Diya Jethwani

Drama Romance Fantasy

3  

Diya Jethwani

Drama Romance Fantasy

दिल हैं हमारा खिलौना नहीं (9)

दिल हैं हमारा खिलौना नहीं (9)

7 mins
195


रेणु स्वाति के कहें अनुसार अपने मायके में आ गई..। अगले ही दिन स्वाति भी अपनी चाची के यहाँ से वापस आ गई..। 

स्वाति मनीष को पहले ही सारी बातें बता चुकी थीं..। इसलिए मौका देखकर मनीष ने दोनों को अपने घर बुलाया..। 

वहाँ मनीष ने उसके ससुराल वालों द्वारा दहेज की मांग और उसके चलते दिनकर का घर बेचने की सारी बातें बताई..। 

दहेज की बात से रेणु बिल्कुल अंजान थीं..। 

उसे यह सब सुनकर जैसे झटका लगा हो..। रेणु को अब समझते देर नहीं लगी की आखिर क्यूँ बार बार उसके ससुराल वालों का स्वभाव बदल रहा था..। लेकिन राज भी इन सब मे शामिल हैं वो ये बर्दाश्त नहीं कर पा रहीं थीं..। 

रेणु :- भाई... अगर पापा का घर नहीं बेचा तो फिर मेरे ससुराल वालों को पैसे कहाँ से भेजे आपने..? 

मनीष :- वो तुम्हें स्वाति बताएगी..। 

स्वाति :- वो कहीं से भी आए... उसे छोड़ो... अभी ये सोचो की इन सब को सबक कैसे सिखाया जाए..। 

रेणु :- स्वाति .. पूरे चालीस लाख की बात है... ऐसे कैसे छोड़ दे..। बता कहाँ से आए...? 

स्वाति :- वो.. वो.... यार... 

मनीष :- इसने अपना घर बेच दिया...। 

रेणु आश्चर्य से:- व्हाट..! 

स्वाति :- इसमें इतना हैरान होने की क्या बात है यार.. । 

रेणु :- स्वाति तू पागल हो गई हैं... वो घर तेरे माँ पापा की निशानी था... तूने मेरी खातिर... तू सच में पागल हैं... तू ऐसा कैसे कर सकतीं हैं... तुझे पता हैं जब पापा को ये सब पता चलेगा तो उनको कितनी तकलीफ होगी...। कब तक ये बात छिपा सकोगे... बोलो...। 

मनीष :- रेणु... अब जो हो चुका.... उसका बाद में सोचेंगे... पहले तेरे ससुराल वालों और राज के साथ क्या करना हैं वो सोचो..। 

स्वाति :- सोचना क्या हैं.. रेणु मैंने तुझे कुछ लाने को बोला था वो तू लाई..! 

रेणु :- हां... एक मिनट...। (रेणु ने अपने पर्स में से एक डायरी निकाली....जिसमें बहुत सारे फोन नंबर लिखें हुए थे..) 

स्वाति :- वैरी गुड....आइ एम श्योर....इससे कुछ ना कुछ तो जरूर मिलेगा..। 

मनीष :- ये क्या हैं... क्या हैं इसमें ऐसा..? 

रेणु :- ये राज की पर्सनल डायरी हैं... जो उसने लॉकर में रखी थीं... स्वाति ने फोन पर मुझसे पूछा था कुछ ऐसा हो तो मैं लेकर आऊं..। 

मनीष :- ओहह..... लेकिन क्या इससे कुछ मिलेगा..? 

स्वाति:- let's see..... Hope well.. 

स्वाति ने डायरी खोली तो उसमें बहुत से फोन नंबर थे.. उसके अलावा कुछ नहीं...। 

मनीष :- इसमें तो नम्बर के अलावा कुछ नहीं हैं....! 

इन नम्बर से कैसे कुछ पता चलेगा..। 

स्वाति कुछ पल सोचकर... :- पता चल सकता हैं..। 

मनीष :- कैसे..? 

स्वाति :- सबसे पहले तो हमें यह पता लगाना हैं की राज की दूसरी शादी हुई हैं की नहीं...और अगर हुई हैं तो किससे..! 

जहां तक मैं सोच रहीं हूँ... राज और उसके घरवालों ने रेणु से शादी सिर्फ दहेज के लिए की हैं.. और राज रहता हैं सालों से देश के बाहर.. तो अगर उसकी शादी हुई हैं तो हो सकता हैं किसी दूसरे देश में या फिर अमेरिका में ही... जहाँ वो अभी हैं.. तो हमें इस डायरी में से इंटरनेशनल नंबर... और खासकर अमेरिका के नंबर ढूंढने होंगे..। 

मनीष :- लेकिन डियर वो वहां सालों से रहता हैं तो हो सकता हैं ऐसे बहुत से नंबर हो... हम किस किस को फोन करेंगे और फिर फोन पर बोलेंगे क्या..? 

