सीख....
सीख....
"रुकिए.... बस रोकिए.... रुकिए भईया....।"
सड़क पर दौड़ते दौड़ते ईशा चिल्लाए जा रहीं थीं, पर अफसोस उसकी बस निकल चुकी थीं...। वो अपना सा मुंह लेकर बस स्टैंड पर लगी बैंच पर बैठ गई...। आज उसे आफिस के लिए पहले ही देर हो चुकी थीं...। ऊपर से बस भी छुट गई..।
ईशा बस स्टाप पर बैठी मन ही मन खुद से बतियाने लगी...।
"अब क्या करेगी ईशू... आज आफिस में बॉस को जरुरी फाईल भी देनी थीं... अगर ये वक्त पर ना मिली तो बहुत बड़ी डील हाथ से निकल जाएगी...। सर ने कितनी उम्मीदों से मुझ पर सारी जिम्मेदारी सौंपी थीं...। लेकिन दो मिनट की देरी की वजह से सब उलट पुलट हो गया...। अब अगली बस का इंतजार करुंगी तो ओर भी देर हो जाएगी....। रिक्शा तो यहाँ वैसे ही बड़ी मुश्किल से आतीं हैं...। एक काम करतीं हूँ प्राइवेट बस में ही चढ़ जाती हूँ...। वो वैसे भी छोटे रुट से जाती हैं... समय पर पहुंचा भी देगी...। सरकारी बस तो अभी पंद्रह मिनट से पहले आने नहीं वालीं... तब तक तो मैं आधा रास्ता पार कर चुकी होंगी...। यहीं सही रहेगा...। "
ईशा अभी ऐसा सोच ही रहीं थीं की बस स्टैंड पर उसके रुट पर जाने वाली प्राइवेट बस आकर रुकी..। ईशा फटाफट उठी ओर उस बस में चढ़ने की जद्दोजहद करने लगी...। मुश्किल से ही सही पर वो बस में चढ़ गई...। बस में चढ़ते ही उसने राहत की सांस ली...।
प्राइवेट बसों में भीड़ का तो हमेशा जमावड़ा रहता हैं क्योंकि वो छोटे रुट से जाती हैं ओर गंतव्य तक सरकारी बसो से जल्दी पहुंचाती हैं...। उससे भी बड़ी बात उसमें किराया भी सरकारी बस से कम होता हैं..। इसलिए कालेज और आफिस जाने वाले ज्यादातर लोग उसमें सफर करते थे..। लेकिन भीड़ की वजह से ऐसी बसो में महिला सवारियां कम ही सफर करतीं थीं.. क्योंकि इन बसो में मनचलों की भी भरमार होतीं हैं... और महिला सवारी के लिए अलग से बैठने की कोई व्यवस्था भी नहीं होतीं हैं..। ईशा खुद आज पहली बार इस बस में चढ़ी थीं...। वो इन सब बातों से अंजान तो नहीं थीं... क्योंकि उसके साथ काम करने वाली कुछ सहकर्मी अक्सर इस बारे में बताया करतीं थीं...। लेकिन ईशा बिल्कुल निर्भिक होकर बस में चढ़ गई थीं...।लेकिन उस बस में खड़े होने में भी बहुत परेशानी हो रहीं थीं..। कुछ देर ही हुई होगी की ईशा ने महसूस किया की बिना बस के झटकों के कोई लगातार उसे पीछे से झटका दे रहा हैं... उससे बार बार टकरा रहा हैं..।
ईशा ने ईग्नोर करते हुए....बिना कुछ बोले अपने आप को उस जगह से थोड़ा आगे कर लिया...।
कुछ देर बाद एक हाथ उसके कंधे से होता हुआ बस में ऊपर लगे हैंडल तक गया..। अचानक हुई इस छुअन से ईशा सकपका गई....। उसने पलट कर देखा तो एक बीस बाईस वर्ष का एक लड़का उसे बहुत ही अजीब नजरों से देख रहा था...। ईशा कुछ बोलतीं या समझती इससे पहले ही बस का एक हल्का सा झटका लगा.... जिसका फायदा उठा कर उस लड़के ने ईशा के सीने पर हाथ लगाया...। उसके बाद भी वो लड़का बाज नही आया और ईशा की कलाई पर हाथ फेराया....।
ईशा ने आव देखा ना ताव और उस लड़के को एक जबरदस्त थप्पड़ रसीद किया..।
थप्पड़ खाने के बाद वो लड़का बहुत ज्यादा गुस्से में आ गया और जोर से चिल्लाया.... "ए.... ड्राइवर.... गाड़ी रोक....रोक... ####। "
लड़के की आवाज सुन ड्राइवर ने बस रोक दी...। आस पास खड़े सभी लोग डर की वजह से बस के रुकते ही नीचे उतर गए....। लड़के ने तैश में आकर ईशा का हाथ पकड़ा ओर उसे गाली देते हुवे कहा :-" ## मुझे थप्पड़ मारेगी... ## तेरी इतनी हिम्मत...अब तु देख मैं क्या करता हूँ...।"
