Diya Jethwani

Romance Fantasy Thriller

4  

Diya Jethwani

Romance Fantasy Thriller

दिल हैं हमारा खिलौना नहीं 11

दिल हैं हमारा खिलौना नहीं 11

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कुछ देर बाद..... 

मनीष :- स्वाति क्या तुम्हें लगता हैं ये लिली ही वो लड़की हैं..। 

स्वाति :- पक्का तो नहीं कह सकतीं... लेकिन इसके अलावा इंटरनेशनल फोन पर कोई भी ऐसे बात करते हुए हड़बड़ाया नहीं था..। अगर हैं तो राज जरूर रेणु को या अपने पेरेन्ट्स को फोन जरूर करेगा... और अगर नहीं भी हैं तो भी राज के कानों तक ये बात तो पहुंचेगी की कोई उसकी जासूसी कर रहा हैं... तो भी वो फोन तो जरूर करेगा..। रेणु को फोन करें या अपने पेरेन्ट्स को दोनों का ही रिकार्डिंग सिस्टम आन हैं... जो भी बात होगी रिकार्ड जरूर होगी..। बस हमें वो रिकार्डिंग हासिल करनी हैं... और उसके लिए रेणु मान जाए.. हिम्मत से काम ले..। 


कुछ समय बाद... 

राज :- हैलो मम्मी... कैसे हो आप..! 

मिसेज वर्मा:- मैं ठीक हूँ बेटा तू बता.. वहाँ तो सब ठीक हैं ना...। 

राज :- मरते मरते बचा हूँ आज तो मम्मी..। 

मिसेज वर्मा:- क्यूँ क्या हुआ बेटा..! सब ठीक तो हैं ना..। 

राज :- पता नहीं किसी ने यहाँ लिली को फोन किया था मम्मी...। वो तो मैने उसे समझा लिया वरना आज तो मेरी बैंड बज जाती..। 

मिसेज वर्मा:- फोन... पर किसने... और बहू का नंबर कहा से मिला..! 

राज:- वहीं तो मुझे भी समझ नहीं आ रहा हैं मम्मी...। किसने और क्यूँ लिली को फोन किया...। 

मिसेज वर्मा:- कही ये रेणु का तो काम नहीं..? 

राज :- मेरे दिमाग में भी उसका ही नाम आया... पर सबसे पहले तो वो यहाँ है नहीं...। दूसरा उसके पास नंबर कैसे आया... और तीसरा वो नंबर दिल्ली का हैं..। 

मिसेज वर्मा:- बेटा मुझे तो बहुत घबराहट हो रहीं हैं तेरी बातें सुनकर... कही कोई हमारा राज़ जान तो नहीं गया.. कही किसी को शक तो नहीं हो गया हम पर..। 

राज:- घबराहट तो मुझे भी हो रहीं हैं मम्मी... इसलिए तो फोन किया हैं आपको.... देखो मम्मी लिली को छोड़ना खतरे से खेलने जैसा हैं... मैं ये सोच रहा हूँ .... क्यूँ ना रेणु को छोड़कर.. एक तरफ हो जाऊँ... वैसे भी उसके बाप से जितना दहेज मांगा था वो तो हमें मिल ही चुका हैं..। अब उसको बिठाने का क्या मतलब..। 

मिसेज वर्मा:- लेकिन बेटा उसे तो हम घर के काम काज के लिए लाये थें ना... वो चलीं जाएगी तो घर का काम कौन करेगा..। 

राज:- वहीं तो मैं भी सोच रहा हूँ मम्मी.. तभी तो आप से सलाह ले रहा हूँ की अब हमें क्या करना चाहिए..। 

मिसेज वर्मा:- ठीक हैं मैं तेरे पापा से बात करके बताती हूँ.. कोई रास्ता ढुंढंते हैं..। 

राज:- ठीक हैं मम्मी... अभी रखता हूँ....। 

मिसेज वर्मा ने घबराते हुए अपने पति को राज की बताई हुई सारी बात बताई..। 

वर्मा :- अरे तो इसमें इतना घबराने वाली कौनसी बात हैं... तुम दोनों भी ना बेवजह घबरा रहें हो... याद हैं वो बनारस वाला किस्सा... अरे वहाँ से भी तो राज पैसा लेकर फरार हो गया था... आज तक कोई ढुढ़ पाया क्या ..।अरे लड़की उनकी हैं... उनको चिंता करनी चाहिए.. हम क्यू टेंशन ले..और फिर अपना वो सीक्रेट फार्म हाउस तो बनाया ही इन सब के लिए हैं..। तुम टेंशन मत लो.. मैं राज से बात कर लुंगा..। 

