काली
काली
"माँ तूने मेरा नाम काली क्यों रखा?"... वो साँवली सलोनी लड़की अपनी बड़ी बड़ी आँखों में आंसू लिए पूछ रही थी... जबकि उसकी माँ उसे देख कर रह गयी...
"बता ना माँ क्यों रखा ये नाम?"...
"क्यूंकि ये हमारी काली माता का नाम है बेटा.. हमारी श्रद्धा है उनपर.."
आप मेरा नाम दुर्गा भी तो रख सकती थी...
"हाँ लेकिन..."
"लेकिन क्या माँ.. दुर्गा माँ तो बहुत सुंदर है इसीलिए ना..."
"ना बच्चा ऐसा नहीं है.. और तू क्या बकवास किये जा रही है जा कुछ काम कर...और क्या बुराई है इस नाम मे.."
"सारी बुराई तो इसी नाम मे है माँ... काला रंग बुराई प्रतीक है...बदसूरती का.. देख ना तभी तो तू मेरे रिश्ते के लिए परीशान रहती है.. लोग मेरा मज़ाक़ उड़ाते है.. मुझे काली कलूटी चिढ़ाते है... सारी बुराई तो इसी रंग मे है..."
"काला रंग बुराई का प्रतीक नही है.. ये गहराई का प्रतीक है.. ये हर रंग को अपने अंदर छिपा लेता है...
और आसमान का रंग भी तो काला है... और.. तेरा नाम काली है.. तू बहादुर है.. निर्भय है... तू क्यों अपना मन छोटा करती है....."
"आप नहीं समझोगी माँ... आप नहीं समझोगी.." काले होने का दुख क्या होता है....