बच्चियों का शोषण

बच्चियों का शोषण

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एक बहुत ही पिछड़ा हुआ इलाका पर आज बहुत चहल पहल थी पूरे इलाके मे रौनक लगी थी । आज सरकार की तरफ से एक एनजीओ ने शिविर लगाया था, सभी लोगो की मुफ्त जांच और राशन बाँटा जा रहा था।

8 साल की गुड़िया और उसकी बड़ी बहन 13 साल की लाइन में खड़ी होकर अपनी बारी का इंतज़ार कर रही थी ।

दोनो के माता - पिता भी किनारे खड़े होकर उन दोनों के आने राह देख रहे थे। गुड़िया की बारी आई, वो बहुत खुश थी। आज उसे इतना अच्छा अच्छा सामान जो मिला था, उसकी बहन के आँखों मे भी खुशी साफ झलक रही थी । अब आयी दोनो की जांच की बारी, तभी एक बहुत ही हष्ट पुष्ट आदमी उनके पास आकर बोला बेटा तुम स्कूल नही जाती, तुम्हारे शरीर मे भी बहुत कमजोरी है, तुम्हारे माता - पिता कहाँँ है ?

गुड़िया और उसकी बहन ने उनकी ओर इशारा किया, वो आदमी उनके पास गया,

"आप दोनो बच्चियों का जीवन क्यों बर्बाद कर रहे हो ? इनको मेरे साथ भेज दो। मेरा एक एनजीओ है, वहां बहुत सारी ऐसी ही बच्चियो को मुफ्त शिक्षा दी जाती है और रहना खाना भी फ्री ।

उस आदमी ने गुड़िया के मातापिता को अपने प्रभाव से राजी कर लिया दोनो बच्चियों को लेकर वो शहर आ गया, गुड़िया और उसकी बहन बहुत खुश थी। ये एक बालिका सुधार गृह था उसके जैसी उम्र की सैकड़ों लडकिया वहां थी ।

आज शाम गुड़िया और उसकी बहन के लिए किसी सपने से कम नही थी । आज उनको खूब अच्छा अच्छा खाना दिया गया दोनो ने खूब भर पेट खाया और खाते ही गहरी नींद में सो गई ।

सुबह उठी तो दोनों के शरीर मे तेज दर्द था, ऐसा लग रहा था की उनके साथ कोई अनहोनी घटना हुई है उनके सर में तेज दर्द था और बदन पर भी जख्मो के निशान थे पर उन्हे कुछ समझ नही आ रहा था ।

वो साथ रहने वाली लड़कियों से पूछ रही थी कि क्या उनको भी चक्कर आ रहे है पर सब लडकिया चुप थी कोई अपना मुंह नही खोल रही थी ।

ये सिलसिला हर हफ्ते में एक दो दिन होता था ।

दोनो बहनों के खाने में कुछ नशा मिलाया जाता फिर उनको बड़े बड़े होटलों में ले जाया जाता जहां उनका यौन शोषण किया जाता ।

एक दिन गुड़िया की बहन को जब होटल से वापस लाया गया तो उसकी हालत बहुत नाजुक थी, उसके साथ गैंगरेप किया गया था जिसमें दरिंदगी की सारी हदें पार की गई हालत बिगड़ती देख एनजीओ के मालिक ने उसे हॉस्पिटल में भर्ती करवा दिया। ये खबर मीडिया को पता चली तो शहर में आग की तरह फैल गयी NGO में पुलिस आयी थी सभी लड़कियों से पूछा गया पर सब डर के मारे चुप थी । एक कोने में गुड़िया डरी सहमी खड़ी थी जब सब मीडिया वाले जाने लगे तो गुड़िया भाग कर एक महिला रिपोर्टर के पास आकर लिपट गयी । उस रिपोर्टर ने उसे प्यार से गले लगाया और उसे अपनी गाड़ी में बैठाया वो उसको अपने घर ले गयी ।

गुड़िया ने उस एनजीओ का सारा काला चिट्ठा रिपोर्टर को बता दिया सरकारी एनजीओ होने के कारण सरकार की बहुत किरकिरी हुई विपक्ष ने खूब हंगामा किया मजबूरी वश सरकार को जांच सीबीआई को सौपनी पड़ी ।

3 महीनों में ही जांच पूरी हुई । उस एनजीओ के मालिक को सजा हुई और आजीवन कारावास सुनाया गया। उसे मासूम बच्चियों के यौन शोषण के मामले में दोषी ठहराया गया ।

इस घटना का संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने सभी एनजीओ की जांच के लिए सरकार को आदेश दिया ।

दोस्तो ये कहानी एक सच्चाई है जो हमारे समाज मे एनजीओ के नाम पर चल रहे कैदखानों की सच्चाई को उजागर करती है ।

आपके विचारों का इंतजार रहेगा !


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