पत्थराई आँखें
पत्थराई आँखें
बारिश बहुत ज़ोर की हो रही थी और बिजली भी कड़क रही थी... वो छाता लिए जल्दी रास्ता तय कर रही थी.. इतनी तेज़ बारिश में उसे ऑटो भी नहीं मिला और वो रुक भी नहीं सकती थी.. पूजा ऑफिस से आ रही थी और बहुत लेट हो गयी थी.. और रुक गयी तभी पास बैठे लड़को के ग्रुप ने उस पर कमैंट्स करने शुरू कर दिए वो डर गयी और जल्दी से आगे बढ़ने लगी लेकिन.. तभी उनमे से एक ने उसका हाथ पकड़ लिया पूजा ने पलट कर उसे थप्पड़ मार दिया..
"हिम्मत कैसे हुई तेरी मुझे थप्पड़ मारने की कुतीया..."लड़का गुरराया और उसका दुपट्टा खिंच कर फेक दिया.. पूजा सन रह गयी.. उसे शॉक लग गया था.. बाक़ी लड़के हंस रहे थे.. पूजा को वो सब इंसान नहीं भेड़िये दिख रहे थे.. वो उसे अपनी बड़ी सी गाड़ी मे खींचते हुये ले गए.. बारिश फिरसे शुरू हो गयी थी.. पूजा उनके सामने हाथ जोड़ती रही.. गिड़गिड़ाती रही.. मगर उनके कानो मे जू तक ना रेंगी..उस लड़के ने उसके कपडे फाड़ दिए.. वो सब बारी बारी उसके जिस्म से खेलते रहे.. भेडिये की तरह नोंचते रहे.. और उसे अपनी हवस की भूख मिटा कर उन दरिंदो ने उसे सड़क पर फेक दिया और अपनी गाड़ी से भाग गए!
वो दर्द से कराह रही थी.. उसकी आँखे पथरा रही थी बारिश की बुँदे पथ्थर की तरह उस के बेजान होते हुए जिस्म पर गिर रही थी... तभी उसे पास पड़ा हुआ अपना पर्स दिखा.. वो हिम्मत करतें हुये खुदको घसीटते हुए पर्स तक पहुंची और अपना फोन निकल और अपनी बेजान पडती उंगलियों से महिला हेल्पलाइन का नंबर मिलाया.. लेकिन.. लाइन इंगेज आ रही थी उसने अपनी टूटती साँसों के बावजूद हिम्मत नहीं हारी... लेकिन कोई उसकी मदद के लिए नहीं आया..उसकी साँसे उखड़ने लगी और उसके हाथ से फोन छुट कर गिर गया.. उसका शरीर बेजान हो चूका था उसकी पथराई आँखे अब भी फोन की तरफ थी.. जहाँ डायल स्क्रीन पर अब भी वही नंबर जगमगा रहा था.. और थोड़ी देर बाद उसका फोन भी उसके बदन की तरह ठंडा पड़ गया... लेकिन उसकी पत्थराई आँखे शायद कह रही थी की क्या फायदा ऐसी हेल्पलाइन का जहाँ एक औरत अपनी जिंदगी हार गयी.. फिर से...एक मासूम लड़की उन दरिंदो की भेंट चढ़ गयी फिसे..
अगले दिन वो खबरों मे थी... और हैडलाइन थी..मौके पर पहुंची पुलिस!