मिसेज वर्मा :- लेकिन वो सब किस्सों में राज अकेला था.. हम शामिल नहीं थें.. यहाँ हम दोनों भी हैं..।सालों से यहाँ रह रहें हैं... ऐसे अचानक सब कुछ छोड़ कर कैसे जा सकते हैं..। 

वर्मा :- आजतक राज ने ना जाने कितनी लड़कियों को झांसे में फंसा कर छोड़ दिया... तो इस रेणु को छोड़ने में इतना क्यूँ झिझक रहा हैं..। 

मिसेज वर्मा :- रेणु से शादी उसने हमारे कहने पर की थीं..। हमने कहा था की यहाँ पास में ही शादी करके वापस चला जाए ताकि हमें दहेज भी मिल जाए और काम करने वाली भी..। अब अगर दिनकर जी को सब पता चल गया तो बहुत मुश्किल हो सकतीं हैं..। 

वर्मा :- लेकिन अभी ये कहा पता चला हैं की ये सब रेणु ने ही किया हैं.. अगर उसको पता चलता तो वो अभी तक यहाँ आ जाती..। 

तुम बेकार चिंता कर रहें हो.. ऐसा कुछ हुआ तो बाद में संभाल लेंगे..। 

वही दूसरी ओर शाम ढलने पर.... 

रितिक और मनीष एक होटल के कमरे में... स्वाति भी उनके कमरे के बिल्कुल बगल वाले कमरे में थीं.. दोनों कमरों के बीच एक दरवाजा था.. जो दोनों तरफ़ से बंद था... लेकिन वहाँ खड़े होकर आराम से सब कुछ सुना जा सकता था..। मनीष ने जानबूझकर वो कमरे बुक किए थे..। 

मनीष :-क्या हुआ रितिक... तू इतना परेशान और चुपचुप क्यूँ हैं... अचानक से यहाँ इस तरह... बोल यार...। 

रितिक बिना कुछ बोले मनीष के गले लग गया और फूट फूट कर रोने लगा..। 

मनीष कुछ पल के बाद :- यार बात क्या हैं...? 

रितिक अपने आप को संभालते हुए:- मेरा सब कुछ खत्म हो गया यार...। 

मनीष :- खुलकर बता बात क्या हैं..। 

रितिक :- मनीष... तुझे पता हैं मैंने शिल्पी से शादी क्यूँ की थी...? 

मनीष :- हां... तू उसको प्यार करता था..। 

रितिक :- नहीं...। 

मनीष :- तो फिर...! 

रितिक :- क्योंकि वो मुझे प्यार करतीं थीं... मैं तो किसी ओर से ही प्यार करता था..। 

मनीष :- किसी ओर से... किससे..! 

रितिक :- स्वाति से.... लेकिन स्वाति ने कभी मुझसे प्यार किया ही नहीं.. वो तो तुझसे..। 

मनीष :- ये तुझे किसने कहा..? 

रितिक :- शिल्पी ने... और मैने देखा भी था तुम दोनों को बहुत बार..। एक दूसरे के साथ..। तुझे पता हैं जब शिल्पी ने मुझे शादी के लिए कहा तो मैने साफ मना कर दिया था... क्योंकि मैं स्वाति से बेइंतहा प्यार करता था...। लेकिन उसका तेरे साथ कनेक्शन था...। तो भी मैं खुश था... लेकिन शिल्पी ने मुझे पाने के लिए अपनी हाथ की नस काट ली थीं... उसका प्यार देखकर मैं भी पिघल गया... और पापा की रोक के बावजूद मैने शादी कर ली...। शादी के तुरंत बाद ही उसने अपने रंग दिखा दिए... मुझे परिवार से अलग कर दिया... हर वक़्त हिस्सा और जायदाद की बातें..। आज तक... आज तक उसकी एक जिद्द की वजह से हम साथ नहीं सो पाए हैं...। मैंने अपनी तरफ़ से उसे प्यार देने की हर संभव कोशिश की... इस उम्मीद में की शायद वो एक ना एक दिन मेरे प्यार की कद्र करेगी..। लेकिन.... लेकिन..... कल... 

मनीष :- कल... क्या....? 

रितिक :- मनीष.... कल मुझे उसका असली चेहरा दिखा... क्यूँ वो कभी मेरे करीब नहीं आई.... क्यूँ वो हर वक़्त मुझे मजबूर करतीं थीं... अपने ही घर से चले जाने को...। मनीष..... शिल्पी ने मुझे धोखा दिया यार... वो गैर मर्दों के साथ रिश्ते बनातीं हैं और उनके साथ सोने के पैसे भी लेती हैं... उनकी विडियो बनाकर उनको ब्लैकमेल करतीं हैं...। 

मनीष :- व्हाट.... ! 

रितिक :- हां मनीष... मुझे कोई कहता तो शायद मैं कभी यकीन नहीं करता.. लेकिन यह सब मैने आंखों से देखा हैं... अपने ही घर में..। 

दरअसल मैं रोज़ रोज़ के झगड़े से बचने के लिए बियरबार में चला जाता था.. पीछे से घर में क्या होता था क्या नहीं मालूम नहीं.. पिछली रात को मैं घर पर ही रहा... शिल्पी ने बहुत बार कोशिश की पर मैं नहीं गया तो उसने मुझे दूध में बेहोशी की दवाई मिलाकर पिला दी... मैं बेवकूफ समझ रहा था की उसको एहसास हो रहा हैं..। मुझे दूध में कुछ गलत लगा... इसलिए मैने दूध तो फेंक दिया था.. लेकिन जब उसने पहली बार अपनी गोद में मुझे सुलाया तो मै बस उसमें खो गया और कब मेरी आंख लग गई पता ही नहीं चला..। उसे लगा होगा शायद मैं बेहोश हो गया हूँ...। इसलिए उसने एक बंदे को घर पर बुलाया..। 

कुछ आवाज की वजह से मेरी आंख खुली... मैं उठकर हाल में गया तो देखा की शिल्पी अधनग्न हालत में थीं और वो बंदा नग्न हालत में... और शिल्पी उसको कह रहीं थीं की अब तुम्हारे पास कोई रास्ता नहीं हैं करण... कल तक मुझे मेरे पैसे मिल जाने चाहिए... वरना ये विडीओ वायरल होने में चंद सैकैंड्स लगेंगे..। वो शख्स कपड़े पहनकर बोला:- ओहह तो अब मैं समझा.. की... क्यूँ कोई बंदा ज्यादा दिन तक इस बार में नहीं रुकता..। तुमसे बचने और अपनी बदनामी की वजह से..। फिर शिल्पी बोली :- मेरे लिए यह कोई नया नहीं हैं... पैसे लेकर आओ और विडियो डिलीट करवाओ.. और तुम जाओगे तो कोई ओर आ जाएगा... । 

वो बंदा उसी बार में काम करता था.. जहाँ में जाता था..। मैं सारा माजरा समझ गया... जब भी मैं बेहोशी की हालत में वहाँ के शख्स के साथ घर आता था... शिल्पी उसके साथ..... और फिर उसकी विडियो बनाकर... ब्लैकमेल...। 

मेरे पैरों तले जमीन खसक गई थीं.. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था..। उन दोनों की डील होतें ही वो बंदा तो चला गया...। उसके बाद शिल्पी ने खुद सारी बातें कुबूल की...। मुझसे शादी सिर्फ पैसों के लिए की थी.... लेकिन मैने पापा से कभी हिस्सा मांगा ही नहीं तो पैसे कहा से देता..। 

मनीष :- पैसे दे भी देता तो भी शिल्पी ये सब ही करने वाली थी..। 

रितिक :- क्या मतलब..! 

मनीष :- मतलब ये की मैं शिल्पी के बारे में पहले से ही बहुत कुछ सुन चुका था.. लेकिन मेरे पास कोई सबूत नहीं थें... मैने तुझे रोका भी था.. और मेरे ही कहने पर अंकल ने तुझे मना किया था.. मुझे लगा तू उनकी बात मानेगा.. पर तू उस वक्त ... खैर जाने दे.. जो हो गया सो हो गया..। ये बता अभी शिल्पी कहाँ हैं..। 

रितिक :- मैने उसे छोड़ दिया...।उससे हर रिश्ता खत्म करके आया हूँ..।मेरा अब उससे कोई वास्ता नहीं..।... मेरी किस्मत ही खराब हैं यार.. जिससे प्यार किया.. 

मनीष बीच में बोलते हुए :- एक मिनट रितिक...इससे पहले की तू कुछ ओर बोले.. मैं एक बात क्लियर कर देता हूँ... मेरे ओर स्वाति के बीच कुछ नहीं हैं... हम सिर्फ बहुत अच्छे दोस्त हैं.. क्योंकि स्वाति भी किसी ओर से प्यार करतीं हैं..। मुझसे नहीं..और कालेज के दिनों से करतीं हैं..। 

रितिक :- किसी ओर से... तो उसने अब तक शादी क्यूँ नहीं की..! 

मनीष :- क्योंकि.. उस लड़कें ने कहीं ओर अपना घर बसा लिया था..। अगर वो मेरे साथ प्यार में होतीं तो अब तक हम एक हो चुकें होतें..। ये बात मैने बहुत बार तुझे बतानी चाही... पर तुने कभी मानी ही नहीं.. सुनी ही नहीं..। 

रितिक :- ओहह... कौन था वो.. लड़का..! 

मनीष :- जानना चाहता हैं तो... खुद स्वाति से पुछ ले..। 

दरवाजे की दूसरी ओर स्वाति ने जब ये सुना की शिल्पी ने रितिक को धोखा दिया हैं तब से ही वो रो रहीं थीं... वो अपने बिस्तर में बैठी बस रितिक के लिए दूखी हो रहीं थी..। 

रितिक :- स्वाति से....! 

मनीष :- हां चल मेरे साथ..। 

मनीष ने रितिक का हाथ पकड़ा और उसे स्वाति के कमरे तक ले गया..। मनीष ने दरवाजा बजाया... स्वाति ने अपने आप को संभालते हुए दरवाजा खोला..। वो दोनों भीतर गए..। 

मनीष :- ये देख रहा हैं रितिक...इसकी सुजी हुई आंखें..। ये बहते हुए आंसू..। 

रितिक :- लेकिन ये यहाँ... यहाँ कैसे..। 

मनीष :- अभी भी तुझे समझाना पड़ेगा...। 

रितिक :- स्वाति... तुम... तुम...। 

मनीष :- तेरी गाड़ी तुम पर ही अटकी रहेगी... पागल... ये तुझसे प्यार करतीं हैं... कालेज के समय से... उस शिल्पी ने ना जाने तेरे दिमाग में क्या कचरा डाल दिया था..। ये आज मेरे साथ यहाँ आई हैं..जब तेरा फोन आया तब स्वाति वहीं थीं.. जैसे ही उसे पता चला तू परेशान हैं.. यहाँ आने की जिद्द करने लगी..। अब अगर तेरे दिमाग में ये चल रहा हैं की स्वाति मेरे घर क्यूँ तो.. उसका जवाब भी हैं... वो मेरे घर रेणु की वजह से आई थी..और इसने रेणु और अंकल के लिए जो.....। 

स्वाति ने झट से मनीष के होठों पर हाथ रखकर कहा:- तुम्हें मेरी कसम मनीष... प्लीज..। 

मनीष :- ठीक हैं... नहीं कहता..। लेकिन इतना जरूर कहुंगा रितिक... तेरा प्यार स्वाति थी... और हैं..। 

रितिक ने स्वाति के पास जाकर उस को गले से लगा लिया... और कहा:- आइ एम सारी स्वाति... मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ.. पर मुझे लगा तुम मनीष से.... इसलिए तुम्हारी खुशी के लिए तुमसे दूर हो गया... लेकिन एक पल भी मैं तुम्हें भूल नहीं पाया... मुझे माफ कर दो यार..। 

स्वाति को तो जैसे पूरे जहाँ की खुशी मिल गई हो... वो बस रितिक की बांहों में खो गई...। 

तभी स्वाति के फोन पर रेणु का फोन आया..। 

आखिर क्या बात हुई फोन पर.. 

जानते हैं अगले और अंतिम भाग में..। 


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