Diya Jethwani

Tragedy

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Diya Jethwani

Tragedy

दिल हैं हमारा खिलौना नहीं (8)

दिल हैं हमारा खिलौना नहीं (8)

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इस भाग के कुछ शब्द आपत्तिजनक हो सकतें हैं... कृपया कहानी की जरूरत को समझते हुए पढ़ें...। 


स्वाति के कहने पर मनिष ने दिनकर जी के मकान के कागज़ अपने पास ही रखें और बिना उनका मकान बेचें पैसों के इंतजाम में लग गया...। 

कुछ दिन बाद रुपयों का इंतजाम हो गया और मनीष ने दिनकर जी को पूरे चालिस लाख लाकर दिए..। 

इन कुछ दिनों में रेणु के ससुराल वालों की डिमांड भी ओर बढ़ गई थी... इसलिए दिनकर ने उन सभी को पूर्ण करने में पूरे चालिस लाख लगा दिए..। 

मनिष:- अंकल आप टेंशन ना लो... सामने वाली पार्टी को घर अभी खाली नहीं करके देना हैं.... उनको जब चाहिए होगा तब कुछ दिन पहले बता देंगे.... इसलिए आप अभी बेफिक्र हैकर यहीं रहिएगा..। 


पैसे मिलते ही.... 

रेणु का ससुर :- डिनर खाते वक्त... वाह बेटा... आज खाने में बहुत स्वाद हैं... सालों बाद इतना स्वादिष्ट खाना खाया हैं..। (अपनी जेब से पांच सौ की नोट निकालते हुए) ये रख बेटा... इतना स्वादिष्ट खाना बनाने के लिए तेरा नेग हैं...। 

रेणु सोच में पड़ गई :- लेकिन पापा.... मैं... 

ससुर :- अरे रख बेटा ये तो बहू का हक होता हैं...। 


डिनर खत्म कर उसके सास और ससुर अपने कमरे में चल दिए..। 

रेणु ने पैसे ले तो लिए पर उसे कुछ अजीब सा लग रहा था...। अचानक से उनके व्यवहार में आए फिर से बदलाव से वो सोच में पर गई...। उससे रहा नहीं गया और वो अपने सास ससुर के कमरे के बाहर कुछ सुनने के लिए खड़ी हो गई... तभी उसकी सास की आवाज उसके कानों में पड़ी:- देखिए जी... उस रेणु के सामने मैं कुछ बोली नहीं... लेकिन ये इस तरह से पैसे लुटाना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं..। अरे हमारा बेटा कितना दिमाग लड़ाता हैं इसे कमाने के लिए...। 

ससुर :- अरे... उसी के पैसे उसी को उपहार में दे दिए... और फिर आज पैसे मिले हैं तो अब ओर ज्यादा लगन से काम करेगी.... कभी कभी बीच बीच में यह सब करना भी जरूरी होता हैं.... वरना ये चलीं गई तो सारा काम तुमपर आ जाएगा...। 

सास :- ना बाबा... मुझसे इस उम्र में अब काम नहीं होता...। लेकिन सौ रुपये भी तो दे सकते थे... पांच सौ देने की क्या जरूरत थीं...। 

ससुर :- घबराओ मत भाग्यवान... तुम्हारी दोनों बहूएं कुबेर का खजाना हैं... इतनी जल्दी खाली नहीं हो पाएगा...। 

सास :- हां वो तो हैं... । 

दोनों खिलखिला कर हंसने लगे...। 


बाहर खड़ी रेणु ने जब ये सुना तो उसके पैरों तले मानो जमीन खसक गई हो.... वो कुछ समझ ही नहीं पा रहीं थीं की उसने क्या सुना...। लड़खड़ाते कदमों से वो अपने कमरे में गई... और बिस्तर पर फूट फूट कर रोने लगी...। 

घंटों इसी सोच सोच और रोने से उसके सिर की नसें फटने लगी...। 

उसके दिमाग में बहुत सी बातें चल रहीं थीं...। 

मेरे पैसे... 

दो बहूएं... 

ये सब का माजरा क्या हैं...। 

उसने कुछ सोचते हुए राज को फोन किया पर राज ने फोन नहीं उठाया...। तीन चार बार लगाने पर भी फोन नहीं उठा...। 

लिली :- राज some one calling you again and again.... Pick up your call... (राज कोई तुम्हें बार बार फोन कर रहा हैं अपना फोन उठाओ) 

राज:-leave it jaan.... Why are you spoling fun... ( छोड़ो ना जान....क्यूँ मजा खराब कर रहीं हो..) 

