दोस्ती है अनमोल

दोस्ती है अनमोल

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मोहन ने उच्च- स्तरीय-अध्ययन हेतु विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। गाँव से माँ भी आई। पहले ही दिन विश्वविद्यालय में उसके साथ पुलिस-अधिकारी के बेटे, विक्रम ने गलत तरीके से रेगिंग करना शुरू कर दिया।

रात में मोहन को घनघोर-बारिश के साथ अन्य-आवाजें आई, कुछ आदमी पुलिस की गाड़ी में बम छिपा रहे, भीगते-हुए पहुंचा विक्रम के पिताजी को सूचित-करने। विक्रम ने सोचा, शिकायत करने आया होगा। पता चला, पिताजी की जान बचाने आया। मुझे माफ़ कर मेरे दोस्त, दुश्मनों की खोली तूने पोल, मोहन ने कहा माँ की सीख, दोस्ती है अनमोल।


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