डर....
डर....
अम्मा मुझे कॉलेज नहीं जाना आज... रूही ने कहा।
लेकिन तुम तो बेकार में छुट्टियां लेती ही नहीं हो क्या बात है.. अम्मा ने पूछा वह चिंतित हो गयी थी, बस मेरा मन नहीं है.. रूही ने कहा।
कुछ दिनों से देख रही हूँ तुम्हें खोयी खोयी रहती हो क्या बात है?..
कुछ नहीं अम्मा आप भी ना... उसने जल्दी से बात पलट दी वरना माँ की आँखों से सच छिप सकता है क्या..
वह अपनी मां को बताना चाहती थी मगर एक डर था उसे जो उसे ज़ुबान बंद करने पर मजबूर कर रहा था... वह भाग कर अपने कमरे में आ गयी और उसकी आँखों से आंसू निकाल आये..
उसकी अम्मा भी उसके पीछे आयी थी उसकी आँखों में आँसू देख कर उनकी ममता से भरा दिल पसीज उठा..
क्या हुआ मेरे बच्चे तू रो क्यों रही है... उन्होंने उसे सीने से लगाते हुए पूछा।
अम्मा वो पड़ोस का सरिम है ना वह रोज़ मुझे कालेज जाते वक़्त छेड़ता है.. मुझपर कमेंट करता है... मुझे उससे बहुत डर लगने लगा है.. आप पुलिस के पास चलो ना.. उसने रोते हुए कहा।
ना मेरे बच्चे ना पुलिस के पास नहीं जाना हमें तुम्हारे अब्बा सब ठीक कर देंगे और तू रास्ता बदल कर जाया कर उसे नज़रअंदाज़ कर दे... अम्मा ने उसे समझाया।
मैं क्यों रास्ता बदलू अम्मा... मै क्यों डरूं .. डरना तो उसे होगा उसके अब्बा से शिकायत लगाए उसकी... उसने आंसू पोंछते हुए कहा..
दीवानी हो गयी है क्या बाप का नाम खराब करेगी लड़की ज़ात है तू हर कदम फूँक फूँक कर रखना होगा तुझे समझी की नहीं... उन्होंने उसे डांटा
अम्मा वह मुझे छेड़ता है उसका नाम खराब होगा मेरा क्यों होगा... रूही हैरत से माँ को देख रही थी।
जानती नहीं है तू लड़के चाहे जो मर्ज़ी करें मगर लड़कियाँ बिना कुछ किये ही बदनाम हो जाती है, एक बार अगर लड़की की इज़्ज़त पर दाग़ लग जाये तो वह कभी नहीं मिटता लोग लड़कियों को ही गलत कहते है समझी तू... अगर तू बदनाम हो गयी तो सारी उम्र मायके में ही गुज़रनी पड़ेगी इसलिए उसे नज़रअंदाज़ कर दे अगर तेरे अब्बा को पता चला तो वो तेरा कालेज जाना बंद करा देंगे अखिर हमारी इज़्ज़त खोने का डर है... अम्मा जा चुकी थी और वह फटी फटी आँखों से दरवाज़े को देख रही थी... अम्मा की बात उसके कानों में अबतक गूंज रही थी... इज़्ज़त खोने का डर... वह उनकी इज़्ज़त थी... लेकिन उसे अपनी इज़्ज़त खोने के डर से हर गंदी नज़रों को बर्दाश्त करना था। आज उसे समझ आ गया था की मर्दों के इस समाज में औरत का कोई स्थान नहीं चाहे औरत कितना मर्दों के कंधे से कन्धा मिला कर चले उसे हमेशा एक डर होता है..... अपनी इज़्ज़त खोने का डर......और अब उसे चुप रहना था...