राज अपनी अय्याशी के चरम पर था... उसने रेणु का फोन देखा तक नहीं... वो ना सिर्फ रेणु को बल्कि कही ना कही लिली को भी धोखा दे रहा था..। 

राज ने जब रेणु का फोन नहीं उठाया तो उसने बहुत सोचकर स्वाति को फोन किया..। 

स्वाति :- हैलो... रेणु... क्या हुआ... इतनी रात को फोन किया हैं.. तू ठीक तो हैं ना..! 

रेणु जो लगातार रोए जा रहीं थी.. :- स्वाति... स्वाति... 

स्वाति :- रेणु.... क्या बात हैं... तू इतना क्यूँ रो रहीं हैं..! 

रेणु कुछ बोल ही नहीं पा रहीं थी... वो लगातार रोए जा रहीं थी..। 

स्वाति :- रेणु तू पहले प्लीज शांत हो जा... फिर मुझे बता बात क्या हैं...। 

कुछ देर बाद खुद को संभालते हुए रेणु ने स्वाति को अब तक उसके साथ हुई सारी बातें बताई..। जो उसने सुनी थी और जो उसके साथ हो रहा था...। 

स्वाति :- ओहह नो... इसका मतलब राज की एक ओर शादी हो रखी हैं...। लेकिन कहाँ.. किससे..? 

रेणु :- वो नहीं मालूम स्वाति... पर मेरी समझ में नहीं आ रहा राज ऐसा क्यूँ करेगा मेरे साथ... वो तो प्यार करता था मुझसे.. और ये पैसे... इन पैसों का... कैसे पैसे..। मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा..। 

स्वाति :- रेणु.... तू संभाल अपने आपको... और अभी जैसा मैं कहतीं हूँ... वैसा कर... तू सवेरे राज से नार्मल होकर बात कर और अपने ससुराल वालों से छुट्टी लेकर कुछ दिन अपने घर पर आ..। मैं भी कल सवेरे ही वहाँ आतीं हूँ...। वहाँ आकर हम सामने बैठकर सारी बातें करते हैं और कोई ना कोई रास्ता निकालते हैं..। अभी इस बारे में ओर किसी को कुछ मत बताना और प्लीज अब अपने आप को संभाल...। 

रेणु :- लेकिन स्वाति... वहाँ पापा.... उनको पता चलेगा तो...। नहीं नहीं पापा पहले ही दिल के मरीज हैं... उनके सामने...। 

स्वाति :- हम वहाँ बात नहीं करेंगे रेणु.... मनीष हैं ना....। 

रेणु :- लेकिन मनीष भाई ने अगर रितिक को कुछ बताया तो...। 

स्वाति :- वो तू मुझ पर छोड़ दे... कोई कुछ नहीं बताएगा...। तू बस अभी जल्द से जल्द वहाँ से निकल... लेकिन बिना किसी को कुछ बोले...। ठीक हैं... एकदम नार्मल...। 

रेणु :- ठीक हैं. । 


अगले दिन राज ने रेणु को फोन किया :- हाय मेरी जान.... कैसी हो... रात को फोन किया था तूने..! 

रेणु :- हां बस ऐसे ही...। 

राज :- मेरी याद सता रहीं थी क्या....? 

रेणु:- हम्म...। 

राज :- अरे तो शर्मा क्यूँ रहीं हो.... बोलो तो अभी रात बना दे...। 

रेणु :- नहीं.... वो... अभी..... काम हैं...। 

राज :- चलो कोई नहीं... आज रात को वीडियो काल पर मिलते हैं...। कल बहुत थक गया था जान...आफिस से आते ही सो गया...। 

रेणु :- कितना काम करना पड़ता होगा ना आपको.... मैं समझ सकतीं हूँ..। 

राज मस्ती में :- तुम इतनी समझदार हो तभी तो तुमसे शादी की.... वरना लड़कियों की कमी थोड़ी ना हैं..। 

रेणु :- राज.... मैं क्या सोच रहीं हूँ... मैं कुछ दिन पापा से मिल आऊं... बहुत दिन हो गए... मिले हुए...। 

राज :- ठीक हैं जैसी तुम्हारी इच्छा.... लेकिन रात को वीडियो काल मत भूल जाना.... मैं भी तड़प रहा हूँ तुम्हें @@@@देखने के लिए...। तैयार होकर आना...। 

रेणु :- हम्म्म्म.....आज तक कभी मना किया हैं क्या तुम्हें राज..। लेकिन यहाँ मम्मी पापा से तुम बात कर लोगे ना..! 

राज:- हां हां.... तुम उनकी टेंशन मत करो... तुम पैकिंग कर लो...। ठीक हैं...। 

रेणु :- थैक्यु राज.... बाय...। 

राज :- लव यू जान.... बाय बाय....। 


रेणु अपनी पैकिंग में लग गई....। 




रितिक के घर..... 

