"बहू ये इतनी सारी आईसक्रीम और केले ? कोई प्रोग्राम....." "माँजी ये अष्टमी पूजन में कन्याओं को देना ... "बहू ये इतनी सारी आईसक्रीम और केले ? कोई प्रोग्राम....." "माँजी ये अष्टमी पूजन ...
ये कहानी एक सच्चाई है जो हमारे समाज मे एनजीओ के नाम पर चल रहे कैदखानों की सच्चाई को उजागर करती है ये कहानी एक सच्चाई है जो हमारे समाज मे एनजीओ के नाम पर चल रहे कैदखानों की सच्चाई...
क्या वह खुद को ऐसे कीड़ों से बचा पाएगी या नहीं ? आइए पढ़ते हैं यह लघुकथा...। क्या वह खुद को ऐसे कीड़ों से बचा पाएगी या नहीं ? आइए पढ़ते हैं यह लघुकथा...।
लेखक: बरीस अल्माज़व अनुवाद: आ. चारुमति रामदास लेखक: बरीस अल्माज़व अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
"आप नहीं समझोगी माँ... आप नहीं समझोगी.." काले होने का दुख क्या होता है.... "आप नहीं समझोगी माँ... आप नहीं समझोगी.." काले होने का दुख क्या होता है....