स्वाति:- वो सब मुझपर छोड़ दो... बस हमें एक unknown नंबर चाहिए... जिससे हम इंटरनेशनल फोन कर सकें..। 

मनीष :- उसका इंतजाम मैं कर लूंगा और बैलेंस भी करवा लूंगा..। 

स्वाति :- तो ठीक हैं.. हम सिम का इंतजाम हो जाने पर मिलते हैं..। 

रेणु :- ठीक हैं...। 

मनीष :- चलो मैं तुम्हें छोड़ देता हूँ...और डियर तुम यहीं रह रहीं हो...मैंने घर पर बात कर ली हैं.. । 

स्वाति :- लेकिन मनीष उसकी क्या जरूरत थीं... मैंने हाटेल बुक करवा दिया हैं..। 

मनीष :- वो मैं कुछ नहीं जानता.. कैंसिल कर दो बुकिंग..। अपना सामान यहाँ मंगवा लो..। ओके... नो मोर डिस्कशन..। 

स्वाति :- ओके डियर...। 


वही दूसरी ओर... 

शिल्पी ने होटल से सभी रिकार्ड्स लेकर करण को फोन किया:- हैलो हैंडसम... कैसे हो..! 

करण :- हाय.... बिल्कुल ठीक... तुम बताओ..! 

शिल्पी :- आइ होप... तुम्हें मजा तो आया ही होगा..। 

करण :- मजा... अरे यार... तुमने तो मेरी लाईफ बना दी.. । सच में तुम्हारे बिना तो मैं अधूरा सा था..। 

शिल्पी:- तो फिर... वापस कब मिलना हैं..? 

करण :- जब तुम बोलो जान... मैं तो हमेशा तैयार रहता हूँ..। 

शिल्पी :- ठीक है तो आ जाओ... आज रात को... घर पर..। 

करण :- घर पर...! 

शिल्पी :- हां... 

करण :- लेकिन तुम्हारा पति..! 

शिल्पी :- अरे... उसको लेकर ही तो आना हैं तुम्हें...। उसे वहाँ भेजना कैसे हैं वो मैं संभाल लुंगी.. । 

करण :- लेकिन हम बाहर भी तो मिल सकते हैं..। पिछली बार की तरह..। 

शिल्पी :- अरे हैंडसम... बाहर एक टाइम लिमिट होती हैं... घर पर तो हम फुल नाईट साथ रह सकते हैं ना..और फिर लेट नाइट के मजे ही अलग होते हैं.. । 

करण :- ठीक हैं...। आता हूँ आज रात..। 

शिल्पी :- ओके हैंडसम...आइ एम वैटिंग फार यू... बाय..। 


रितिक के ऑफिस से घर आते ही.. 

शिल्पी :- रिकी... मुझे कुछ रुपये चाहिए..। 

रितिक :- शिल्पी.. अभी तो घर आया हूँ.. कुछ देर तो सब्र रख लिया करो..। 

शिल्पी :- तो कोई पत्थर तोड़कर नहीं आए हो..। पत्थर तो मैं तोड़ती हूँ पूरा दिन घर का काम कर करके..। 

रितिक गुस्से से अपना पूरा पर्स उसको देते हुए:- ये लो जितना चाहिए.. ले लो.. मेहरबानी करके मुझे अकेला छोड़ दो..। 


रितिक वहाँ से अपने कमरे में चला गया.. । शिल्पी टेंशन में आ गई की आज ये चुपचाप कमरे में क्यूँ चले गए... और बार में क्यूँ नहीं जा रहें.. । 

शिल्पी कुछ देर सोचकर रितिक के कमरे में गई और बोलीं :- ये लो मैंने कुछ रुपये निकाल लिए हैं... बाकी के तुम्हें भी तो चाहिए होंगे ना बार में जाने के लिए..। 

रितिक बिना कुछ बोले अपने बेड पर जाकर लेट गया..। 

शिल्पी :- तुम बाहर नहीं जा रहें..! 

रितिक ने कोई जवाब नहीं दिया.. । 

शिल्पी :- अच्छा खाना तो खा लो..। 

रितिक :- मुझे नहीं चाहिए खाना.. तुम खा लो... मुझे अकेला छोड़ दो प्लीज... लीव मी.. । 

शिल्पी को कुछ समझ नहीं आ रहा था की अब वो क्या करें..। 

शिल्पी मन में ( अगर रिकी बार नहीं जाएगा तो करण घर कैसे आएगा.. और अगर करण नहीं आया तो उसे फुटेज कैसे दिखाऊंगी और पैसे कैसे ले पाऊंगी..। क्या करूं... आज रिकी को हुआ क्या हैं... मैंने तो आते ही इसलिए पैसे मांगे ताकि वो गुस्सा करें.. और चला जाए... वरना मुझे पैसे की कमी थोड़ी ना हैं..। पर अभी करूँ क्या..। अरे हां... आइडिया...। वाह शिल्पी तेरा भी जवाब नहीं..। ऐसी सिचुएशन के लिए ही तो जुगाड़ करके रखा था मैंने..। मैं बेवजह ही परेशान हो रहीं हूँ..। ) 