शिल्पी :- रिकी.... मुझे कुछ रुपये चाहिए.... पार्लर जाना हैं..। 

रितिक ने पांच सौ रुपये निकाल कर दिए....। 

शिल्पी :- ये क्या हैं.... इससे क्या होगा.... इतने में तो मुझे अंदर भी आने नहीं दिया जाएगा... मुझे पांच हजार चाहिए.... मुझे हेयर ट्रीटमेंट करवाना हैं....। 

रितिक :- लेकिन उसकी क्या जरूरत हैं.... तुम्हारे बाल इतने अच्छे तो हैं...। 

शिल्पी :- तुम्हें इस बारे में कुछ नहीं पता तो अपना फालतू का ज्ञान मत दो... मुझे सिर्फ पैसे दो...। 

रितिक :- लेकिन शिल्पी... इतने पैसे खर्च नहीं कर सकता मैं... तुम्हारे इन सब शौक की वजह से पहले ही बहुत कर्ज ले चुका हूँ...। 

शिल्पी :- अच्छा.... मेरा सजना संवरना... तुम्हें फालतू लगता है.... और ये जो तुम आए दिन लुढ़कते हुए घर आतें हो... कभी मैने उसका हिसाब मांगा हैं.... बार तुम्हारे बाप की तो होगी नहीं जो तुम्हें मुफ्त में पिलाता होगा...। 

रितिक :- वहाँ जाता भी तो तुम्हारी वजह से ही हूँ ना... वरना तुम भी अच्छे से जानती हो मुझसे शराब बरदास्त नहीं होती...। 

शिल्पी :- मेरी नहीं... खुदकी वजह से जातें हो...। हिस्सा मांग लेते अपने बाप से तो आज हम खुशी खुशी रह रहे होते..। 

रितिक शिल्पी के करीब आकर :- शिल्पी.... क्या तुम्हें कभी जरूरत महसूस नहीं होतीं... क्या तुम्हारा कभी दिल नही करता... क्यूँ तुम इतनी छोटी सी बात के लिए हम दोनों की जिंदगी खराब कर रहीं हो..। 

शिल्पी अपने आप को छुड़ाकर :- मुझे ये सब बिल्कुल पसंद नहीं हैं...। तुम बस अभी पैसे दो... मैने अपाइंटमेट ले रखा हैं...। 

रितिक मन मारकर जेब से पैसे निकालकर शिल्पी को देते हुए वहाँ से चला गया...। 

शिल्पी को इन सबसे कोई फर्क नहीं पड़ता था.... वो आए दिन रितिक से किसी ना किसी बहाने पैसे लेती रहतीं थीं..। 

रितिक के जाने के बाद... शिल्पी ने किसी को फोन किया.. :- हैलो अरेंज हो गया हैं...। शाम को चार बजे होटल ब्लूप्रिंट पर रुम नम्बर दौ सौ एक पर आ जाना...। 

शिल्पी अक्सर इस होटल में जाती रहतीं थीं...। उसने उसी बार वाले लड़के को वहाँ बुलाया था..। 

कुछ घंटों तक दोनों ने उस होटल के कमरे में अपनी हवस को पूरा किया....। 

करण :- मैम....आपका पति सच में बहुत बेकार इंसान हैं... जो आप जैसी बीवी को छोड़कर दूसरी जगह मुंह मारता हैं...। 

शिल्पी करण के सीने से लगते हुए:- अगर वो कहीं ओर मुंह ना मारता तो तुम यहाँ कैसे आ पाते...। 

करण :- ये तो सच हैं मैम...। 

शिल्पी अपने होंठ उसके होंठो पर रखकर फिर से अपनी काम इच्छा को संतुष्ट करने में लग गई...। 

तकरीबन साढ़े सात बजे करण वहाँ से चला गया.. । 

शिल्पी होटल के मैनेजर से :- काम हो गया ना..। 

मैनेजर :- यस मैडम... हर बार की तरह..। 

शिल्पी :- गुड.... ये लो तुम्हारी अभी की पेमेंट (पांच हजार देते हुए) बाकी के बकरे के फंसने के बाद...। 

मैनेजर :- नो प्राब्लम मैम.... आप कल आकर अपनी रिकार्डिंग ले जाइयेगा...। 

शिल्पी मुस्कुराती हुई वहाँ से चली गई...। 


शिल्पी किस तरह का काम करतीं थीं ये तो इस भाग में पता चल ही गया.... लेकिन क्या ये सब रितिक के सामने कभी आ पाएगा..! 

स्वाति रेणु की मदद कैसे करेगी..! 

क्या दहेज के लोभियों को सबक मिल पाएगा..! 

जानते हैं अगले भाग में...। 


जय श्री राम..। 



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