डॉ0 साधना सचान

Tragedy

4.3  

डॉ0 साधना सचान

Tragedy

धारणा

धारणा

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सौम्या, पापा जी नहीं रहे।

ओह नो!!

कब? कैसे?

कोविड तो नहीं था?

सौम्या एक साँस में ही विभा से सारे सवाल पूछ गई।

नहीं, साधारण-प्राकृतिक मृत्यु हुई। उमर हो चली थी। कल शाम को अच्छी तरह से खाना खाया, हमसे देर तक बतियाते रहे। फिर ऐसे सोये कि सुबह उठे ही नहीं, विभा ने बताया।

विकास है क्या? सौम्या ने पूछा नहीं, वो तो पूना में ही है। कोरोना का कहर चल रहा है और लॉक डाउन भी है इसलिए मैंने ही कहा था कि वह वहीं रहे। मैं पापा के पास हूँ। इस समय मैं अकेली ही हूँ। समझ नहीं आ रहा है कि पापा का अंतिम संस्कार कैसे करूँ?

तुम परेशान न हो, मैं आ रही हूँ।

सौम्या ने कहा -तुम पुलिस को फोन कर दो। वो मदद कर देगी।

पुलिस!! विभा बोली

वो भला क्या मदद करेगी?

तुम जानती नहीं हो क्या पुलिसवालों को?


अच्छा ठीक है। मैं आ रही हूँ। वहीं आकर सोचते हैं चाचा जी की अंतिम क्रिया के लिए। सौम्या ने अपने भाई अपूर्व को अंतिम क्रिया का सामान लेकर विभा के घर पहुँचने के लिए कहा।पुलिस को फोन करके सारी बात बताई और खुद स्कूटी लेकर विभा के घर के लिए चल दी।

       वहाँ पहुँचकर देखा तब तक चाचाजी के दो बुजुर्ग दोस्त आ गए थे। उसने विभा के साथ मिलकर चाचाजी को बिस्तर से उतारा। तब तक सामान लेकर अपूर्व भी आ गया। अभी वे लोग अंतिम संस्कार के लिए स्वर्गाश्रम में बात कर रहे थे तब तक दरोगा जी चार पुलिसवालों के साथ एक लोडर ले कर आ गए।

विभा ने सौम्या की तरफ देखा। सौम्या ने विभा को बताया कि आजकल कोविड की वजह से अंतिम क्रिया में परेशानी हो रही है इसलिए उसने ये किया।

दरोगा जी ने स्वर्गाश्रम में बात की तो उन्होंने मृत्यु प्रमाण पत्र की माँग की। अब यह एक नई समस्या थी। घर में ही मृत्यु हुई थी और कोई इलाज भी नहीं चल रहा था। ऐसे में प्रमाणपत्र कहाँ से बने?

दरोगा जी ने विभा को ढाँढस बँधाया। बिटिया तुम परेशान न हो, हम सब इंतजाम कर देंगे। चाचाजी का क्रियाकर्म हम पूरे विधि विधान से करेंगे। वो हमारे लिए भी पिता समान हैं। थोड़ी देर में ही दरोगा जी मृत्यु प्रमाणपत्र बनवा लाये। चारों पुलिसवालों ने काँधा दिया। चाचाजी के दोस्त और अपूर्व के साथ स्वर्गाश्रम में अन्तिम संस्कार पूरे विधि विधान के साथ किया।

    वहाँ से लौटकर दरोगा जी विभा के घर आए। उन्होंने उसे अपना फोन नम्बर देते हुए कहा-बहन कोई परेशानी हो तो हमें बताना। हम हमेशा आपके साथ हैं। उन्हें धन्यवाद कहते हुए विभा की आँखें सजल हो गईं। आज उसकी धारणा पुलिस कर्मियों के लिए बदल गई थी।

         


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