डॉ0 साधना सचान

Others

3.5  

डॉ0 साधना सचान

Others

उम्मीदों की मूर्ति

उम्मीदों की मूर्ति

1 min
101


रघु कई दिनों से गणेशजी की मूर्तियाँ बना रहा है। आज ये उसकी आखिरी मूर्ति है । उसके हाथ कुछ ज्यादा ही जल्दी -जल्दी चल रहे हैं । गणेश उत्सव आने वाला है और अभी सारी मूर्तियों को रंग-रोगन से सजाना है । मूर्ति जितनी अच्छी बनेगी उतने ही ज़्यादा पैसों में बिकेगी । बप्पा ने चाहा तो उसे अच्छे पैसे मिल जाएँगे। अबकी बार बच्चों की फीस भर जाएगी । उनके लिए नए कपड़े लाऊँगा। उन्हें मेला ले जाकर खिलौने दिलाऊँगा । रमिया की साड़ी भी फट गई है उसके लिए नई साड़ी ले आऊँगा। वो तन्मयता से मूर्ति बनाने में लगा था । उसकी आँखों में उम्मीद की चमक दिखाई दे रही थी । 



Rate this content
Log in