों का टिफिन बनाया ना राजेश का । सुबह राजेश ने बताया कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है। यह बात वह मुझसे भी कह सकती थी पर उन्होंने यह जरूरी नहीं समझा और मैंने राजेश को जब यह बात कही तो वह उलटा मेरे ऊपर ही नाराज हो गए।

लगता है वह लोगों की बातों में आ गई हैं। तबीयत खराब थी तो वह मुझे बता देती मैं थोड़ा जल्दी अपना समय निकालकर काम कर लेती अब ऑफिस लेट आने की वजह से मुझे बॉस की 10 बातें सुननी पड़ी। वह हमेशा हाउसवाइफ रही तो उन्हें पता नहीं है कि नौकरी में कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं।


निशा-सीमा कोई बात नहीं खाने पर गुस्सा मत निकालो तुम अगर टिफिन नहीं लाई हो तो मेरे साथ खाना खा लो। मेरे घर में तो मैं अकेली हूं मुझे तो रोज ही घर का सारा काम निपटा के आना होता है और फिर सास तो सास है उसकी इच्छा होगी तो वह काम करेगी नहीं तो बहु नौकरी करो, चाहे मत करो उन्हें घर के कामों से मतलब है।

सीमा -सही है निशा मैं आज घर चली जाती हूं क्योंकि मेरा आज मन नहीं लग रहा वैसे भी मेरा हाफ डे लग चुका है।

सीमा का ऑफिस में भी मन नहीं लगा और वह आधी छुट्टी लेकर घर चली आई।

 घर पहुंची तो पाया कि सासू मां ससुर जी को खाना खिला रही हैं बच्चे पास्ता खा कर खेल रहे हैं। रसोई से सब्जी की खुशबू आ रही हैं।

 

सीमा के मन में विचार आया कि "जब सुबह सासु मां की तबीयत इतनी खराब थी, तो अब ठीक कैसे हो गई "उसे लगा कि सासु मां ने सुबह बहाना बनाया होगा उसके मन में विचार आने लगा की दुनिया की सारी सासें एक सी होती हैं।

बहू चाहे घर की समृद्धि के लिए अपनी जान भी दे दे, सास को कोई फर्क नहीं पड़ता। अरे यदि इन्हें आराम ही करना था तो रात को कह देती कम से कम सुबह राजेश से कहासुनी तो नहीं होती ।


सीमा के मन में ऐसे ख्यालात चल रहे थे कि अचानक उसकी सास ने उसे संबोधित करते हुए कहा "अरे बहू आज तुम जल्दी आ गई चलो अच्छा हुआ तुम्हारे पसंद की मटर पनीर की सब्जी बनाई है जल्दी से हाथ मुंह धो कर आ जाओ और खाना खा लो और हां राजेश मेरी दवाई लेकर आया था उसे भी खाना खिला कर भेजा है। बच्चे पास्ता की जिद कर रहे थे तो उन्हें भी बनाकर खिला दिया।"

सीमा चुपचाप खड़ी सब सुन रही थी उसने व्यंग से पूछा "सासू मां आप तो बिल्कुल भली चंगी लग रही हैं सुबह तो आप बेसुध सो रही थी लगता है दवा जल्दी असर कर गई।"

 

सासु मां ने कहा "नहीं बहू दवा में इतना असर कहां वह तो मैंने अभी तक ली भी नहीं है। सुबह तुम्हें ऑफिस जाते समय कितनी परेशानी उठानी पड़ी। तुम्हें और राजेश को कहासुनी करते हुए सुना। बच्चों को भी जल्दी-जल्दी स्कूल जाते हुए देखा। मुझे लगा की बेचारी बहु पर मेरी तबीयत के कारण कितनी परेशानी आ गई। यह सोच कर ही मुझ में ताकत आ गई। वैसे तू चिंता मत करना BP कुछ हाई आया है, थोड़ी शुगर ज्यादा है और इस उम्र में कॉलेस्ट्रोल तो थोड़ा बढ़ा हुआ रहता ही है। 

इतना सुनते ही सीमा की आंखें छलक पड़ीं। उसे लगा मानो वह आज अपनी ही नजरों में बहुत गलत है। मां से बढ़कर प्यार करने वाली उसे सास मिली है फिर भी वह उसके प्यार को नहीं समझ पा रही।

 

वह सोचने लगी कि "मैं कितनी बुरी हूं मैंने तो ढंग से सासू मां की तबीयत भी नहीं पूछी। जबकि वह अपनी तबीयत खराब होने पर भी हम सभी के बारे में कितना कुछ सोच कर अपने कर्तव्य के निर्वाह में लग गई । सचमुच मेरा दृष्टिकोण कितना गलत था।"


इधर सीमा खड़ी खड़ी सोच ही रही थी कि ससुर जी ने सासू मां को छेड़ते हुए कहा कि वाह बहू हो तो ऐसी जो अपना सारा ऑफिस का काम काज छोड़कर सासु मां की तबीयत के कारण घर चली आई। अब दोनों सास बहू खाना खा लो और दोनों ही रेस्ट करो।


सीमा ने जल्दी हाथ मुंह धो कर सासू मां को खाना खिलाया और दवाई दी। राजेश ने आकर जब देखा तो उसका मूड भी अच्छा हो गया शाम को सब ने मिलकर एक साथ खुशी भरा समय व्यतीत किया।


दोस्तों मेरी कहानी के माध्यम से  यह संदेश देना चाहती हूं की हमें हमारा दृष्टिकोण हमेशा सकारात्मक रखना चाहिए ।



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