लड़के ने बस में बैठी बाकी सवारियों को भी नीचे उतरने का इशारा किया और अपने मोबाइल से किसी को फोन किया.।
बस में मौजूद इतने लोगों में से किसी ने भी कोई विरोध नहीं किया ना ही कंडेक्टर या ड्राइवर ने कुछ कहा...। एक बुजुर्ग ने कुछ कहना चाहा तो उस लड़के ने उसे बस से धक्का मार दिया...। जिससे उसे चोट लगते लगते बची...। सब कुछ इतना जल्दी जल्दी हो रहा था की किसी को कुछ सुझ ही नहीं रहा था..।
तभी तीन लड़के उस बस में सवार हुवे और ड्राइवर से कहा :- "चल.... बस चला.... अब ये बस तब तक नहीं रुकनी चाहिए... जब तक हम ना कहें..। चल चला बस और खबरदार जो कोई होशियारी की...। इस शहर का नेता मेरा चाचा हैं.... समझा... आज दिन में सुहागरात मनाएंगे.... स्पीड से चला ओर शहर के बाहर तक ले जा.... तेरा सारा खर्च पानी मैं दे दूंगा.... समझा... अगर थोड़ी भी चालाकी की ना तो ये रामपूरी तेरे पेट के आरपार हो जाएगी....।"
ड्राइवर ने डर के मारे बस स्टार्ट की और शहर की सड़कों पर दौड़ाने लगा...। हंसी के ठहाकों से बस गूंजने लगी...।
तभी एक लड़का बोला :- "चल राका... शुरू हो जा... ले ले अपनी थप्पड़ का बदला...।"
राका जिसने अभी तक ईशा का हाथ पकड़ कर रखा था उसने ईशा को बस की सीट पर धक्का दिया..। ईशा मुंह के बल गिरी.. लेकिन वो तुरंत ही सीधी भी हो गई...। राका उसके नजदीक गया और उस पर झपटने ही वाला था की ईशा ने एक जोर की किक उसके पेट के नीचे दे मारी... जिससे वो दर्द से कराहने लगा..ओर फर्श पर गिर गया...। उसके गिरते ही ईशा खड़ी हुई ओर बोलीं :- "आओ.... अब किसको आना हैं... किसको मनाना हैं सुहाग दिन....। "
ये सब देखते ही एक लड़का गाली देता हुआ उसकी तरफ़ भाग कर गया.... वो जितनी तेजीं से गया था उतनी तेजीं से वापस लौट आया... ईशा ने एक जोरदार पंच सीधा उसके नाक पर दे मारा...। उसकी नाक से खून बहने लगा....। अब बाकी के दोनों लड़के ईशा की तरफ बढ़े.... लेकिन ईशा ने लात और घुंसो से उन दोनों की ऐसी ठुकाई की कि उनको संभलने तक का वक्त नही मिला..।
ईशा ने निरंतर उन चारों पर वार पर वार चालू रखें...। वो चारों लड़के दर्द से कराह रहें थे...। ईशा ने कराटों में ब्लैक ब्लेट हासिल किया हुआ था...।जो आज उसे काम आ रहा था...।
फिर ईशा ने अपने पर्स में से एक छोटी सी बोतल निकाली... जिसमें चिल्ली स्प्रे (मिर्ची का लिक्विड) था...। वो उन चारों के चेहरे पर उड़ेल दिया...। इससे उन चारों की हालत बद से बदतर हो गई थीं...। वो चारों फर्श पर बचाओ बचाओ.... पानी दो... पानी...पानी चिल्लाने लगे...।
ईशा ने अपनी आफिस की फाईल और पर्स लिया और ड्राइवर के पास जाकर कहा :- "भईया... बुरा नहीं मानना लेकिन एक बात कहुंगी... अगर मेरी जगह आपकी बेटी होतीं तो भी आप ऐसे ही डर कर बैठ जाते...। आपको क्या लगता हैं ये कोई लीडर का बेटा या भतीजा हैं... हम्म... ये सिर्फ आपको डराने धमकाने के लिए कह रहा था...। आपके इसी डर की वजह से ऐसे लोगों को शय मिलतीं हैं.. कोई भी महिला इन बसों में चढ़ने से पहले सौ बार सोचती हैं..। मैं आए दिन ऐसे किस्से सुनती हूँ... जाहिर सी बात हैं आप भी जानते होंगे...। लेकिन आपकी ये चुप्पी ना जाने कितनी लड़कियों को सहमा जाती हैं..। हर लड़की विरोध नहीं कर पाती... कोई चुपचाप बस से उतर जाती हैं तो कोई कुछ देर की छेड़छाड़ समझकर बर्दाश्त कर लेती हैं...। अगर आप लोग साथ दे... ऐसे लोगों को बस में चढ़ने से रोक दे... सीमित संख्या में सवारी चढ़ाएं तो... मुश्किल खुद ब खुद हल हो जाएगी...। मान लो... आज ये लोग अपने मकसद में कामयाब हो जाते .... तो क्या आप रात को सुकून से सो पाते..!!
