डॉ0 साधना सचान

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3.5  

डॉ0 साधना सचान

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कुशल प्रबंधन

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    कमला से सब लोग खुश रहते हैं। वह काम में ज्यादा न नुकुर जो नहीं करती और छुट्टी भी बहुत कम लेती है। त्योहारों के समय तो उसकी व्यस्तता बहुत बढ़ जाती है। सभी घरों में सफाई का अतिरिक्त काम होता है। अभी पल्लवी के किचन की सफाई करके पुराना सामान एक तरफ रख रही थी तभी पल्लवी की आवाज आई-

कमला इसमें जो तुम्हारे लायक हो वो तुम रख लो बाकी बोरी में भर देना , कबाड़ी को दे देंगे।

कमला ने खुश होकर सामान बाँधना शुरू किया।

पल्लवी ने पास आकर पूछा-कमला तुम्हें तो त्योहार में सब घरों से कुछ न कुछ नया मिल ही जाता है फिर ये पुराना सामान क्यों ले जाती हो?

अरे भाभी!! वो नया सामान हम सहेज कर बक्से में रख देत हैं, बिटिया के ब्याह के लाने और जो पुराना सामान सबके यहाँ से लइ जात हैं उसे धो-मांज के चमका लेत हैं। हमाई गिरत्ती भी नई हो जात है। अपनी पुरानी गिरत्ती को कबाड़ी को दई देत हैं, दिवारी के दिया-बाती का जुगाड़ हुई जात है। लइया-मिठाई सबके इहाँ मिल जात है। अपनी दिवारी बढ़िया हुई जात है, इतना कह कर कमला सामान लेकर दूसरे घर की तरफ बढ़ जाती है।

                 



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