शिल्पी किचन में गई और दूध गर्म करके उसमें कुछ पाउडर (नशे की दवाई) मिलाया.... और रितिक के कमरे में आई...। 

शिल्पी :- आइ एम सॉरी.... रिकी... ये लो तुम्हारे पैसे... (लिए हुए पैसे वापस देते हुए) ... इस तरह बिना खाना खाए मत सो प्लीज...अच्छा चलों ये दूध पी लो..। अब उठो भी... प्लीज..। शिल्पी ने जैसे ही उसे जबरदस्ती उठाने के लिए छुआ... रितिक का पूरा शरीर तप रहा था...। ओहह आपको तो बुखार हैं...। मुझे पहले क्यूँ नहीं बताया..। 

शिल्पी बुखार की एक टेबलेट लेकर आई और रितिक को देते हुए बोलीं:- ये दवाई ले लो.. दूध के साथ... सुबह तक बुखार बिल्कुल ठीक हो जाएगा..। 

रितिक समझ नहीं पा रहा था की आज शिल्पी उसके साथ ऐसा बर्ताव क्यूँ कर रहीं हैं..। आज से पहले भी वो कई बार बिना खाना खाए सोया हैं... बीमार होकर सोया हैं... आज से पहले तो कभी उसने ऐसा नहीं किया..। रितिक को ये सब बहुत अजीब लग रहा था..। इस तरह शिल्पी का जबरदस्ती दवाई देना और दूध पीने पर फोर्स करना...। रितिक उठा और शिल्पी से दवाई ली...। वो दूध पीने ही वाला था की तभी शिल्पी को करण का फोन आया..। 

शिल्पी :- रिकी तुम दवाई लो... दूध पीयो मैं बस अभी आई..। 

रितिक मन में (इतनी रात को किसका फोन आया है..जो ये ऐसे उठकर चलीं गई...और आज ये बार बार दूध पी लो..दूध पी लो..इतनी चिंता क्यू कर रहीं हैं...कुछ तो चल रहा हैं उसके दिमाग में..आखिर क्या..!) रितिक ने एक घूंट दूध पीया तो उसे कुछ अजीब लगा... कुछ सोचकर उसने दूध जल्दी से उठकर बाथरूम के बेसिन में धोल दिया और पानी से दवाई ले ली.. और बिस्तर पर आकर लेट गया..। 

शिल्पी फोन पर :- क्या हुआ.. फोन क्यूँ किया..। 

करण :- अरे फोन ना करूँ तो क्या करूँ डार्लिंग... तुम्हारा पति तो अभी तक आया ही नहीं..! 

शिल्पी :- हां.. वो आज उसकी तबीयत खराब हैं.. वो नहीं आएंगे..। 

करण:- नहीं आएगा.. मतलब..। अरे मैं पूरी तैयारी करके बैठा हूँ.. और तुम प्रोग्राम कैंसिल कर रहीं हो..। 

शिल्पी :- प्रोग्राम कैंसिल कौन कर रहा हैं... हैंडसम..। तुम एक घंटे बाद आ जाओ..। 

करण :- मतलब..! 

शिल्पी :- मैंने उसको जड़ी बूटी दे दी है.. कुछ मिनटों में ही वो सो जाएगा गहरी नींद..। तुम आ जाना..। दरवाजा खुला ही होगा..। 

करण :- ओहह....ऐसा....। ठीक हैं जान..... मिलते हैं एक घंटे बाद..। 


शिल्पी फोन रखकर रितिक के पास गई:- बैड पर बैठकर..रितिक के सिर को गोद में रखकर :- अब कैसा लग रहा हैं रिकी...! 

शिल्पी उसके बालों में हाथ घुमाते हुए:- बस अब तुम आराम करो.. मैं यहीं बैठीं हूँ.. तुम्हारे पास..। 

रितिक के साथ शायद ये सब पहली बार हो रहा था.. इसलिए वो उस अहसास में खो सा गया और कुछ मिनटों में ही उसे नींद भी आ गई...। 


शिल्पी उसके सोते ही वहाँ से उठकर बाहर हाल में आ गई...। 


क्या शिल्पी का प्लान कामयाब हो जाएगा.. ? 

क्या स्वाति राज की असलियत पता कर पाएगी.? 

जानते हैं अगले भाग में..। 


जय श्री राम....। 

क्रमशः



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama