Pooja Gupta(Preet)

Inspirational

4.0  

Pooja Gupta(Preet)

Inspirational

दहेज

दहेज

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फूलों से सजे कमरे में अनु को बैठा कर सब चले गए। १० मिनट बाद ही मानस आ गया। जैसे ही मानस पास आया अनु बेड से उठ खड़ी हुई और गुस्से से पैर पटकती सोफे पर जाकर बैठ गयी। मानस ने पूछा इस गुस्से का कारण तो अनु फट पड़ी बोली आपको बीवी नहीं दहेज़ चाहिए था। अब उस पैसे के साथ ही रहिये, आपके जैसे आदमी को मैं अपना पति नहीं मानती, और गुस्से में वो सोफे पर ही सो गयी। उसका गुस्सा देख मानस ने कुछ बोलना ठीक नहीं समझा। घर में बहुत से रिश्तेदार आये थे, सब के सामने तमाशा नहीं चाहता था इसलिए वो भी चुपचाप सो गया। अगला दिन रस्मो में और मेहमानो की विदाई में बीत गया। अनु सब से हँस कर बात करती बस मानस को देखते ही चिढ़ जाती। मानस ने हँसी मज़ाक कर कई बार उससे छेड़ने की कोशिश की पर अनु का गुस्सा वैसा ही रहा। अरेंज मैरिज थी अनु की सास ससुर के साथ मानस उससे देखने आया था, तब सब कुछ ठीक ही लगा था। सुलझे हुए पढ़े लिखे लोग, मानस का मज़ाकिया स्वभाव उसे भा गया था। ससुर जी ने उसके पापा से कहा था- हम लेन-देन में यकीन नहीं रखते पर आप अपनी बेटी दे रहे हैं तो हम भी बदले में आपको अपना बेटा सौंपते हैं।आज से मानस को दामाद नही बेटा समझियेगा। उनके विचार सुन अनु बहुत खुश हुई थी। स्वाभिमानी अनु को दहेज़ के नाम से नफरत थी। दो महीने की सगाई में मानस के व्यवहार से कभी नहीं लगा कि वो लालची होगा। शादी से एक हफ्ते पहले अनु की मम्मी की तबियत ख़राब हो गयी एंजोग्राफी करवानी पड़ी। अनु शादी टालना चाहती थी पर मम्मी नहीं मानी। शादी के दिन फेरों के बाद जब वो विदाई के लिए तैयार हो रही थी, तो पास के कमरे से उसके पापा और मानस की आवाज़ आयी पापा मानस के आगे हाथ जोड़े खड़े थे-" मैं जल्दी ही ३ लाख रुपये दे दूँगा दामाद जी, मानस ने उनके हाथ पकड़ लिए और कहा -"ये सब बातें हम बाद में करेंगे पापा, आप विदाई की तैयारी करें और अनु को इस बारे में कुछ न बतायें"

अनु ने बस इतना ही सुना और वहाँ से चल दी। उसे मानस पर बहुत गुस्सा आया। पढ़े लिखे मानस से ये उम्मीद नहीं थी उसे। एक मन तो हुआ की बहुत हंगामा करे। फिर पापा की इज़्ज़त और माँ की तबियत का सोच, चुप रह गयी, पर उसने सोच लिया था की वो मानस को सबक सिखा कर ही रहेगी। वो ससुराल तो आ गयी पर मानस को पति नहीं माना।

रात को फिर मानस ने पूछा -"आखिर हुआ क्या है?क्यों मुझसे इतना गुस्सा ? शादी से पहले तो ऐसा कुछ नहीं था। कोई गलती हुई है तो बोलो ,मैं सुधार लूँगा।"

अनु बोली-" बात तो ऐसे कर रहे हो जैसे कुछ पता ही ना हो। ग़लती तो मुझसे हुई है जो तुम्हारी असलियत नहीं समझ पायी।"

मानस ने बहुत समझाया पर वो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं थी। अगली सुबह उसका भाई लेने आया और वो पग फेरे के लिए मायके आ गयी। घर आकर सबसे मिलकर बहुत रोई। पर पापा को देखते ही उसका गुस्सा फट पड़ा । -"पापा आप तो जानते थे ना आपकी बेटी कितनी स्वाभिमानी है, फिर क्यों आपने मेरी शादी दहेज़ के लालची मानस से करवा दी। एक बार मुझे बता तो देते की उसने आपसे ३ लाख रूपये मांगे हैं "

अनु की बात सुन सब अवाक रह गए। उसके पापा ने कहा की ऐसा कुछ नहीं हुआ मानस ने तो कभी कुछ नहीं माँगा। अनु बोली-" मैंने विदाई के वक़्त आप दोनों की बातें सुनी थी। मुझे सब पता चल गया।"

तब अनु के पापा ने बताया-" बेटी तेरी शादी की तैयारी में काफी पैसा खर्च हो गया था। ऐसे में तेरी माँ के इलाज के लिए ३ लाख कैश चाहिए था। मैं लोन लेने की सोच रहा था, तभी मानस ने कहा की वो हॉस्पिटल का सारा खर्च उठाएगा आखिर वो उसकी भी माँ हैं। मैंने उससे कहा की मैं थोड़े थोड़े करके पैसे लौटा दूँगा पर वो नहीं माना बोला- अब उन पैसों के बारे में कोई बात नहीं होगी, और तुझे ये सब बताने को भी मना किया। वो नहीं चाहता था की तेरे मन पर किसी तरह का बोझ हो।"

ये सब सुनकर अनु रो पड़ी। दो दिन वो मानस को दहेज के लिए भला बुरा कहती रही, पर मानस सब कुछ सहन करता रहा। कितनी ऊँची सोच थी मानस की। शाम को मानस उसे लेने आया तो वो उसके साथ घर आ गयी। रात को मानस रूम में आया तो अनु बेड पर ही बैठी रही। मानस बोला -"आज सोफे पर नहीं सोना क्या?"

अनु बोली-" नहीं "

मानस ने फिर पूछा -" तो क्या आज मुझे सोफे पर सुलाने का इरादा है ?"

अनु ने उसे सारी बात बताई और अपनी ग़लती के लिए माफ़ी भी मांगी। मानस ने उसे गले लगा लिया और शरारत से पूछा-"तो फिर आज सोफा खाली ही रहेगा।"

दोनो खिलखिला दिए।


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