एक बार सोचकर देखिएगा...।
खैर अभी बस रोकिये मुझे वैसे ही बहुत देर हो चुकी हैं आफिस के लिए...। इन चारों का क्या करना हैं आप देख लिजिएगा..।"
ड्राइवर :- "बेटी... मुझे माफ़ करना.... लेकिन मैं एक आम आदमी हूँ... परिवार वाला हूँ... ड्राइवर की नौकरी करता हूँ...चाहकर भी कभी कुछ कर नहीं सकता... लेकिन अब कोशिश जरूर करुंगा की फिर से कम से कम मेरी बस में ऐसा कुछ ना हो...। मैं अपने मालिक से और दूसरे सभी स्टाफ से भी इस बारे में बात करुंगा..। अभी तुम्हें तुम्हारे आफिस छोड़कर इनको इनके ससुराल छोड़ आता हूँ...।"
ईशा के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई और वो बोली :- "थैंक्यू सो मच... मैं उम्मीद करुंगी... आपकी ये छोटी सी पहल काम कर जाए...।"
कुछ देर बाद ही वो आफिस पहुंची....। आफिस पहुंचते ही बॉस ने देर से आने पर उसकी क्लास लेनी शुरू कर दी...। ईशा चाहकर भी अपनी सफाई में कुछ बोल नही पाई.... क्योंकि बॉस ने उसे बोलने का मौका ही नहीं दिया...।
कुछ देर बाद बॉस ने गुस्से से उसके हाथों से फाइल ली और अपने केबिन में चला गया..।
ईशा डांट खाकर अपसेट तो हुई.... लेकिन फिर बस वाला किस्सा याद कर वो हल्की सी मुस्कान के साथ अपने काम में लग गई... ।
लंच टाइम में उसके साथ काम करने वालो लोगों ने जब उससे देर से आने का कारण पूछा तो ईशा ने बस वाला हादसा उन सभी को बताया....। लेकिन वो सभी इस बात से अंजान थे की आफिस के बॉस भी पीछे खड़े होकर उसकी बात सुन रहे थे..।
ईशा की बात खत्म होते ही सभी सहकर्मियों ने ताली बजाकर ईशा की तारिफ़ की...। इस पर पीछे खड़े बॉस ने कहा :- "वेलडन ईशा.... ग्रेट....।"
सर आप....ईशा और बाकी सभी खड़े होकर बोले...।
"अरे बैठो सब....। ईशा तुमने ड्राइवर को और उन लड़कों को तो बहुत अच्छी सीख दी... लेकिन एक सीख उन सभी लड़कियों को भी दो.. जो ऐसी छेड़छाड़ को चुपचाप सह लेती हैं...। हमारे ही स्टाफ की कुछ लड़कियां भी इसमें शामिल हैं... उन सभी को भी कराटें और सेल्फ डिफेंस की कुछ ट्रिक सीखा दो... ताकि ऐसे हादसों पर रोक लग सकें..। इन्हें दूसरों से कुछ मदद मिलने की उम्मीद ना रखकर खुद अपनी मदद करने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए...और हां.... सवेरे की डांट के लिए आइ एम सॉरी....। लेकिन जो मैने कहा उस बारे में कुछ जरूर करना.. ।"
"जी सर....। थैंक्यू सो मच....। मैं इस बारे में कुछ तो जरूर करुंगी....। "
बॉस वहाँ से मुस्कुराते हुवे वहाँ से चले गए...। सभी सहकर्मी ईशा की तारीफ़ करने लगे.... लेकिन ईशा अपने अगले प्लान कराटे क्लास के बारे में सोचने लगी.....।
ईशा कोई बहुत बड़ी सेलेब्रिटी तो नहीं थीं.... लेकिन उसने जो किया.... वो बहुत कम महिलाएं कर पाती है....। हमें जरुरत हैं ऐसी महिलाओं की.... जो चुपचाप सब सहन करने की बजाय आवाज उठाएं.... अपनी मदद खुद करें.... सरकार से... समाज से... मदद मिलने की राह ना देखें...। अगर कुछ गलत हो रहा हैं तो डटकर उनका सामना करें...। डरकर, दुबक कर खामोश ना रहे...। अपने आत्मसम्मान की रक्षा अब खुद करें...।